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supreme court said criminal can be interviewd by investigator under nlu project 39 a and detaiked report can be released too, supreme court on criminal interview facing hang til death punishment: फांसी की सजा पाए मुजरिम के कंडक्ट जानने के लिए प्रोजेक्ट 39 ए के इन्वेस्टिगेटर करेंगे इंटरव्यू, सुप्रीम कोर्ट याचिकाकर्ता आरोपी के व्यवहार और कैरेक्टर के बारे में पूरे आंकलन के लिए निर्देश जारी किया गया है। गौरतलब है कि प्रोजेक्ट 39 ए एनएलयू का पार्ट है जो भारत के संविधान के अनुच्छेद-39 ए से प्रभावित है जो आर्थिक और सामाजिक बाधाओं को खत्म करके एक समान न्याय और समान अवसर के मूल्यों को देखता है।


नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने हत्या मामले में फांसी की सजा पाए दोषी का इंटरव्यू लेकर उसकी रिपोर्ट पेश करने की इजाजत दे दी है। नैशनल लॉ यूनिवर्सिटी के प्रोजेक्ट 39 ए (NLU Project 39 A) से जुड़ी इन्वेस्टिगेटर को इस बात की इजाजत दी गई है कि वह फांसी की सजा पाए और जेल में बंद मुजरिम का इंटरव्यू करें और रिपोर्ट पेश करें। इन्वेस्टिगेटर को कम गंभीर सजा की परिस्थितियों के बारे में आंकलन रिपोर्ट देना है।

क्या है 39 ए एनएलयू का पार्ट
शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता आरोपी के व्यवहार और कैरेक्टर के बारे में पूरे आंकलन के लिए निर्देश जारी किया गया है। गौरतलब है कि प्रोजेक्ट 39 ए एनएलयू का पार्ट है जो भारत के संविधान के अनुच्छेद-39 ए से प्रभावित है जो आर्थिक और सामाजिक बाधाओं को खत्म करके एक समान न्याय और समान अवसर के मूल्यों को देखता है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस यूयू ललित की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि यह जरूरी है कि आरोपी जिन्हें मौत की सजा हुई है उसके कैरेक्टर और उसके व्यवहार के बारे में आंकलन हो और रेकॉर्ड पर उसे लाया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह लाभकारी होगी कि मौत की सजा पाए मुजरिम के कंडक्ट के बारे में जानकारी पेश की जाए। आखिरी दलील से पहले वह रिपोर्ट सामने होना चाहिए।

क्या है पूरा मामला समझिए
मध्यप्रदेश में रेप और हत्या के मामले में आरोपी करण को फांसी की सजा सुनाई गई थी। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट (Madhya Pradesh High Court) की इंदौर बेंच ने फांसी की सजा को कन्फर्म किया जिसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट के सामने आया। सुप्रीम कोर्ट में करण की ओर से अपील दाखिल की गई। सुप्रीम कोर्ट ने 11 अप्रैल 2018 को फांसी की सजा के अमल पर रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमारा मत है कि याचिकाकर्ता की ओर से होने वाली आखिरी दलील से पहले उसके कंडक्ट के बारे में पूरा आंकलन कोर्ट के सामने रेकॉर्ड पर होना चाहिए। कई फांसी के केस में सुप्रीम कोर्ट कह चुका है कि मनोवैज्ञानिक आंकलन मुजरिम का जरूरी है। साथ ही कम गंभीर सजा की परिस्थितियों का आंकलन जरूरी है। चूंकि मौजूदा मामले में आरोपी को फांसी की सजा सुनाई गई है ऐसे में हमारा मत है कि उसके कैरेक्टर और कंडक्ट आदि के बारे में तथ्य को रेकॉर्ड में लाया जाए।

याचिकाकर्ता की ओर से अर्जी दाखिल कर कहा गया कि प्रोजेक्ट 39 ए से जुड़ी इन्वेस्टिगेटर द्वारा मुजरिम का इंटरव्यू कराया जाए ताकि कम गंभीर सजा के मामले में वह आंकलन करे और अपनी रिपोर्ट पेश करे। सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि राज्य सरकार प्रोबेशन अधिकारी की रिपोर्ट पेश करे और साथ ही जेल प्रशासन अपनी रिपोर्ट पेश करे। न्याय के हित में मनोवैज्ञानिक आंकलन भी जरूरी है और ऐसे में इंदौर के एमजीएम मेडिकल कॉलेज द्वारा रिपोर्ट पेश की जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रोजेक्ट 39 ए से जुड़ी बलजीत कौर मुजरिम का इंटरव्यू करे और रिपोर्ट पेश किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने इंदौर के सेंट्रल जेल अथॉरिटी से कहा है कि वह बलजीत कौर को इंटरव्यू के लिए सहूलियत प्रदान करे और इंटरव्यू गोपनीय रखा जाए। अगली सुनवाई के लिए कोर्ट ने 15 सितंबर 2022 की तारीख तय कर दी है।



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By admin