Sindhu Dhara

समाज की पहचान # सिंध की उत्पति एवं इतिहास<> सिंधी भाषा का ज्ञान <> प्रेणादायक,ज्ञानवर्धक,मनोरंजक कहानिया/ प्रसंग (on youtube channel)<>  सिंधी समाज के लिए,वैवाहिक सेवाएँ <> सिंधी समाज के समाचार और हलचल <>


पणजी
पत्रकार तरुण तेजपाल ने मंगलवार को बंबई हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर वर्ष 2013 के दुष्कर्म मामले में उन्हें बरी करने के खिलाफ गोवा सरकार द्वारा दायर अपील पर ‘बंद कमरे’ में सुनवाई का अनुरोध किया। साथ ही उन्होंने अपील की विचारणीयता को लेकर शुरुआती आपत्ति दर्ज कराते हुए उसे खारिज करने की गुहार लगाई।

वहीं गोवा सरकार की ओर से पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने तेजपाल की ‘बंद कमरे में’ सुनवाई की अपील का विरोध करते हुए कहा कि देश को जानने का हक है कि कैसे संस्था ने लड़की (पीड़िता) के साथ व्यवहार किया।

‘बंद कमरे’ में सुनवाई करने की अपील
तेजपाल के वकील अमित देसाई ने मंगलवार को बंबई हाई कोर्ट की गोवा पीठ में न्यायमूर्ति एम एस सोनक और न्यायमूर्ति एम एस जावलकर की खंडपीठ से मामले की सुनवाई ‘बंद कमरे’ में करने की अपील की, जैसा कि इस मामले में निचली अदालत में सुनवाई हुई थी। देसाई ने कहा कि मामले और आरोपों की संवेदनशीलता को देखते हुए सुनवाई ‘बंद कमरे’ में होनी चाहिए। अधिवक्ता ने कहा कि उन्होंने इसके लिए पीठ के समक्ष औपचारिक आवेदन कर विचार करने का अनुरोध किया है।

‘बंद कमरे में सुनवाई के लिए दायर अर्जी का करेंगे अध्ययन’
देसाई ने राज्य सरकार द्वारा दाखिल याचिका की विचारणीयता पर सवाल उठाते हुए इसे खारिज करने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की अपील ‘त्रुटिपूर्ण’ और भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 378 (बरी के मामले में अपील) के ‘अनुरूप’ नहीं है। हालांकि, मेहता ने अदालत से कहा कि वे ‘बंद कमरे में सुनवाई’ के लिए दायर अर्जी का अध्ययन करेंगे।

उन्होंने कहा, ‘देश को जानने का हक है कि शिकायत, विशेष आरोप, सबूत और आरोपों को पुष्ट करने वाले सबूत को लेकर अदालत आने वाली लड़की से इस संस्था ने कैसा व्यवहार किया है।’ इस पर देसाई ने कहा कि मामले का निस्तारण होने तक मेहता के लिए इस तरह की टिप्पणी करना उचित नहीं है।

31 अगस्त को होगी सुनवाई
पीठ ने इस मामले की सुनवाई को 31 अगस्त के लिए सूचीबद्ध की है। मेहता और देसाई दोनों ने ही मामले की सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये करने का अनुरोध किया, जिसपर न्यायाधीशों ने कहा कि इसके लिए उन्हें बंबई हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष आवेदन करना चाहिए।

क्या है पूरा मामला?
21 मई को सत्र अदालत ने तहलका मैगजीन के प्रधान संपादक तेजपाल को बलात्कार के मामले में बरी कर दिया था। उन पर आरोप था कि उन्होंने नवंबर 2013 में गोवा में आयोजित कार्यक्रम के दौरान पांच सितारा होटल की लिफ्ट में अपनी सहकर्मी के साथ यौन शोषण करने का प्रयास किया। इस फैसले के खिलाफ गोवा सरकार ने हाई कोर्ट में अपील दाखिल की है।



Source link

By admin