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kartikeya singh and nitish kumar, कार्तिकेय को मंत्री पद से हटाना नीतीश कुमार का कैसा दांव, पर्दे के पीछे से लालू यादव का कौन सा खेल? – nitish kumar lalu yadav which political game play through kartikeya singh


नीलकमल, पटना: एक पुरानी कहावत है ‘ सर मुंडाते ही ओले पड़े ‘, कुछ ऐसा ही एनडीए से निकलकर महागठबंधन की सरकार बनाने वाले नीतीश कुमार के साथ हुआ है। जब मुख्यमंत्री ने अपहरण के मामले में फरार कार्तिकेयेय सिंह को न सिर्फ मंत्रिमंडल में शामिल किया बल्कि उन्हें कानून मंत्री तक बना दिया। बिहार की राजनीति में इन दिनों कार्तिकेय सिंह उर्फ ‘मास्टर साहब’ की चर्चा जोरों पर है। दरअसल, अपहरण के एक मामले में जिस दिन कार्तिकेय सिंह को अदालत में सरेंडर करना था उसी दिन वह राजभवन पहुंचकर नीतीश मंत्रिमंडल में शामिल होकर पद और गोपनीयता की शपथ ले रहे थे। शपथ ग्रहण के साथ ही विपक्ष के साथ मीडिया में कार्तिकेय सिंह का आपराधिक इतिहास खंगाला जाने लगा। लेकिन सीएम नीतीश कुमार ने किसी की परवाह किए बगैर उन्हें बिहार का कानून मंत्री बना डाला था।

कार्तिकेय सिंह पर बीजेपी ने खोला मोर्चा तो मीडिया ने भी उखाड़े गड़े मुर्दे
नीतीश मंत्रिमंडल में शामिल होने वाले कार्तिकेय सिंह पर बीजेपी पहले से ही हमलावर थी। जब नीतीश कुमार ने आरजेडी विधान पार्षद कार्तिकेय सिंह को कानून मंत्री बना दिया तब बीजेपी और भी ज्यादा आक्रामक हो गई। मीडिया की ओर से भी कार्तिकेय सिंह के पुराने आपराधिक इतिहास को खंगाला जाने लगा। कार्तिकेय सिंह को मंत्री बनाए जाने को लेकर चौतरफा हमला झेल रहे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आखिरकार उनसे कानून मंत्रालय लेकर गन्ना विभाग का कार्यभार सौंप दिया। लेकिन आश्चर्य की बात यह रही कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कार्तिकेय सिंह का इतिहास जानने के बावजूद उनसे इस्तीफा तक नहीं मांगा।

लालू यादव के दबाव में हैं नीतीश कुमार
मंत्री कार्तिकेय सिंह मामले को लेकर अपनी किरकिरी कराने वाले नीतीश कुमार इन दिनों आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के दबाव में काम कर रहे हैं। यह कहना है बीजेपी के पूर्व विधायक और प्रदेश प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल का। उन्होंने कहा कि मंत्री नीतीश कुमार की यह फितरत नहीं है कि उनके मंत्रिमंडल में कोई दागी आ जाए और वह उनका इस्तीफा ना लें। प्रेम रंजन पटेल ने उदाहरण देते हुए बताया कि इसके पहले उन्होंने जीतन राम मांझी और 2020 में शिक्षा मंत्री बनाए गए मेवालाल चौधरी से महज 3 दिन के भीतर इस्तीफा ले लिया था। लेकिन महागठबंधन की सरकार में नीतीश कुमार की हिम्मत नहीं हुई कि वो लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव के रहते आरजेडी कोटे से मंत्री बनाए गए दागी कार्तिकेय सिंह का इस्तीफा मांग सकें। ध्यान रहे कि बुधवार की दोपहर नीतीश कुमार ने कार्तिकेय कुमार सिंह से कानून मंत्रालय छीनकर उद्योग मंत्रालय सौंप दिया था। हालांकि, रात होते-होते कार्तिकेय सिंह ने अपना इस्तीफा नीतीश कुमार को पेश किया। इसे स्वीकार करते हुए मुख्यमंत्री ने राज्यपाल फागू चौहान को अपनी अनुशंसा भेज दी।

