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supreme court order on cat vacancies: Supreme Court CAT News : जब तक वैकेंसी भरी न जाए काम करते रहें, CAT पर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला – judicial and administrative members of cat to be in service after retirement age, supreme court orders to continue job until vacancies are filled


नई दिल्ली: केंद्र सरकार या किसी भी राज्य अथवा केंद्रशासित प्रदेश का शायद ही कोई विभाग हो जिसमें भारी रिक्तियां नहीं हों। कोर्ट-कचहरी और पुलिस-प्रशासन जैसे विभागों में तो लाखों पद लंबे समय से खाली हैं, लेकिन पर्याप्त भर्तियां नहीं हो पाती हैं। ऐसे में आम नागरिकों को जरूरी सेवाएं नहीं मिल पाती हैं या फिर मिलते-मिलते बहुत देर हो जाती है। लेकिन सरकारों के कानों पर जूं नहीं रेंग रही है। यही वजह है कि सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए कहा है कि जब तक ट्राइब्यूनलों में भर्तियां नहीं हों, वहां के जज एवं अन्य अधिकारी-कर्मचारी रिटायरमेंट की उम्र सीमा पार करने के बाद भी काम करते रहें।

कैट में 60 प्रतिशत पद खाली, कैसे हो काम

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्य कांत की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने संविधान के अनुच्छेद 142 में प्रदत्त अधिकारों का उपयोग करते हुए कहा कि केंद्रीय प्रशासनिक न्यायधिकरणों (CAT) के न्यायिक एवं प्रशासनिक सदस्य रिटायरमेंट नहीं लें जब तक कि रिक्त पदों पर सरकार भर्तियां नहीं कर दे। कैट के 60 प्रतिशत पद खाली पड़े हैं जिसके कारण उनका सामान्य कामकाज निपटाना भी दूभर हो रहा है।

69 में सिर्फ 29 सदस्यों से चल रहा काम

सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय पीठ ने कहा कि केंद्र सरकार की लापरवाही के कारण बेहद महत्वपूर्ण ट्राइब्यूनल आखिरी सांसें गिन रहा है। पीठ ने कहा कि कैट की स्थापना 1985 में की गई थी ताकि केंद्रीय कर्मियों की सेवा से जुड़ी शिकायतों का निपटारा हो सके। ट्राइब्यूनल की स्थापना के वक्त ही उसके पास विभिन्न उच्च न्यायालयों और निचली अदालतों से 13,500 लंबित मुकदमें आ गए लेकिन अब इसके पास 50 हजार केस लंबित हैं। इसकी दुर्दशा का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि देशभर में कैट के सभी 19 बैंचों के लिए आवंटित 69 सदस्यों में सिर्फ 29 सदस्य ही कार्यरत हैं।

नागरिकों के न्याय पाने के अधिकार का क्या होगा?
सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय बेंच ने अपने फैसले में कहा, ‘हमें केंद्रीय कर्मियों की सेवा से जुड़े उच्च न्यायालयों के कार्य मिलते हैं। अगर याचिका पर सुनवाई के लिए बेंच गठित करने के लिहाज से पर्याप्त सदस्य ही नहीं होंगे तो नागरिकों को न्याय कैसे मिलेगा? क्या हमें केंद्रीय कर्मियों को कहना होगा कि वो अब अपनी याचिकाएं हाई कोर्ट में डालें?’

केंद्र की तरफ से दलील रख रहे एएसजी बलबीर सिंह ने कहा कि 34 पदों की भर्तियों के लिए अप्रैल में ही विज्ञापन जारी हो गए हैं और सरकार को उम्मीद है कि जुलाई के अंत तक न्यायिक और प्रशासनिक सदस्यों की नियुक्तियां हो जाएंगी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जुलाई तक 34 नियुक्तियां होंगी और फिर अगले दो-तीन महीनों में ही कई पद खाली हो जाएंगे। कोर्ट ने कहा, ‘चूंकि खाली पदों के कारण नागरिकों का न्याय पाने का अधिकार प्रभावित हो रहा है, इसलिए हम संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत प्रदत्त शक्तियों का इस्तेमाल कर रहे हैं।’



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By admin