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Kashmir Pandits Exodus, Kashmiri Pandits Genocide, Justice To Kashmiri Pandits, Kashmiri Pandits Justice In Supreme Court, Curative Petition In Supreme Court Regarding Kashmiri Pandits: कश्मीरी पंडितों ने 1990 की हत्या मामले में जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट से लगाई गुहार


नई दिल्ली : द कश्मीर फाइल्स (The Kashmir Files) फिल्म में कश्मीरी पंडितों के साथ हुए नरसंहार (Kashmiri Pandits Genocide) को देखने के बाद एक बार फिर से ये मांग उठने लगी है कि कश्मीरी पंडितों को न्याय मिलना चाहिए। इसी सिलसिले में गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में कश्मीरी पंडितों (Kashmiri Pandits) के संगठन रूट्स इन कश्मीर (Routes In Kashmir) की ओर से क्यूरेटिव पिटिशन दाखिल कर मामले की जांच की गुहार लगाई गई है। सुप्रीम कोर्ट ने कश्मीरी पंडितों की मौत के मामले में दाखिल अर्जी 2017 में खारिज कर दी थी तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मामले में 27 साल बाद सबूत नहीं है।

‘देरी के आधार पर केस खारिज करना गलत’
सुप्रीम कोर्ट में अब याचिकाकर्ताओं की ओर से क्यूरेटिव पिटिशन (Curative Petition) दाखिल की गई है। याचिका दाखिल कर कहा गया है कि मामले में देरी के आधार पर केस खारिज किया जाना गलत है। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया है कि मामले को दोबारा ओपन किया जाए और देरी के आधार पर अर्जी खारिज किया जाना मुख्य आधार है और यह आधार गलत है। इसे कानून के नजर में दोषपूर्ण कहा गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने क्यों खारिज की थी अर्जी
सुप्रीम कोर्ट ने 24 जुलाई 2017 को जांच की मांग वाली याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि घटना के 27 साल बाद साक्ष्य नहीं हैं। जो भी हुआ वह हृदय विदारक था लेकिन अब आदेश नहीं हो सकता है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में रिव्यूपिटिशन दाखिल की गई थी जिसे 24 अक्टूबर 2017 को खारिज किया गया गया था और अब क्यूरेटिव पिटिशन दाखिल किया गया है।

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सुप्रीम कोर्ट के तब के चीफ जस्टिस जेएस खेहर (Former Chief Justice JS Khehar) और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने कहा था कि इस मामले को 27 साल हो गए। उन मामलों में सबूत एकत्र करना बेहद मुश्किल होगा। लोग वहां से पलायन भी कर चुके हैं। अदालत ने याचिकाकर्ता से कहा था कि आप 27 साल से इस मामले में बैठे रहे अब आप बताइये की सबूत कहां से इकट्ठे होंगे।

याचिकाकर्ता ने कहा था कि इस दौरान केंद्र व राज्य ने ध्यान नहीं दिया और न्यायपालिका में इस पर कार्रवाई नहीं हो पाई। 700 कश्मीरी पंडितों की हत्या के मामले में 215 केस दर्ज हुए लेकिन किसी भी मामले में जांच नतीजे तक नहीं गई। सुप्रीम कोर्ट ने देरी के आधार पर याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया था।



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