मोदी ने खींच दी लकीर
खैर, दुनिया की सबसे बड़ी पंचायत में वर्ल्ड लीडर्स ने थोक भाव ने हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की। कैसे सार्वजनिक तौर पर मीडिया के सामने मोदी ने पुतिन से हार्ड टॉक कर एक लकीर खींच दी। सारे मुरीद हैं। लेकिन निसहाय हैं। तो उम्मीद की किरण मोदी से नजर आ रही है। इससे पहले अप्रैल-मई के महीने से ही दिल्ली दुनिया के तमाम ताकतवर देशों के राष्ट्राध्यक्षों और कूटनयिकों का अड्डा बन चुका है। यहां तक कि चीन के विदेश मंत्री भी भारत पहुंच गए। हो भी क्यों न। दो मार्च 2022 को यूएन महासभा में रूस के खिलाफ निंदा प्रस्ताव में भारत-पाकिस्तान और चीन ने हिस्सा नहीं लिया। किसने सोचा था कि किसी भी मसले पर ये तीनों देश एक साथ आ सकते हैं या दिखाई दे सकते हैं। हो सकता हो संयोग हो लेकिन इसी 13 सितंबर को गोगरा-हॉट स्प्रिंग के पेट्रोलिंग पॉइंट 15 पर चल रहा तनाव सैनिकों के पीछे आने से दूर हो चुका है। चीन ने दो दिन पहले ही कहा है कि अब लद्दाख में शांति की तरफ लौट रहे हैं। खैर, अब दुनिया को लग रहा है कि मोदी थोड़ा और जोर लगा दें तो पुतिन को जंग खत्म करने के लिए मना सकते हैं। इतना तो ठीक है लेकिन दुनिया की कोई ताकत भारत को मजबूर नहीं कर सकती। अगर हमने रूस का साथ दिया तो ये स्वतंत्र फैसला था और 25 अगस्त को पहली बार रूसी प्रस्ताव का विरोध किया तो वो भी स्वतंत्र फैसला था। इसको लेकर बाकी दुनिया कोई राय कायम न करे। 25 अगस्त का रूसी प्रस्ताव था कि जेलेंस्की को यूएन में ऑनलाइन भाषण देने से रोका जाए। भारत ने इसका विरोध किया। पश्चिमी मीडिया ने इसे हमारे बदलते रुख के तौर पर पेश किया लेकिन जल्दी ही समझा दिया गया कि ये वोट रूस के खिलाफ नहीं है। दरअसल ये रूस के साथ दोस्ती बढ़ाने वाला दांव था।
न हम पहले झुके हैं, न आगे झुकेंगे। राष्ट्रहित में जो उचित होगा वैसा करेंगे। पहले हम पश्चिम की चाल समझते थे पर हाथ बंधे थे लेकिन ये सरकार चुप नहीं बैठती, मुंह भर सुना देती है।
आलोक कुमार
अब जब वॉशिंगटन में 11 दिनों के भीतर 50 से ज्यादा देशों के साथ ताबड़तोड़ मीटिंग कर एस जयशंकर ने हर कठिन सवाल का सीधा और तगड़ा जवाब दिया है तब अमेरिका ने नई डिमांड सामने रखी है। अमेरिका हमसे ये कह रहा है कि रूस ने यूक्रेन के चार इलाकों पर कब्जा किया है जिसके खिलाफ यूएन में प्रस्ताव लाया जाएगा और भारत को इसका समर्थन करना चाहिए। इससे पहले जयशंकर ने वॉशिंगटन में बताया कि कैसे दुनिया के कई देश भारत से बात करना चाहते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि हम सभी ध्रुवों से संपर्क में हैं और उन पर असर डाल सकते हैं। इससे पहले संयुक्त राष्ट्र महासभा में जयशंक ने कहा था – दुनिया जिस अवस्था में है, उसमें भारत महत्व रखता है। हम एक सेतु हैं, हम एक आवाज हैं, हम एक दृष्टिकोण, एक जरिया हैं।
अब बात आती है कि यूएन में रूस के खिलाफ फिर प्रस्ताव आएगा तो भारत क्या करेगा। ये सवाल पत्रकारों ने जयशंकर से भी पूछ लिया। उन्होंने कूटनीतिक कौशल का परिचय देते हुए कहा कि जब सुरक्षा परिषद में बात होगी तब देखा जाएगा, यूएन में हमारे राजदूत इसका जवाब देंगे। माना जा रहा है कि अगले हफ्ते तक अमेरिका की तरफ से ये प्रस्ताव यूएन में आएगा। हमरा रुख हमें पता है लेकिन अमेरिका को किसी तरह के दबाव से बाज आना चाहिए। न हम पहले झुके हैं, न आगे झुकेंगे। राष्ट्रहित में जो उचित होगा वैसा करेंगे। पहले हम पश्चिम की चाल समझते थे पर हाथ बंधे थे लेकिन ये सरकार चुप नहीं बैठती, मुंह भर सुना देती है। आपने भी देखा होगा कैसे अमेरिका ने पाकिस्तान को एफ-16 लड़ाकू विमानों के रख रखाव के लिए 45 करोड़ डॉलर दे दिए और बताया कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में ये काम आएंगे। तो एस जयशंकर ने सुना दिया कि ये दलील देकर तुम किसको मूर्ख बना रहे हो। उधर जो बाइडन बिना भारत का नाम लिए यूएन में कहते हैं कि समय आ गया है सुरक्षा परिषद का विस्तार किया जाए। मतलब भारत को शामिल किया जाए। ये मस्का लगाने जैसा है या कुछ और पता नहीं पर यही हमारी जीत है। दुनिया को पता चल चुका है कि आंख दिखाकर भारत को झुका नहीं सकते।