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Market increased the confusion of investors


मधुरेन्द्र सिन्हा

इस समय भारत ही नहीं, कई देशों के शेयर बाजार बुलंदियों पर हैं। हर दिन नया रेकॉर्ड। सिर्फ एक साल में ही बंबई शेयर बाजार का सूचकांक यानी सेंसेक्स 13 हजार से भी ज्यादा अंक बढ़कर 60,000 की रेकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया। छह साल पहले यह 30,000 पर था। जिन निवेशकों ने एक साल या उससे पहले पैसे लगाए थे, उनमें से ज्यादातर इस समय मालामाल हो चुके हैं। एक्सपर्ट्स दबी जुबान में ऐसी तेजी की बातें तो कह रहे थे, लेकिन उनमें से कोई भी आश्वस्त नहीं था कि बाजार यहां तक पहुंचेगा।

सस्ती ब्याज दरों का असर

आज हालत यह है कि कई कंपनियों के शेयर दोगुने से भी ज्यादा बढ़ चुके हैं। इस बाजार ने सभी को कुछ न कुछ दिया जरूर है। भले ही अभी कुछ दिनों से मिड कैप के शेयर सुस्त पड़े हैं, लेकिन किसी समय निवेशकों ने उनमें भी चांदी काटी है। यानी माहौल कमाई का है और शेयर बाजार में बड़े-छोटे, देशी-विदेशी निवेशक लगातार आ रहे हैं। पैसे का प्रवाह जिसे लिक्विडिटी कहते हैं, बढ़ता ही जा रहा है।

इसके पीछे सबसे बड़ा कारण यह है कि सारी दुनिया में ब्याज दरें सबसे कम स्तर पर हैं। अमेरिका-यूरोप में तो ब्याज दरें शून्य या माइनस में ही हैं। विदेशी निवेशकों यानी एफआईआई के लिए यह एक बढ़िया मौका रहा है। उन्होंने बड़े पैमाने पर निवेश किया है और करते ही जा रहे हैं। लगातार तीसरे साल में भी विदेशी निवेशकों ने 9 अरब डॉलर निवेश कर दिया है। वह यहां से कमा भी रहे हैं और लगा भी रहे हैं। उनके पास डॉलर की कोई कमी नहीं है और वे दुनिया भर के उभरते बाजारों पर नजरें गड़ाए हुए हैं। निवेश का कोई मौका वे जाने नहीं दे रहे। विदेशी एक्सपर्ट भारतीय शेयर बाजार को अभी महत्व दे रहे हैं। यह बात अलग है कि वे अचानक कब गायब हो जाएं, उसका पता नहीं। लेकिन अभी इसके आसार नहीं दिख रहे। अभी तो तेजी की गंगा बह रही है।

भारत में भी ब्याज दरें काफी कम हो गई हैं। बैंक तो तीन-साढ़े तीन परसेंट तक ही ब्याज दे रहे हैं। स्मॉल सेविंग्स की तमाम योजनाओं में अब काफी कम रिटर्न मिलने लगा है। रियल एस्टेट मंदी और ओवर सप्लाई के दौर से गुजर रहा है। सोने में भारी तेजी आई थी, हालांकि अब इसकी चमक थोड़ी धीमी पड़ी है। असल में कोरोना महामारी के कारण लोग घरों में बंद हो गए और उनके पास अतिरिक्त आय का कोई जरिया नहीं रहा। ऐसे में शेयर बाजार उनके काम आया। इसका नतीजा हुआ कि इसमें देसी निवेशकों की बाढ़ आ गई।

