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नई दिल्ली
अमेरिकी हिंद-प्रशांत कमान के कमांडर एडमिरल जॉन एक्विलिनो ने बुधवार को कहा कि चीन की सैन्य संरचना द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से सबसे बड़ी है। उन्होंने कहा कि असली सवाल इसके पीछे की मंशा है क्योंकि चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की कथनी और करनी हमेशा मेल नहीं खाती है।

भारत यात्रा पर आए एडमिरल एक्विलिनो ने प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत, सेनाध्यक्ष जनरल एम एम नरवणे, एयर चीफ मार्शल आर के एस भदौरिया, नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह और विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ व्यापक बातचीत की जिसका मुख्य जोर द्विपक्षीय रक्षा साझेदारी को और मजबूत करने पर था।

अमेरिकी कमांडर ने कहा कि भारत के साथ अमेरिका के संबंध ‘गठबंधन मूल्यों’ पर आधारित हैं और स्थायी साझेदारी के निर्माण के लिए एक महत्वपूर्ण मॉडल प्रस्तुत करते हैं।

हिंद-प्रशांत कमान की ओर से जारी बयान में एडमिरल एक्विलिनो के हवाले से कहा गया, ‘जब हम दुनिया भर में सहयोगियों और भागीदारों के साथ अंतरसंचालनीयता, सूचना-साझाकरण और पहुंच बढ़ाते हैं, यह साझेदारी हमारी क्षमताओं को बढ़ाती है, हमारे समन्वय में सुधार करती है और दिखाती है कि जब हम एकसाथ खड़े होते हैं तो हम मजबूत होते हैं।’

ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ओआरएफ) में एक परिचर्चा में, एडमिरल एक्विलिनो ने हिंद-प्रशांत के सामने आने वाली प्रमुख चुनौतियों के बारे में बात की और चीन के सैन्य जमावड़े पर बात की जिसमें समुद्री क्षेत्र में उसकी सैन्य संरचना भी शामिल है। उन्होंने मालाबार नौसैनिक अभ्यास में भाग लेने वालों की संख्या में वृद्धि की संभावना का भी संकेत दिया, अगर चार देशों के नेता वर्तमान में इससे सहमत हों।

एडमिरल एक्विलिनो ने सीडीएस जनरल रावत की मौजूदगी में कहा, ‘मैं वास्तव में विशेष रूप से परमाणु खतरे को नहीं देखता हूं। मैं जो देखूंगा चीन के सैन्य विस्तार के संबंध में जो कि द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद से इतिहास में सबसे बड़ी सैन्य संरचना है, पारंपरिक और परमाणु दोनों ही संबंध में।’

उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि मैं यह समझाने की कोशिश करूंगा कि उनका इरादा क्या है, लेकिन उनके इरादे को समझने की कोशिश करना थोड़ा चिंताजनक है।’

एडमिरल एक्विलिनो से चीन की तरफ से अपने परमाणु हथियार के भंडार के तेजी से विस्तार की रिपोर्ट के बारे में पूछा गया था।

कमांडर ने कहा, ‘हम लगातार यह भी देखते हैं कि पीएलए (पीपुल्स लिबरेशन आर्मी) के कथनी और करनी मेल नहीं खाते हैं। इसलिए यह एक कारण है जिससे हम चिंतित हैं। असली सवाल यह नहीं है कि वे विस्तार क्यों कर रहे हैं बल्कि यह है कि उससे उनका क्या करने का इरादा है।’

उन्होंने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की सैन्य आक्रामकता की ओर परोक्ष तौर पर इशारा करते हुए समुद्री क्षेत्र में नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था पर ‘हमले’ को ‘सबसे महत्वपूर्ण चुनौतियों’ में से एक बताया।

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि सैन्य दृष्टिकोण से क्वॉड देशों के बीच समन्वय हर दिन होता है।

चीन द्वारा अपने परमाणु शस्त्रागार बढ़ाने के बारे में पूछे जाने पर सीडिएस जनरल रावत ने कहा कि ये सामरिक हथियार प्रतिरोध के हथियार हैं। उन्होंने पाकिस्तान की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘क्षेत्र में कहीं भी जो कुछ भी हो रहा है, उससे हम चिंतित हैं क्योंकि यह केवल हमारा उत्तरी पड़ोसी नहीं है, बल्कि हमारे पश्चिमी पड़ोसी के पास भी ये परमाणु प्रणालियां हैं।’

सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने कहा, ‘हम उसी के अनुसार अपनी रणनीति विकसित कर रहे हैं। हम इनका सावधानीपूर्वक अध्ययन कर रहे हैं और हम पारंपरिक ताकतों के साथ दोनों विरोधियों से निपटने में काफी सक्षम हैं।’

चीनी नौसेना पर जनरल रावत ने कहा कि चीन अपने नौसैनिक बलों का तेजी से विस्तार कर रहा है।

उन्होंने कहा, ‘आज, संभवत: यह दुनिया में सबसे बड़ा विस्तार करने वाली नौसेना है। हम हिंद महासागर क्षेत्र में खतरे को उभरते हुए देखते हैं।’ उन्होंने कहा कि भारत को अपने नौसैनिक कौशल को तदनुसार विकसित करके खतरे का मुकाबला करना होगा।



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By admin