केंद्रीय आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कांस्य से बने इस प्रतीक की ऊंचाई 6.5 मीटर हैं और इसे सहारा देने वाले ढांचे समेत इसका वजन 16,000 किलोग्राम (9,500 किलोग्राम वजन का राष्ट्रीय प्रतीक और इसे सहारा देने वाला 6,500 किलोग्राम वजनी ढांचा) है। उन्होंने बताया कि यह प्रतीक उच्च गुणवत्ता वाले कांस्य से बनाया गया है और यह भारतीय कारीगरों द्वारा पूर्णतय: हस्तनिर्मित है। उन्होंने कहा, ‘सामग्री और शिल्प कौशल के दृष्टिकोण से भारत में कहीं और प्रतीक का इस प्रकार के चित्रण नहीं किया गया है।’
100 से अधिक कारीगर और 9 महीने का श्रम
अधिकारी ने आगे कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों के 100 से अधिक कारीगरों ने इस गुणवत्ता का राष्ट्रीय प्रतीक डिजाइन करने और उसे बनाने के लिए नौ महीने अथक परिश्रम किया। उन्होंने कहा कि नए संसद भवन की छत पर राष्ट्रीय प्रतीक को स्थापित करने की प्रक्रिया ‘क्ले मॉडल’ और ‘कंप्यूटर ग्राफिक्स’ बनाने से लेकर कांस्य की ढलाई और उसे पॉलिश करने तक आठ अलग-अलग चरणों से गुजरी।
उन्होंने कहा कि केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (CPWD) के सुझाव के अनुसार प्रारंभिक अवधारणा डिजाइन को अहमदाबाद के एचसीपी (हसमुख सी. पटेल) ने तैयार किया। इसके बाद टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड के जरिए देवरे एंड एसोसिएट्स, औरंगाबाद के सुनील देवरे ने क्ले और थर्मोकोल मॉडल तैयार किए। शेष प्रक्रियाएं जयपुर और दिल्ली में विशेषज्ञ कारीगरों ने कीं। अधिकारियों ने बताया कि स्थापित ढांचे की दीवार की मोटाई पांच से सात मिमी है।
प्रधानमंत्री ने सोमवार को किया था अनावरण
प्रधानमंत्री मोदी ने नए संसद भवन की छत पर बने राष्ट्रीय प्रतीक का सोमवार को अनावरण किया। इस दौरान लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश और शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी भी उपस्थित थे। प्रधानमंत्री ने निर्माण स्थल पर एक धार्मिक कार्यक्रम में भी भाग लिया।
पीएम मोदी ने इस दौरान संसद भवन के निर्माण कार्य में लगे मजदूरों से भी बातचीत की और उनसे कहा कि उन्हें अपने काम पर गर्व होना चाहिए। मोदी ने कहा कि वे राष्ट्र के गौरव में बहुत बड़ा योगदान दे रहे हैं। प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया, ‘मेरी संसद भवन के निर्माण में लगे श्रमजीवियों के साथ बहुत अच्छी बातचीत हुई। हमें उनके प्रयासों पर गर्व है और हमारे देश के लिए उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा।’