सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस मामले को लगातार उठाया जा रहा है। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि क्या आप इंतजार कर सकते हैं। कोर्ट ने याची के वकील से कहा कि इस मामले को संवेदनशील न बनाया जाए। याचिकाकर्ता के वकील कामत ने कहा कि याचिकाकर्ता लड़कियां हैं और एग्जाम 28 मार्च से होने वाला है ऐसे में अर्जेंट सुनवाई की दरकार है क्योंकि उन्हें कॉलेज में घुसने नहीं दिया जा रहा है। कोर्ट ने अर्जेंट सुनवाई की गुहार को स्वीकार नहीं किया।
इससे पहले 16 जुलाई को यह मामला उठाया गया था तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि होली की छुट्टी के बाद मामले की सुनवाई की जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमना की अगुवाई वाली बेंच के सामने कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए मामला उठाया गया। कुछ स्टूडेंट्स याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया है कि इस मामले में काफी अर्जेंसी है क्योंकि लड़कियों को कॉलेज जाना है और उनका एग्जाम आने वाला है। ऐसे में इस मामले की सुनवाई तुरंत होनी चाहिए। हिजाब मामले में कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की गई है।
कर्नाटक हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि हिजाब मुस्लिम धर्म का अभिन्न प्रैक्टिस नहीं है। साथ ही कर्नाटक हाई कोर्ट ने हिजाब पहनकर स्कूल जाने की रोक के फैसले को सही ठहराया है। अब सुप्रीम कोर्ट में कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई है और कहा गया है कि हाई कोर्ट ने धार्मिक स्वतंत्रता की व्याख्या में गलती की है। हाई कोर्ट ने इस बात को भी नहीं देखा कि निजता के अधिकार के तहत हिजाब पहनने का अधिकार मिला हुआ है। साथ ही कहा कि याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट में भी अर्जी दाखिल की थी। उसने राज्य सरकार के पांच फरवरी 2022 के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें ड्रेस कोड लागू किया गया था।
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया है कि हाई कोर्ट ने कर्नाटक एजुकेशन एक्ट 1983 के रूल्स को भी नहीं देखा। रूल्स में यूनिफर्म की अनिवार्यता नहीं बताई गई है। याचिका में यह भी कहा गया है कि हाई कोर्ट ने इस बात को भी ध्यान नहीं दिया कि हिजाब अभिव्यक्ति की आजादी के दायरे में आता है। अनुच्छेद-19 (1)(ए) के तहत हिजाब पहनना अभिव्यक्ति की आजादी है। साथ ही हिजाब अनुच्छेद-25 के तहत धार्मिक प्रैक्टिस के दायरे में आता है।
इस्लाम धर्म में हिजाब या सिर ढकने के लिए स्कार्फ पहनना धार्मिक प्रैक्टिस के दायरे में आता है। लेकिन हाई कोर्ट ने इस बात को नहीं देखा। हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करने वाली स्टूडेंट्स की ओर से सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर कर हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई है। इसी बीच सुप्रीम कोर्ट में एक अन्य की ओर से केवियेट दाखिल की गई है और कहा गया है कि वह भी हाई कोर्ट में पार्टी था लिहाजा उसे भी इस मामले में सुना जाए।