13 साल में 6.09 करोड़ की संपत्ति बनाई
चौटाला पर साल 1993 से 2006 के बीच आय के अलावा अज्ञात स्रोतों से करीब 6.09 करोड़ की संपत्ति अर्जित करने का आरोप था। इस पर सुनवाई करते हुए दिल्ली की अदालत ने 19 मई को चौटाला को दोषी करार दिया था। इसके बाद स्पेशल जज (पीसी ऐक्ट) (सीबीआई) विकास ढुल ने सजा तय करने के लिए 26 मई की तारीख तय की थी। गुरुवार को सजा पर बहस पूरी हो गई थी। अदालत ने इसके बाद सजा के लिए शुक्रवार दोपहर दो बजे का वक्त तय किया था।
चौटाला पर क्या आरोप
ओम प्रकाश चौटाला पर आरोप है कि हरियाणा के मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए उन्होंने अवैध तरीके से परिवार के सदस्यों और अन्य लोगों के साथ भ्रष्टाचार किया। चार्जशीट के मुताबिक चौटाला ने अचल संपत्ति (Assets) जमा की थी। 3 अप्रैल, 2006 को हरियाणा के पूर्व सीएम चौटाला पर केस दर्ज हुआ था। वहीं इस मामले की जांच के बाद चौटाला के खिलाफ 26 मार्च, 2010 को चार्जशीट दाखिल की गई थी। इस मामले में चौटाला के साथ ही साथ बेटे अभय सिंह चौटाला और अजय सिंह चौटाला भी आरोपी हैं। जांच एजेंसी के मुताबिक, चौटाला ने इस बीच दिल्ली के असोला गांव में 95 लाख रुपये की लागत से एक फार्म हाउस भी बनाया था। सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष ने इस आरोप का खंडन किया था और दलील दी थी कि संबंधित जमीन कृषि भूमि है और उस पर कोई फार्म हाउस नहीं है।
3.68 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क
2019 में ईडी ने चौटाला की 3.68 करोड़ रुपये की संपत्ति को कुर्क कर दिया था। इसमें उनके दिल्ली, पंचकुला और सिरसा में मौजूद फ्लैट, एक प्लॉट और जमीन शामिल थी। पीएमएलए के प्रावधानों के तहत चौटाला पर कार्रवाई हुई थी। जनवरी 2021 में स्पेशल जज विकास धुल ने मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्ट 2002 की धारा 4 के तहत चौटाला के खिलाफ आरोप तय किए।
पोलियो और बुजुर्ग होने के आधार पर कम सजा की दलील
गुरुवार को सजा पर बहस के दौरान ओपी चौटाला हाजिर हुए और कोर्ट रूम में ही मौजूद रहे। चौटाला के वकील हर्ष शर्मा ने कम सजा के लिए मेडिकल आधार का तर्क दिया। वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल चौटाला जन्म से ही पोलियो से संक्रमित हैं। साथ ही वह आंशिक रूप से अक्षम हैं। वकील ने चौटाला का बचाव करते हुए दलील दी कि उनके ऊपर 1993-2006 के दौरान आय से ज्यादा संपत्ति अर्जित करने का आरोप है। यह वक्त 20 साल से ज्यादा का है। इस बीच उन्होंने हमेशा जांच में सहयोग किया है।
सीबीआई ने दलील को किया नामंजूर
सीबीआई के विशेष लोक अभियोजक अजय गुप्ता ने खराब स्वास्थ्य और उम्र के आधार पर रियायत देने के लिए चौटाला के वकील की दलीलों का विरोध किया। जांच एजेंसी ने अदालत से गुजारिश की कि चौटाला को अधिकतम सजा दी जाए क्योंकि इस केस से समाज में बड़ा संदेश जाएगा। सीबीआई ने कहा कि इस मामले में आरोपी एक बड़ी हस्ती है और न्यूनतम सजा देने से गलत संदेश जाएगा। साथ ही आरोपी का पुराना इतिहास साफ नहीं है। यह दूसरा मामला है जिसमें उसे दोषी ठहराया गया है।
तिहाड़ जेल से सजा काटकर आए बाहर
दिल्ली की ही एक अदालत ने टीचर भर्ती घोटाले के सिलसिले में साल 2013 में ओम प्रकाश चौटाला और उनके बेटे अजय चौटाला को 10 साल कैद की सजा सुनाई थी। पिछले साल दो जुलाई को वह जेल की सजा काटकर बाहर निकले थे। साल 2000 में हरियाणा में 3,206 टीचरों की अवैध भर्ती के लिए जेबीटी स्कैम (JBT Scam) में कुल 55 लोगों को दोषी करार दिया गया था। इन दोषियों में चौटाला के अलावा उनके तत्कालीन पॉलिटिकल एडवाइजर शेर सिंह बादशामी, तत्कालीन ओएसडी विद्याधर आईएएस और तत्कालीन प्राइमरी एजुकेशन डायरेक्टर संजीव कुमार भी शामिल थे। 2 जुलाई को सजा पूरी करने के बाद चौटाला दिल्ली की तिहाड़ जेल से आजाद हुए थे। चौटाला ने 87 साल की उम्र में हरियाणा बोर्ड से 10वीं और 12वीं की परीक्षा पास की है। इस बात को लेकर भी वह काफी चर्चा में रहे थे।
क्यों टलती रही केस की सुनवाई?
चौटाला पर आय से ज्यादा संपत्ति के मामले में कई बार सुनवाई टली। ट्रायल के दौरान कई आधारों पर स्थगन की मांग की। कभी हार्ट के लिए पेसमेकर लगवाने तो कभी सर्जरी और कभी समन न जारी होने की दलील दी गई। मार्च 2013 में दिल्ली की कोर्ट ने चौटाला के अस्पताल में भर्ती होने के बारे में सूचित न करने पर तिहाड़ जेल के अधिकारियों को फटकार लगाई थी। चौटाला आरएमएल अस्पताल में भर्ती हुए थे और इसके चलते आय से ज्यादा संपत्ति मामले के ट्रायल में पेश नहीं हुए थे। कोर्ट ने इस मामले में जेल सुपिरिंटेंडेंट को नोटिस भी जारी किया था और चौटाला के हेल्थ स्टेटस पर रिपोर्ट मांगी थी। कोर्ट की तरफ से चौटाला के खिलाफ वॉरंट भी जारी किया गया था।