Sindhu Dhara

समाज की पहचान # सिंध की उत्पति एवं इतिहास<> सिंधी भाषा का ज्ञान <> प्रेणादायक,ज्ञानवर्धक,मनोरंजक कहानिया/ प्रसंग (on youtube channel)<>  सिंधी समाज के लिए,वैवाहिक सेवाएँ <> सिंधी समाज के समाचार और हलचल <>


हाइलाइट्स

  • पंजशीर की खूबसूरत घाटी से मिल रही तालिबान को चुनौती
  • इस घाटी पर तालिबान अबतक नहीं कर पाया है कब्जा
  • सोवियत संघ और अमेरिका भी कभी इस पर नियंत्रण नहीं कर सके

नई दिल्ली
पंजशीर घाटी को जीतना तालिबान के मुश्किल रहा है। यह एक प्रांत रहा है जहां पर अभी तक तालिबान अपना कब्जा नहीं कर पाया है। खुद को राष्ट्रपति घोषित कर चुके अमरुल्ला सालेह भी यहीं से आते हैं। कहा जा रहा है कि तालिबान के खिलाफ प्रतिरोध के लिए यह प्रांत एक गढ़ के रूप में काम करेगा।

तालिबान का सामने करने के लिए एक बार फिर याद आने लगी उसी समूह यानी पंजशीर के उत्तरी गठबंधन की जिसने 1970 और 80 के दशक में देश की ढाल का काम किया था। यही उत्तरी गठबंधन एक बार फिर सामने आता दिख रहा है। पहले उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने जंग जारी रहने का ऐलान किया। इसके बाद पंजशीर घाटी से अहमद मसूद ने भी ललकार लगाई है।

तालिबान से हमदर्दी रखने वालो, जरा इन तस्‍वीरों पर भी गौर फरमाएं…. देखिए कितना बदलाव आया है

  1. क्या है इस घाटी का इतिहास?
    पंजशीर घाटी का अर्थ है पांच सिंहों की घाटी। इसका नाम एक किंवदंती से जुड़ा हुआ है। माना जाता है कि 10वीं शताब्दी में, पांच भाई बाढ़ के पानी को नियंत्रित करने में कामयाब रहे थे। उन्होंने गजनी के सुल्तान महमूद के लिए एक बांध बनाया, ऐसा कहा जाता है। इसी के बाद से इसे पंजशीर घाटी कहा जाता है।
  2. तालिबान को कब से है चुनौती?
    पंजशीर घाटी काबुल के उत्तर में हिंदू कुश में स्थित है। यह क्षेत्र 1980 के दशक में सोवियत संघ और फिर 1990 के दशक में तालिबान के खिलाफ प्रतिरोध का गढ़ था। इस घाटी में डेढ़ लाख से अधिक लोग रहते हैं। अमरुल्लाह सालेह का जन्म पंजशीर प्रांत में हुआ था और वह वहीं ट्रेन हुए हैं। इस क्षेत्र को कभी भी कोई जीत न सका। न सोवियत संघ, न अमेरिका और न तालिबान इस क्षेत्र पर कभी नियंत्रण कर सका।
  3. क्यों नहीं किया अब तक हमला?
    तालिबान ने अब तक पंजशीर पर हमला नहीं किया है। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि पंजशीर घाटी ऐसी जगह पर है जो इसे प्राकृतिक किला बनाता है और इसे हमला न होने का एक प्रमुख कारण बताया जाता है।
  4. क्या अब भी दे रहा है चुनौती?
    इस घाटी को नॉर्दर्न अलायंस भी कहा जाता है। यह अलायंस 1996 से लेकर 2001 तक काबुल पर तालिबान शासन का विरोध करने वाले विद्रोही समूहों का गठबंधन था। एकबार फिर यह अलायंस तालिबान के खिलाफ प्रतिरोध करने के लिए सक्रिय हो चुका है। कहा जा रहा है कि तालिबान की खिलाफत करने वाले सालेह भी इसी घाटी में हैं।

Panjshir



Source link

By admin