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News about Pakistan Political crisis: अयूब खान, जियाउल, मुशर्रफ… कब-कब पाकिस्‍तान में आया सेना का राज, भारत के साथ कैसे रहे रिश्‍ते? : Pakistan Big Political crisis: Imran Khan govt in Pakistan facing crisis: Pakistan faced military coup before: Imran Khan facing no-confidence motion in Pakistan


Military Rule in Pakistan: पाकिस्‍तान में एक बार फिर हलचल है। इमरान खान (PM Imran Khan) के सामने अविश्‍वास प्रस्‍ताव (No confidence motion) की चुनौती है। वह कुर्सी बचाने की जुगत में लगे हैं। पाकिस्‍तान में उनके खिलाफ लोगों ने हल्‍ला-बोल दिया है। 8 मार्च के बाद से पाकिस्‍तानी पीएम पर संकट के बादल घिरे हुए हैं। तब विपक्षी दलों के नेशनल असेंबली सचिवालय में अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया था। इसे सोमवार को सदन में लाया जाएगा। इस नोटिस के बाद से ही पाकिस्तान में सियासी सरगर्मी बढ़ गई है। इमरान खान अविश्‍वास प्रस्‍ताव से पहले इस्‍तीफा देने से इनकार कर चुके हैं। लोग पाकिस्‍तान में आर्थिक संकट और बेतहाशा बढ़ती महंगाई के लिए इमरान के नेतृत्‍व वाली पाकिस्तान-तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) पार्टी को कसूरवार मानते हैं। अविश्‍वास प्रस्‍ताव की चुनौती से देश में राजनीतिक उठापटक की आशंका है। पाकिस्‍तान में तख्‍तापलट (Military Coup) और सैन्‍य शासन (Military Rule in Pakistan) का पुराना इतिहास रहा है। आइए, यहां जानते हैं कब-कब पाकिस्‍तान में सेना का राज आया और इस दौरान भारत के साथ उसके किस तरह के रिश्‍ते रहे।

पाकिस्‍तान की आजादी के बाद से चार बार फौज की हुकूमत आई। यह और बात है कि तख्‍तापलट के असफल प्रयास कई बार हुए। 1947 में पाकिस्‍तान के अस्तित्‍व में आने के बाद से कई दशक लोगों पर सेना ने राज किया। इसका गठन होने के कुछ ही साल बाद सत्‍ता की कमान जबरन सेना ने अपने हाथों में ले ली।

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पहला तख्‍तापलट 1953 में हुआ था। लेकिन, यह सैन्‍य नहीं, बल्कि संवैधानिक तख्‍तापलट था। इसने सैन्‍य शासकों को आगे चुनी सरकारों को बेदखल करने का रास्‍ता खोला था। ऐसे में इसका जिक्र जरूरी है। तब गवर्नर-जनरल गुलाम मोहम्मद ने तत्‍कालीन प्रधानमंत्री ख्वाजा नजीमुद्दीन की सरकार को बर्खास्त कर दिया था। इसके बावजूद कि उनकी सरकार को संविधान सभा का समर्थन था। फिर 1954 में गुलाम मोहम्‍मद ने संविधान सभा को ही खारिज कर दिया था ताकि उसे गवर्नर-जनरल की शक्तियों पर अंकुश लगाने से रोका जा सके। गुलाम मोहम्‍मद अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) का पढ़ा था। इस दौरान पाकिस्‍तान के ब्रिटेन और अमेरिका के साथ बहुत अच्‍छे संबंध थे। जबकि भारत के साथ उसके रिश्‍ते खट्टे थे। यह वही समय था जब पाकिस्‍तान संयुक्‍त राष्‍ट्र में कश्‍मीर के मुद्दे को तूल देने में लगा था।

