23 मार्च को अंडमान और निकोबार में किया गया था परीक्षण
डीआरडीओ की तरफ से किए गए इस टेस्ट को बेहद खास माना जा रहा है। इससे पहले भारत ने 23 मार्च को अंडमान और निकोबार में सतह से सतह पर मार करने वाली ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का सफल टेस्ट किया था। उस समय ब्रह्मोस मिसाइल ने सटीकता के साथ अपने टारगेट को भेदा था। इस मिसाइल को डीआरडीओ ने इजरायल के आईएआई कंपनी के साथ मिलकर डेवलप किया था।
खराब मौसम में भी काम करता है
MRSAM मिसाइल सिस्टम खराब मौसम में भी 70 किलोमीटर की रेंज में कई लक्ष्यों को एक साथ भेदने में पूरी तरह से सक्षम है। यह सिस्टम दुश्मनों के विरोधी लड़ाकू विमानों, हेलीकॉप्टरों, यूएई और इसी तरह के अन्य सिस्टम को ध्वस्त करने में पूरी तरह से सक्षम है। यह सिस्टम खराब मौसम में भी काम करता है। यह कई टेस्ट में साबित हो चुका है कि यह एक भरोसेमंद रक्षा प्रणाली है। MR-SAM में एक कमांड कंट्रोल सिस्टम, ट्रैकिंग रडार, मिसाइल और मोबाइल लॉन्चर सिस्टम होता है।
प्लेन, ड्रोन या मिसाइल का बचना मुश्किल
जानकारी के अनुसार मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली (Medium Range Surface to Air Missile or MRSAM) मिसाइल का वजन करीब 275 किलोग्राम होता है। इसकी लंबाई 4.5 मीटर और व्यास 0.45 मीटर होता है। यह मिसाइल पर 60 किलोग्राम वॉरहेड ले जाने में सक्षम होती है। दूसरे शब्दों में कहें तो इस र 60 किलोग्राम वजह का हथियार लोड किया जा सकता है। यह मिसाइल लॉन्च होने के बाद कम धुआं छोड़ती है। इसकी रेंज में आने पर किसी प्लेन, ड्रोन या मिसाइल का बचना लगभग नामुमकिन हो जाता है।