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satyapal malik and his statements: BJP govt won’t return to power if farmers’ demands not met, Meghalaya Governor Satya Pal Malik made a big statement on Kashmir and agriculture laws on Monday, It is against the party line, This is not the first time that Satyapal Malik has targeted the BJP, he has done so many times before, Farm laws: ‘Why is Modi govt not fulfilling only demand of farmers?’ asks Meghalaya Guv Satya Pal Malik amid MSP row: आखिर BJP के लिए सिरदर्द क्‍यों बन गए हैं सत्‍यपाल मलिक? फिर पैदा कर दी असहज स्थिति


नई दिल्‍ली
जम्‍मू-कश्‍मीर में बढ़ती आतंकी वारदातों के बीच मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने बड़ा बयान दिया है। वह जम्मू कश्मीर के राज्‍यपाल भी रहे हैं। इस बयान ने बीजेपी का दर्द जरूर बढ़ा दिया है। मलिक ने कहा कि उनके राज्यपाल रहते श्रीनगर में तो क्‍या उसके 50-100 किमी के आसपास भी आतंकी नहीं फटक पाते थे। वहीं, अब राज्‍य में वो हत्‍याओं को अंजाम दे रहे हैं। सरकार के स्‍टैंड से उलट उन्‍होंने तीन केंद्रीय कृषि कानूनों की वापसी का भी समर्थन किया। यह पहली बार नहीं है जब मलिक ने सरकार के विपरीत रुख अख्तियार किया है। पहले भी वो ऐसा कर चुके हैं।

मलिक का ताजा बयान कश्‍मीर में आतंकी वारदातों पर अंकुश लगा पाने में BJP सरकार की नाकामी पर सीधा हमला है। जम्‍मू-कश्‍मीर केंद्र शासित प्रदेश बन चुका है। अभी इसकी कमान उपराज्‍यपाल मनोज सिन्‍हा के हाथों में है। सत्‍यपाल मलिक इस राज्‍य के अंतिम राज्‍यपाल भी थे। उनके कार्यकाल के दौरान ही जम्‍मू-कश्‍मीर को विशेष दर्जा देने वाले आर्टिकल 370 को हटाया गया था।

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किसानों की न सुनी तो दोबारा नहीं आएगी सरकार
इसके अलावा मेघालय के राज्यपाल ने केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों का भी समर्थन किया। कहा कि अगर किसानों की नहीं सुनी गई तो यह केंद्र सरकार दोबारा नहीं आएगी। मलिक ने कहा कि लखीमपुर खीरी मामले में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा का इस्तीफा उसी दिन होना चाहिए था। वो वैसे ही मंत्री होने लायक नहीं हैं।

सत्‍यपाल बोले कि किसानों के साथ ज्यादती हो रही है। वो 10 महीने से पड़े हैं। उन्होंने घर बार छोड़ रखा है, फसल बुवाई का समय है और वो अब भी दिल्ली में पड़े हैं तो उनकी सरकार को सुनवाई करनी चाहिए।

राज्‍यपाल ने कहा कि वह किसानों के साथ खड़े हैं। उनके लिए प्रधानमंत्री, गृह मंत्री सबसे झगड़ा कर चुके हैं। सबको कह चुके हैं कि यह गलत हो रहा है। जिसकी सरकार होती है उसको बहुत घमंड होता है। वो समझते नहीं जब तक कि पूरा सत्यानाश न हो जाए। सरकारें जितनी भी होती हैं उनका मिजाज थोड़ा आसमान में हो जाता है। लेकिन, वक्त आता है फिर उनको देखना भी पड़ता है सुनना भी पड़ता है। यही सरकार का होना है।

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कोरोना के कुप्रबंधन का उठाया था मुद्दा
गोवा का राज्‍यपाल रहत हुए मलिक ने कोविड के कुप्रबंधन का मुद्दा उठाया था। साथ ही उन्होंने राज्य सरकार के एक नए राजभवन के निर्माण के फैसले पर भी आपत्ति जताई थी। इसके चलते सत्यपाल मलिक और गोवा के मुख्यमंत्री के बीच संबंध खराब हुए थे। इसे देखते हुए ही उन्‍हें मेघालय का राज्‍यपाल बनाया गया था।

कैसे शुरू हुआ राजनीतिक सफर?
जाट परिवार से आने वाले सत्यपाल मलिक के पूर्वज यूं तो हरियाणा के हैं, लेकिन सत्यपाल मलिक की पैदाइश वेस्ट यूपी की है। लोहिया के समाजवाद से प्रभावित होकर बतौर छात्र नेता अपना राजनीतिक सफर शुरू करने वाले सत्यपाल मलिक ने 70 के दशक में कांग्रेस विरोध की बुनियाद पर यूपी में नई ताकत बनकर उभर रहे चौधरी चरण सिंह का साथ पकड़ा। चरण सिंह कहा करते थे, ‘इस नौजवान में कुछ कर गुजरने का जज्बा दिखता है।’ उन्होंने 1974 में उस समय की अपनी पार्टी- भारतीय क्रांति दल से सत्यपाल मलिक को टिकट दिया और 28 साल की उम्र में सत्यपाल विधायक चुन लिए गए।

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बदलते रहे हैं पार्टियां
उम्र और तजुर्बे से परिपक्व होते वक्त सत्यपाल को जब यह अहसास हुआ कि चौधरी साहब का साथ उन्हें वेस्ट यूपी की पॉलिटिक्स तक ही सीमित रखेगा, तो वो कांग्रेस विरोध छोड़कर कांग्रेस में ही शामिल हो गए। 1984 में राज्यसभा पहुंचे। अगले ही कुछ सालों के भीतर कांग्रेस के अंदर से ही कांग्रेस के खिलाफ एक नारा गूंजने लगा था, ‘राजा नहीं फकीर है, देश की तकदीर है।’

वीपी सिंह ने सत्यपाल से पूछा, ‘हमारे साथ आओगे?’ सत्यपाल जनता दल में आ गए। सांसद बने और वीपी सरकार में मंत्री भी, लेकिन 2004 में उन्होंने बीजेपी जॉइन कर ली। अपने राजनीतिक गुरु चौधरी चरण सिंह के ही पुत्र अजित सिंह के खिलाफ बागपत से चुनाव लड़ गए। हार मिली, लेकिन बीजेपी ने उन्हें अपने साथ बनाए रखा। 2014 में मोदी सरकार आने के बाद उन्हें पहले बिहार का राज्यपाल बनाया गया, फिर वो जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल बने। इसके बाद गोवा और फिर मेघालय के राज्‍यपाल रहे।

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