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हाइलाइट्स

  • अफगानिस्तान में 20 सालों के बाद फिर से लौटा तालिबानी राज
  • काबुल से भारत लौटकर आए लोगों ने बयां किया अपना दर्द
  • राष्ट्रपति अशरफ गनी भी अफगानिस्तान छोड़कर निकल गए

नई दिल्ली
अफगानिस्तान पर 20 सालों के बाद एक बार फिर तालिबान का राज आ गया है। लोग अफगानिस्तान को छोड़कर भाग रहे हैं। राष्ट्रपति अशरफ गनी ने पहले ही देश छोड़ दिया है। अफगानिस्तान से निकलने के एकमात्र रास्ते काबुल एयरपोर्ट पर भी अफरा-तफरी का माहौल है। बीती रात एयर इंडिया की एक फ्लाइट 129 लोगों को लेकर दिल्ली पहुंची। भारत पहुंचे लोगों ने अफगानिस्तान में तालिबान राज की भयावह स्थिति का दर्द बयां किया।

20 साल पहले जहां थे, फिर वहीं पहुंच गए
बातचीत में अफगानिस्तान से लौट रहे लोगों का देश छोड़ने का दर्द साफ झलक रहा है। दिल्ली आए एक शख्स ने कहा, ‘सबको पता है कि वहां हालात कैसे हैं, सबको पता है, हमारी सरकार आज गिर गई जिसके बतबूते हमने आगे बढ़ने के बारे में सोचा था, कुछ नया करने का सोचा था। हमारे देश की जैसी हालत है उससे बेहतर हो सके, लेकिन 20 साल के बाद हम फिर से वहीं पहुंच गए हैं जहां पहले थे।

Afghan

काबुल से दिल्ली पहुंचे अफगानी लोग

हम कहां जाएंगे? ये तो हमारी मातृभूमि है
काबुल से बीती रात दिल्ली पहुंचे एक भारतीय नागरिक ने बताया, ‘स्थानीय लोग अपने भविष्य को लेकर काफी डरे हुए हैं। जब हम भारत वापस आ रहे थे तो उन्होंने हमसे कहा, ‘आप जा रहे हैं। हम कहाँ जाएंगे? यह हमारी मातृभूमि है।’ उन्होंने बताया कि वह सोलर पैनल कंपनी में अपने काम के सिलसिले में कुछ साथियों के साथ दिल्ली से काबुल गए थे।

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छलका पूर्व अफगानी सांसद का दर्द
फ्लाइट के जरिए काबुल से दिल्‍ली पहुंचने पर अफगानिस्‍तान के पूर्व सांसद जमील करजई ने कहा, ‘जब मैं वहां से भागा हूं तो वहां के क्या हालात होंगे आप समझ सकते हैं। अशरफ गनी की टीम गद्दार है। उन्होंने अफगानिस्तान के लोगों के साथ गद्दारी की है। लोग उन्हें माफ नहीं करेंगे।’

राष्ट्रपति अशरफ गनी बोले- खूनखराबा रोकने के लिए छोड़ा देश
अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने देश छोड़ने के बाद एक बयान जारी किया। उन्होंने कहा- मेरे लिए ये फैसला काफी मुश्किल था। खून खराबा रोकने और शांति के लिए मैंने अपने देश को छोड़ने का फैसला लिया जिसकी मैं साल सेवा और सुरक्षा की। तालिबान मुझे हटाने के लिए काबुल पर हमला करने के लिए तैयार था। अगर ऐसा होता तो 60 लाख की आबादी वाले शहर में बहुत से लोग मारे जाते और बड़ी बर्बादी होती। ऐसे में अब तालिबान की जिम्मेदारी है कि वो सबको साथ लेकर चलें।

रातोंरात घर छोड़कर भागना पड़ा था
20 साल पहले वाले तालिबानी राज के दौरान अफगानिस्तान छोड़कर भारत आए हरि सिंह बताते हैं, हम वहां बिलकुल सुरक्षित नहीं थे, घर से बाहर नहीं निकल सकते थे। हालात ऐसे हो गए थे कि रातोंरात घर और दुकान सब छोड़कर वहां से निकलना पड़ा। हम एक साल ईरान रहे, लेकिन फिर उन्होंने पूछा कि कहां जाना चाहोगे आप तो हमने कहा कनाडा। हालांकि एक-डेढ़ साल के बाद वहां की सरकार ने हमें इंडिया भेज दिया। वहां हालात बहुत खराब थे, हम गुरुद्वारे तक नहीं जा पाते थे, एक दूसरे के घर नहीं जा सकते थे।

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…आखिर में वही सब तो हो रहा है
साल 2015 में अफगानिस्तान से आए सुल्तान बताते हैं, साल 2015 में हामिद करजई सरकार बदलने के बाद वहां दो कम्युनिटी के बीच तनाव हो गया। हालांकि अमेरिका के हस्तक्षेप के बाद 50-50 पर समझौता हो गया, लेकिन हमें लगा कि अगर आगे ये चीजें बढ़ती हैं तो हमारी पढ़ाई-लिखाई सब बेकार चली जाएगी। जैसा हम अभी देख रहे हैं कि वही सब हो रहा है। हालात उस समय भी खराब चल रहे थे, लेकिन कुछ स्ट्रगल करके वहां टिके हुए थे, उनकी पढ़ाई पूरी होने के बाद भी उनको डिग्री नहीं मिल रही।

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इतनी जल्दी होगा ये सब, इसका अंदाजा नहीं था
अफगानिस्तान में पिछले कई दिनों से तालिबान हावी होता जा रहा था। एक-एक करके अफगानिस्तान के बड़े शहरों पर तालिबान का कब्जा होता जा रहा था। ऐसे में दुनिया को इस बात की आशंका सता रही थी कि तालिबान एक बार फिर अफगानिस्तान पर कब्जा जमा लेगा, लेकिन ये सबकुछ इतनी जल्दी हो जाएगा, इसका अंदाजा किसी को नहीं था। अफगानिस्तान से बाहर निकलने का एकमात्र रास्ता काबुल एयरपोर्ट बचा है, लेकिन वहां भी अफरा-तफरी का माहौल है।

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