आईसीएमआर में हेड (महामारी विज्ञान विभाग) डॉ समीरन पांडा ने कहा कि कोविड-19 महामारी बमुश्किल दो साल पुरानी है। अभी भी उसके पैटर्न का अध्ययन किया जा रहा है। इसके उलट हाल ही में क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसर डॉ गगनदीप कांग ने कहा था कि कोरोना वायरस एंडमिक में बदल चुका है। ऐसे में लोगों को इसके साथ ही रहना पड़ेगा।
कुछ महीने पहले डब्ल्यूएचओ की चीफ साइंटिस्ट डॉ सौम्या स्वामिनाथन ने कहा था कि थोड़े समय में भारत में कोरोना की महामारी एंडमिक फेस में पहुंच सकती है। देश में कोरोना की तीसरी लहर तेजी से बढ़ी थी। हालांकि, दूसरी लहर के मुकाबले यह नरम थी। यह डेल्टा वैरिएंट के कारण आई थी।
किसी महामारी के एंडेमिक फेज में पहुंचने का मतलब होता है कि अब उसके पूरी तरह खत्म होने की संभावना नहीं है। इस तरह लोगों को हमेशा के लिए उसके साथ ही जीना है। एपिडेमिक (Epidemic) यानी महामारी के उलट इस फेज में सभी लोगों को संक्रमण होने खतरा कम रहता है।
वहीं, कोविड-19 टास्क फोर्स के सदस्य डॉ शशांक जोशी ने कहा कि यह कहना अभी जल्दबाजी होगा कि हम एंडमिक स्टेज में पहुंच गए हैं। हर्ड इम्युनिटी और एंडमिसिटी जैसे टर्म अच्छे हैं, लेकिन हमें साक्ष्यों के साथ जाना चाहिए। अभी पूरी दुनिया में तीसरी लहर ठंडी पड़ रही है।
जोशी ने कहा कि दो से चार हफ्तों में महामारी अपने निचले स्तर पर पहुंच जाएगी। यह समय तीन चीजों के अध्ययन का होगा। नैचुरल इन्फेक्शन और वैक्सीन से किस हद तक इम्युनिटी मिली। देखना होगा कि देश में अगले दो से छह हफ्तों में डॉमिनेंट स्ट्रेन कौन से हैं। यह भी देखने वाली बात होगी कि क्या कोई हॉटस्पॉट उभर सकता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने केस और मृतकों की संख्या के आधार इसे पैनडेमिक घोषित किया था। अब यह अलग-अलग देशों पर निर्भर करता है कि वो अपने यहां एंडमिक और एपिडेमिक घोषित करें।
समीरन पांडा ने कहा कि ओमीक्रोन लहर ठंडी पड़ी है। इसमें किसी तरह की तेजी आने की आशंका का डॉक्टर इंतजार करेंगे। पैटर्न का अध्ययन करने के लिए कुछ और महीने लगेंगे। राज्य सरकार के एक सीनियर डॉक्टर ने कहा कि कोरोना वायरस रूप बदलता रहेगा। दिक्कत तब होगी जब यह किसी खतरनाक वैरिएंट में तब्दील होता है। ऐसा नहीं हुआ तो महामारी सीमित क्षेत्र में रहेगी।
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