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Political Events Of The Week: nitish kumar delhi visit: who is bjp new partner: congress president election


अब नीतीश कुमार का अगला कदम क्या होगा? पटना से ज्यादा दिल्ली में इस बात को लेकर उत्सुकता है। नीतीश कुमार के करीबियों ने संकेत दिया था कि सितंबर के पहले हफ्ते में वह दिल्ली आएंगे। इसके बाद दिल्ली का उनका नियमित दौरा शुरू होगा। वह तमाम दूसरे क्षेत्रीय दलों के नेताओं से मिलने उनके राज्यों में भी जाएंगे। साथ ही अलग-अलग राज्यों में अगले तीन महीने में उनके आधे दर्जन कार्यक्रम तय हैं, उनमें तो वह हिस्सा लेंगे ही। इन तमाम बैठकों में उनके दो उद्देश्य होंगे- 2024 के आम चुनाव और विपक्षी एकता। नीतीश के करीबियों के अनुसार, इस बार वह अपनी मंजिल को लेकर बिल्कुल साफ हैं और अगले कुछ महीने में उसे वह देश के सामने पेश भी कर देंगे। लेकिन क्या वह मंजिल पीएम पद की दावेदारी है? इस बारे में अभी उनके करीबी इंकार कर रहे हैं। उनका दावा है कि अभी नीतीश कुमार बस विपक्ष को एक करने की चुनौती स्वीकार कर रहे हैं। इसके लिए दक्षिण के एक नेता के साथ वह लगातार संपर्क में हैं। इसके आगे उन्होंने अभी कुछ सोचा नहीं है।

​बीजेपी का नया पार्टनर

हाल के समय में बीजेपी का अपने कई पुराने सहयोगी दलों से साथ छूटा। पिछले दिनों बिहार में नीतीश कुमार बीजेपी से अलग हो गए। सियासी हलकों में इन दिनों चर्चा यह है कि दक्षिण में बीजेपी को जल्द ही एक नया सहयोगी मिल सकता है। आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू एक बार फिर बीजेपी से गठबंधन के पक्ष में हैं। बीजेपी को भी उनके साथ गठबंधन में कोई नुकसान नहीं दिख रहा है। दोनों पहले न सिर्फ एक गठबंधन में रह चुके हैं बल्कि नायडू कभी एनडीए के संयोजक भी हुआ करते थे। 2014 में जब नरेंद्र मोदी पीएम पद के उम्मीदवार बने, तब नायडू ही सबसे पहले सहयोगी के रूप में सामने आए थे। लेकिन 2019 में वह उनसे अलग हो गए और विपक्ष को एक करने में अपनी पूरी ताकत लगा दी। अब हालात बदल गए हैं। नायडू के उनके ही प्रदेश में जगन रेड्डी पूरी तरह स्थापित हो चुके हैं। बीजेपी की दुविधा की यही वजह है। जगन दिल्ली में मोदी सरकार को समर्थन दे रहे हैं। अगर बीजेपी नायडू के साथ जाती है तो जगन के सामने बीजेपी विरोध के अलावा कोई विकल्प नहीं रहेगा।

​मान नहीं रहे गहलोत

भले ही कांग्रेस के कई नेता राहुल गांधी को सार्वजनिक रूप से दोबारा अध्यक्ष बनाने के लिए लगातार बयान दे रहे हों, लेकिन अगर किसी एक नेता को मनाने की लगातार कोशिश की जा रही है तो वह हैं अशोक गहलोत। राजस्थान के सीएम और पार्टी के दिग्गज नेता का नाम कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए दावेदारी में सबसे आगे चल रहा है। इतना आगे कि खुद उन्हें ही निर्णय लेना है कि उन्हें नया अध्यक्ष बनना है या नहीं। लेकिन गहलोत हैं कि मान नहीं रहे। वह ऐसी शर्त रख रहे हैं जो असहज स्थिति पैदा कर रही है। पार्टी का मानना है कि गहलोत अगर पार्टी अध्यक्ष बनते हैं तो स्वाभाविक रूप से सचिन पायलट राजस्थान के सीएम बनेंगे और वहां सालों से चल रही गुटबाजी आखिरकार खत्म हो जाएगी। लेकिन गहलोत वहां अपनी पसंद का सीएम बनाना चाहते हैं। वह पार्टी के दूसरे नेता सीपी जोशी या रघु शर्मा को सामने लाना चाहते हैं और पायलट को स्वीकार करने के मूड में नहीं हैं। अब ऐसा क्या पार्टी को स्वीकार होगा?

