मनोज तिवारी के वकील शशांक शेखर ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के सामने यह मामला उठाया और पटाखे पर बैन के खिलाफ दलील पेश करते हुए अर्जी पर तुरंत सुनवाई की मांग की। लंच ब्रेक के दौरान एडवोकेट शेखर ने यह मामला उठाया और तुरंत सुनवाई की मांग की। लेकिन कोर्ट ने फिर जल्द सुनवाई से इनकार करते हुए कहा कि आप अपने पैसे मिठाई आदि में खर्च करें। दीपावली मनाने के बाकी भी तरीके हैं। कोर्ट ने कहा कि लोगों को शुद्ध हवा में सांस लेने दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में पहले से पेंडिंग याचिका के साथ मनोज तिवारी की अर्जी को टैग कर दिया। दिल्ली हाई कोर्ट ने ने भी गुरुवार को पटाखे बैन के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया था। पटाखे पर पूरी तरह से एक जनवरी तक दिल्ली सरकार ने बैन लगा रखी है। हाई कोर्ट ने यह कहते हुए सुनवाई से मना कर दिया था कि मामला सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है। सुप्रीम कोर्ट में जब मामला उठाया गया तो सुप्रीम कोर्ट ने याची के सामने सवाल किया कि क्या आपने दिल्ली के प्रदूषण को देखा है?
सुप्रीम कोर्ट ने 13 अक्टूबर को भी उस याचिका पर तुरंत सुनवाई से इनकार कर दिया था जिसमें दिल्ली में सभी तरह के पटाखे की बिक्री, स्टोरेज और इस्तेमाल पर रोक के खिलाफ अपील दाखिल की गई थी। राजधानी दिल्ली में एक जनवरी 2023 तक यह बैन लगाया गया है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस यूयू ललित की अगुवाई वाली बेंच ने याचिकाकर्ता वकील से कहा था कि वह मामले में दिल्ली हाई कोर्ट अप्रोच कर सकता है। हाई कोर्ट को फैसला लेने दिया जाए। हम इसमें नहीं जाना चाहते। याची ने कहा था कि पटाखे पर पूरी तरह से बैन किया गया है। यह यह बैन दिल्ली पॉल्यूशन कंट्रोल कमिटी ने लगाया है जो सुप्रीम कोर्ट और नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश के विपरीत है क्योंकि पूरी तरह से बैन का आदेश नहीं था। सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी स्पष्ट किया था कि पूरी तरह से बैन नहीं है बल्कि उन पटाखों पर बैन है जिनमें बेरियम सॉल्ट का इस्तेमाल होता है।