दल-बदल विरोधी कानून का पचड़ा और बीजेपी का वेट एंड वॉच
दरअसल, महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए कुल 145 विधायकों की जरूरत है जबकि बीजेपी के पास अपने सिर्फ 106 विधायक हैं। ऐसे में उसे सरकार बनाने के लिए कम से सम 39 विधायकों के समर्थन की जरूरत है। अगर यह जुट भी जाए तो दल बदल विरोधी कानून के कारण दूसरी पार्टियों से टूटकर आए विधायकों के भविष्य पर खतरा बनेगा रहेगा। यह कानून तभी बाधक नहीं होगा जब शिवसेना या अन्य किसी भी दल से टूटने वाले विधायकों की कुल संख्या संबंधित दल के कुल विधायकों की दो तिहाई हो। यानी एकनाथ शिंदे को बीजेपी के साथ सरकार बनाने के लिए कम-से-कम 36 विधायकों को तोड़ना होगा क्योंकि शिवसेना के पास अभी 54 विधायक हैं जिसकी दो-तिहाई संख्या 36 ही होती है। उधर, कांग्रेस के पास 44 विधायक हैं। बताया जा रहा है कि उसके भी 10 विधायकों का कोई अतापता नहीं चल पा रहा है। यानी, कांग्रेस में फूट को कानूनी जामा पहनाने के लिए कम से कम 29 बागी विधायकों की जरूरत होगी। यही वजह है कि बीजेपी काफी फूंक-फूंक कर कदम रख रही है। उसे पता है कि सिर्फ विधायकों का आंकड़े जुटने से सरकार बन तो जाएगी, लेकिन दल-बदल विरोधी कानून के कारण बच नहीं पाएगी। आइए आंकड़ों के आईने में समझते हैं महाराष्ट्र के राजनीतिक हालात…
महाराष्ट्र विधानसभा का गणित समझिए
कुल विधायकों की संख्या- 288
बीजेपी- 106
शिवसेना- 55
एनसीपी- 52
कांग्रेस- 44
अन्य+ निर्दलीय- 30
महाविकास अघाड़ी के पास कितने नंबर
एकनाथ शिंदे की बगावत से पहले उद्धव सरकार के पास कुल मिलाकर 169 विधायकों का समर्थन प्राप्त था। इसमें शिवसेना के पास 55, एनसीपी के पास 52 और कांग्रेस के 44 विधायक हैं। इसके अलावा समाजवादी पार्टी के 2, पीजपी के 2, बीवीए के 3 और 9 निर्दलीय विधायकों का समर्थन था। फिलहाल 21 से ज्यादा विधायक शिंदे का साथ सूरत में हैं, जिसमें निर्दलीय विधायक भी शामिल हैं। वहीं, AIMIM के दो, सीपीएम के 1 और एमएनएस का 1 विधायक शामिल है।
बीजेपी के पास 113 का आंकड़ा
बीजेपी के पास खुद के 106 विधायक हैं। आरएसपी के 1, जेएसएस के 1 और 5 निर्दलीय विधायकों का समर्थन है।
बहुमत का जादुई आंकड़ा- 145 (दो विधायक जेल में और एक का निधन)
एकनाथ शिंदे के साथ कितने?- 22 शिवसेना+ 4 निर्दलीय= 26 विधायक
बीजेपी 106+ शिंदे के 26= 132 विधायक
ढाई साल में तीसरी बार सरकार गिराने की साजिश: शरद पवार
एनसीपी चीफ शरद पवार ने महाराष्ट्र सरकार को लेकर चल रहे सियासी संकट पर बयान दिया है। पवार ने कहा कि यह महज एक साजिश है। यह विपक्ष की तीसरी कोशिश है। इसका हमारी सरकार पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है। मुझे उम्मीद है कि उद्धव ठाकरे जल्द ही इसका कोई न कोई हल जरूर निकाल लेंगे। पवार ने कहा कि आगे भी उद्धव के नेतृत्व में सरकार ऐसे ही चलती रहेगी।
वहीं अगर एकनाथ शिंदे का साथ बीजेपी को मिल भी जाता है बावजूद इसके महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए बीजेपी को 11 और विधायकों की पड़ेगी जरूरत पड़ेगी। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि आखिरकार देश की सत्ता पर काबिज बीजेपी महाराष्ट्र में ऐसी कौन सी सियासी चाल चलती है, जिससे एक बार फिर से महाराष्ट्र में उसकी सरकार दोबारा से बन जाए। वहीं इसके इतर यह भी सवाल उठता है कि क्या शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस मिलकर महाविकास अघाड़ी को बचाने में कामयाब रहेंगे।