याचिका पर सुनवाई की शुरुआत में राज्य की पैरवी कर रहे वकील ने कहा कि व्यक्ति अपर डिवीजन क्लर्क के पद पर प्रोन्नति पाने के दौरान बगैर मंजूरी के छुट्टी पर था और उसकी वरिष्ठता ड्यूटी दोबारा शुरू करने की तारीख से पुनरीक्षित की गई। उन्होंने कहा कि बिना मंजूरी वाली छुट्टी की अवधि को सेवा संबंधित किसी भी लाभ के लिए मान्य नहीं माना जा सकता। इस पर न्यायमूर्ति कांत ने कहा कि वह छुट्टी पर था, ड्यूटी पर अनुपस्थित नहीं था और दोनों में फर्क है।
पीठ ने कहा, ‘आप लोग केवल इसलिए विलासिता वाद में शामिल हैं क्योंकि आप एक राज्य हैं। ‘ पीठ ने साथ ही कहा कि उसकी (क्लर्क)तरफ से कोई धोखाधड़ी नहीं की गई है।
केरल उच्च न्यायालय ने पिछले वर्ष अपने आदेश में कहा था कि वह व्यक्ति जो शिक्षा विभाग में लोवर डिविजन क्लर्क के रूप में शामिल हुआ था, अपना पद और वरिष्ठता अंतिम वरिष्ठता सूची के अनुरूप बरकरार रखने का हकदार है। केरल सरकार ने उच्च न्यायालय के इस आदेश के उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी थी।