1958 में पाकिस्‍तान को दोबारा तख्‍तापलट देखना पड़ा था। तब पहले पाकिस्तानी राष्ट्रपति मेजर जनरल इस्कंदर मिर्जा ने पाकिस्तान की संविधान सभा और प्रधानमंत्री फिरोज खान नून की सरकार को बर्खास्त कर दिया था। मिर्जा ने आर्मी कमांडर-इन-चीफ जनरल अयूब खान को चीफ मार्शल लॉ एडमिनिस्‍ट्रेटर नियुक्त किया था। तेरह दिन बाद मिर्जा को अयूब खान ने ही चलता कर दिया था। फिर आयूब खान ने खुद को राष्ट्रपति घोषित कर दिया था। पाकिस्‍तान में खान का राज एक दशक चला। 1962 में चीन और भारत युद्ध के बाद अयूब खान ने बड़ी साजिश रची थी। उसने आम लोगों के वेश में हजारों पाक‍िस्‍तानी सैनिक भारतीय कश्‍मीर में भेजे थे। इसका मकसद लोगों को विद्रोह के लिए भड़काना था। 1965 में भारत से करारी शिकस्‍त के बाद अयूब खान की सत्‍ता पर पकड़ ढीली पड़ गई थी।

अयूब खान गद्दी पर 1969 तक रहा। इसके बाद अयूब को खिसकाकर याह्या खान ने सत्‍ता अपने हाथों में ले ली। याह्या खान के हाथों में पाकिस्‍तान की सत्‍ता 1971 तक रही। उन्‍हीं के समय में पाकिस्‍तान से पूर्वी पाकिस्‍तान छिटककर अलग हो गया था। यह एक नया देश बांग्‍लादेश बनकर दुनिया के नक्‍शे में उभरा था। तब भी पाकिस्‍तान को भारत के हाथों करारी शिकस्‍त मिली थी।

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इसके बाद पाकिस्‍तान में प्रजातंत्र की आंधी चली थी। जुल्‍फीकार अली भुट्टो को लोगों ने चुनकर प्रधानमंत्री बनाया। उन्‍होंने जनरल जियाउल हक को सेना प्रमुख बनाया था। उसी सेना प्रमुख ने 1977 में भुट्टो का तख्‍तापलट किया था। पाकिस्‍तान की नेशनल एसेंबली और सभी प्रांतीय सभाओं को निरस्‍त करने का आदेश दिया गया था। जियाउल हक ने पाकिस्‍तान का संविधान निलंबित कर दिया था। मार्शल लॉ लागू कर दिया गया था। इस दौरान भी पाकिस्तान के साथ भारत के रिश्‍ते अच्‍छे नहीं रहे। वह भारत के खिलाफ साजिशें रचता रहा। खासतौर से कश्‍मीर में आतंकवाद को हवा दी गई। 1988 में विमान दुर्घटना में जियाउल हक की मौत हो गई। अंतिम सांस तक जियाउल के हाथों में पाकिस्‍तान की हुकूमत रही। जियाउल के सत्‍ता में आने के कुछ ही समय बाद जुल्‍फीकार अली भुट्टो को फांसी दी गई थी।

पाकिस्‍तान में अंतिम बार 1999 में तख्‍तापलट हुआ था। तब सेना प्रमुख जनरल परवेज मुशर्रफ ने तत्‍कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को बेदखल कर सत्‍ता हथियाई थी। मुशर्रफ के दौर में ही कारगिल युद्ध हुआ था। भारत ने इस युद्ध में भी पाकिस्‍तान को धूल चटाई थी। मुशर्रफ भी कश्‍मीर मुद्दे को अपने कार्यकाल में खूब उछालता रहा। बाद में साजिश तक रची। यह और बात है कि उसे भी मुंह की खानी पड़ी। मुशर्रफ के समय में भारत और पाकिस्‍तान के रिश्‍ते कई बार उतार-चढ़ाव की पगडंड‍ियों से गुजरे। क्रिकेट डिप्‍लोमेसी का भी सहारा लिया गया। लेकिन, पाकिस्‍तान अपनी धोखेबाजी से बाज नहीं आया।



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