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women journalists: सोशल मीडिया पोस्ट मामले में मिली महिला पत्रकारों को जमानत – Bail to women journalists in social media post case


हाइलाइट्स

  • सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगाड़ने के आरोप में हिरासत में ली गईं दो पत्रकार
  • मजिस्ट्रेट कोर्ट में दोनों पत्रकारों को किया गया पेश, मिली जमानत
  • सोशल मीडिया पर भ्रामक पोस्ट के आधार पर दर्ज कराया गया था मामला

अगरतला
त्रिपुरा में हाल ही में सांप्रदायिक घटनाओं को लेकर सोशल मीडिया पर किए गए पोस्ट के आधार पर दो महिला पत्रकारों को गिरफ्तार किया गया था। गोमती जिले की एक मजिस्ट्रेट कोर्ट ने उन्हें जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है। सोशल मीडिया पोस्ट को सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगाड़ने के लिए किया गया पोस्ट माना गया था। पुलिस ने दोनों के खिलाफ सांप्रदायिक तनाव भड़काने के उद्देश्य से सोशल मीडिया पोस्ट किए जाने का मामला दर्ज कराए जाने के बाद दोनों को गिरफ्तार किया था।

विश्व हिंदू परिषद के एक सदस्य की ओर से फतिक्रॉय पुलिस थाने में एक प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। इसमें आरोप लगाया गया कि दिल्ली बेस्ड एक न्यूज नेटवर्क की पत्रकार समृद्धि सकुनिया और स्वर्णा झा ने सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगाड़ने के उद्देश्य से फर्जी खबर सोशल मीडिया पर पोस्ट की। मामला दर्ज होने के बाद दोनों को असम के करीमगंज में हिरासत में ले लिया गया। प्रदेश की राजधानी अगरतला से करीब 50 किलामीटर दूर उदयपुर स्थित मजिस्ट्रेट अदालत के समक्ष उन्हें पेश किया गया। मजिस्ट्रेट शुभ्रा नाथ ने उन्हें कोर्ट में पेश किए जाने के बाद जमानत दे दी।

रिपोर्टिंग के लिए आईं थी त्रिपुरा
दोनों पत्रकार सांप्रदायिक हिंसा मामले की रिपोर्टिंग करने गुरुवार को त्रिपुरा पहुंची थीं। वे दोनों गोमती जिले के उदयपुर के काकराबन गईं। इसके बाद पश्चिम त्रिपुरा और सिपाहीजाला जिलों के अल्पसंख्यक बहुल इलाकों का भी दौरा किया। इस मामले में एक वरिष्ठ पुलिस पदाधिकारी ने अगरतला में कहा कि उनके सोशल मीडिया पोस्ट संवेदनशील थे। उन्होंने पोस्ट किया कि गोमती जिले में एक धर्मस्थल को जला दिया गया और धार्मिक पुस्तक की प्रति क्षतिग्रस्त की गई।

पुलिस ने भी उनके पोस्ट को बताया गलत
त्रिपुरा पुलिस की ओर से पत्रकारों द्वारा अपलोड किए गए वीडियो पर भी छेड़छाड़ का संदेह जताया गया है। त्रिपुरा पुलिस प्रमुख वीएस यादव के कार्यालय द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में दावा किया गया है कि समृद्धि सकुनिया की पोस्ट सही नहीं थी। इसने दोनों समुदायों के बीच नफरत की भावना को बढ़ावा दिया। हालांकि, मजिस्ट्रेट अदालत ने दोनों पत्रकारों को जमानत पर रिहा करने के आदेश दे दिए।

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हिरासत में ली गई महिला पत्रकारों को मजिस्ट्रेट ने दी जमानत



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