​बोल मेरी मछली, कितना पानी

कांग्रेस की महत्वाकांक्षी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ 7 सितंबर से शुरू हो रही है। इस यात्रा को 2024 आम चुनाव की तैयारी माना जा रहा है। पार्टी इसमें पूरी ताकत लगा रही है। पिछले आठ सालों के दौरान विपक्ष का यह सबसे बड़ा अभियान माना जा रहा है। इसके बहाने कांग्रेस यह भी देखेगी कि उसके सहयोगी दल इस यात्रा में किस स्तर तक भाग लेते हैं। पार्टी ने यात्रा में शामिल होने के लिए सभी दलों को न्योता भेजा है। पार्टी नेताओं का मानना है कि तमिलनाडु में डीएमके, महाराष्ट्र में एनसीपी नेता इस यात्रा में जरूर शामिल होंगे। इनकी रुचि ठाकरे परिवार की मंशा भी जानने की है। वहीं केरल में कांग्रेस लेफ्ट का साथ नहीं चाहती है क्योंकि वहां लेफ्ट उसके खिलाफ चुनाव लड़ता रहा है। पार्टी को जेडीएस के भी इस यात्रा में साथ आने की उम्मीद नहीं है। मगर और भी कई सहयोगी दल तो हैं ही, तो इस यात्रा में बाकी सब क्या करते हैं- यह भी देखा जाएगा। वैसे माना जा रहा है कि 3500 किलोमीटर की इस पदयात्रा में राहुल गांधी लगातार शामिल रहेंगे।

​आजाद के बाद कौन?

कांग्रेस के असंतुष्ट गुट जी-23 के अगुवा गुलाम नबी आजाद ने जब पार्टी से इस्तीफा दिया तो कहा गया कि इसके सारे नेता अब छोड़कर जा चुके हैं। कपिल सिब्बल पहले ही पार्टी छोड़कर एसपी का दामन थाम चुके हैं। बाकी दो नेताओं के बारे में पार्टी ने मान लिया है कि उनका जाना तय है। इनमें एक सीनियर नेता के राज्य में विधानसभा चुनाव है। इसलिए अगर उन्हें छोड़ना होगा तो वह अगले कुछ दिनों में ऐसा कर सकते हैं। कांग्रेस यह भी मान रही है कि ये नेता ऐसे समय में जाएंगे, जब पार्टी पर सबसे ज्यादा असर हो। वहीं कांग्रेस के कुछ नेता मान रहे हैं कि पार्टी की भारत छोड़ो यात्रा के समय भी जी-23 नेताओं की ओर से ऐसी कुछ बातें की जा सकती हैं। जी-23 के दूसरे नेता के बारे में माना जा रहा है कि चूंकि अभी वह लोकसभा सांसद हैं, इसलिए पार्टी छोड़ नहीं सकते। अगर पार्टी छोड़ेंगे तो लोकसभा से भी त्यागपत्र देना होगा। पार्टी के एक सीनियर नेता ने कहा कि वैसे उनका छोड़ना तय है, और वह आम चुनाव से पहले ही छोड़ेंगे। तब तक पार्टी के अंदर रहकर बयान देते रहेंगे, लेकिन पार्टी अब उस पर कान नहीं देगी।



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By admin