आज म्युचुअल फंडों और सिप के माध्यम से निवेशक बड़े पैमाने पर बाजार में पैसे लगा रहे हैं और उनमें लगभग 70 प्रतिशत ऐसे लोग हैं, जिन्होंने पहले स्टॉक मार्केट में कभी निवेश नहीं किया था। उधर, डीमैट अकाउंट खोलना आसान बनाकर सेबी ने भी लोगों को इस ओर आकर्षित किया है। इस साल ही नहीं पिछले साल भी लाखों नए डीमैट अकाउंट खुले हैं। सेबी के ही आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल अप्रैल से इस साल जनवरी तक एक करोड़ से भी ज्यादा डीमैट अकाउंट खुले। इस समय देश में सात करोड़ से भी ज्यादा डीमैट अकांउट खोले जा चुके हैं। नई टेक्नलॉजी और ऐप ने निवेश करना एकदम आसान बना दिया है। अब नए निवेशक लगातार पैसे लगा रहे हैं सीधे भी और म्युचुअल फंडों के जरिये भी। म्युचुअल फंड इंडस्ट्री अपने स्लोगन ‘म्युचुअल फंड सही है’ से लोगों को इस ओर आकर्षित करने में सफल हो रही है। आंकड़े बताते हैं कि शेयर बाजारों में बड़े पैमाने पर निवेश इनके जरिये ही हो रहा है।

वैसे तो पहले कहा जाता था कि शेयर बाजार इकॉनमी का आईना होता है, लेकिन पिछले कुछ सालों में सेंसेक्स और निफ्टी ने जैसी छलांग लगाई है उससे यह बात गलत ही साबित हो रही है। कंपनियों के परिणाम बेशक अब अच्छे आ रहे हैं, लेकिन उनके शेयर बहुत गर्म हो गए हैं। इनमें से कइयों का पीई रेश्यो काफी बढ़ चुका है, जो किसी शेयर के वैल्यूएशन का पता लगाने का एक पैमाना है। जीडीपी में जितनी बढ़ोतरी नहीं हुई, उससे कहीं ज्यादा शेयरों में तेजी आई है।

मार्केट कैप और जीडीपी का अनुपात 130 प्रतिशत को पार कर गया है। बाजार इकॉनमी से कहीं आगे निकल गया है और यह चिंता का विषय है क्योंकि यह बता रहा है कि सेंसेक्स और निफ्टी अब ठोस जमीन पर नहीं खड़े हैं। ये कंपनियों के तीन साल आगे होने वाली कमाई को मानकर अभी से चल रहे हैं। ऊंचे वैल्यूएशन के अपने खतरे हैं और ऐसे में बाजार के धराशायी होने की आशंका बढ़ जाती है। अब हमारा शेयर बाजार उस ओर इशारा कर रहा है। मतलब साफ है कि तेजी से भागते बाजार में कभी भी ब्रेक लग सकता है और यह कभी भी गिर सकता है। यह गिरावट 10 से 25 प्रतिशत तक की हो सकती है। और इसके लिए निवेशकों को तैयार रहना चाहिए।

प्रॉफिट बुकिंग करें

अगर बाजार धड़ाम होता है तो एक बार हाहाकार मचेगा ही। लेकिन वैसे में एक बात याद रखनी होगी कि गिरावट हमेशा फिर से तेजी की नींव तैयार भी करती है। उस हालत में अपने शेयरों को बेचकर निकल जाना बेवकूफी होगी क्योंकि हमने पहले भी देखा है कि बाजार कई बार गिरे और फिर उठकर चल पडे। थोड़ा इंतजार तो बनता ही है। अगर आप सोच रहे हैं कि शेयर बाजार कोई जुआ घर है तो आप बिल्कुल गलत सोच रहे हैं। यहां सोच समझकर लंबे समय के लिए एक टार्गेट लेकर अगर आप पैसे लगाएंगे तो कोई कारण नहीं कि आपको झटका लगेगा। हां, आप उन शेयरों को अभी बेचकर प्रॉफिट बुक कर सकते हैं जो काफी ऊपर चले गए हैं और जिनके गिरने का खतरा हो सकता है। लेकिन छोटे-मोटे तूफान आते रहेंगे, उनसे क्या डरना। अच्छी कमाई के लिए सब्र तो करना ही पड़ता है।

डिसक्लेमर : ऊपर व्यक्त विचार लेखक के अपने हैं





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By admin