RJD ने दिया संदेश, नीतीश की मनमानी नही चलेगी: BJP
बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल का कहना है कि वर्षों तक उन्होंने नीतीश कुमार के साथ काम किया है। लेकिन, आज से पहले नीतीश कुमार को इतना लाचार कभी नहीं देखा था। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार की हिम्मत नहीं थी कि वह लालू प्रसाद यादव की पार्टी से मंत्री बनाए गए कार्तिकेय सिंह को बर्खास्त कर सकें या उनसे इस्तीफा ले सकें। क्योंकि कार्तिकेय सिंह के दागी होने के बावजूद, लालू प्रसाद यादव के इशारे पर ही नीतीश कुमार ने उन्हें अपने मंत्रिमंडल में शामिल किया था।

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हालांकि अपनी इज्जत बचाने के खातिर नीतीश कुमार ने कार्तिकेय सिंह से कानून मंत्रालय वापस लेकर उन्हें गन्ना विभाग का मंत्री बना दिया था, लेकिन आरजेडी के साथ लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव को नीतीश का यह फैसला पसंद नहीं आया। लिहाजा विभाग बदले जाने के बाद नाराज लालू यादव के कहने पर ही कार्तिकेय सिंह ने अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री को भेज दिया। बीजेपी के पूर्व विधायक प्रेम रंजन पटेल का कहना है कि कार्तिकेय सिंह से इस्तीफा दिलवा कर लालू प्रसाद यादव और आरजेडी ने मंत्री को स्पष्ट संदेश दे दिया है कि इस बार महागठबंधन की सरकार में नीतीश कुमार की मनमानी नहीं चलेगी। बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि महागठबंधन की सरकार को अभी एक महीने भी नहीं हुए, लेकिन आरजेडी और जेडीयू के बीच कार्तिकेय सिंह को लेकर जो दरार पैदा हुआ था वह अब खाई में बदलने लगी है।

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इस्तीफे के बाद BJP पर भड़के कार्तिकेय सिंह
नीतीश कैबिनेट से इस्तीफ़ा देने के बाद कार्तिकेय सिंह BJP के ऊपर जमकर बरसे। उन्होंने अपने सफई में कहा कि मेरा मंत्री बनाना BJP के लोगों को पच नहीं रहा था। BJP सोच रही थी कि एक भूमिहार मंत्री कैसे बन गया इसलिए मुझ पर आरोप लगाकर मीडिया ट्रायल कराया गया। उन्होंने कहा कि उनके बाबा स्वतंत्रता सेनानी और पिता हाई स्कूल में शिक्षक रह चुके थे। इसके अलावा वे खुद पिछले 28 साल तक शिक्षक के रूप में काम कर चुके हैं। उन्होंने आपराधिक मामले पर कहा कि साल 2015 से पहले मुझ पर कोई मुकदमा नहीं हुआ था। फिलहाल जिस मामले में उनपर मुकदमा किया गया है उसपर अभी कोर्ट में अनुसंधान चल रहा है। उन्होंने कहा कि मुझे न्यायालय पर पूरा भरोसा है मुझे न्याय जरूर मिलेगा।

पूर्व विधायक अनंत सिंह से रिश्तों को लेकर उन्होंने कहा कि अनंत सिंह 17 साल से मोकामा से विधायक हैं और उनके भाई भी विधायक और मंत्री रहे हैं और उन से मेरा राजनीतिक संबंध है। उन्होंने यह भी कहा कि वह विभाग बदले जाने से नाराज नहीं थे। बल्कि जो आरोप उनपर लगाया जा रहा था उससे मेरी पार्टी, नेता और मेरी छवि धूमिल हो रही थी इसलिए पार्टी हित में मैंने इस्तीफा दिया है। उन्होंने कहा कि न्यायालय से बरी होने के बाद पार्टी जो जिमेदारी देगी मै उसे स्वीकार करूंगा।

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अखिलेश जैसी छटपटाहट में तेजस्वी?

बिहार की राजनीति को जानने समझने वाले लोग कहते हैं कि इस वक्त बिहार में काफी हद तक तेजस्वी यादव की हालत उत्तर प्रदेश के अखिलेश यादव जैसी है। 2012-2017 के बीच यूपी में अखिलेश यादव मुख्यमंत्री थे, लेकिन पिता मुलायम सिंह यादव, चाचा शिवपाल सिंह यादव, आजम खान सरीखे नेता के सामने अखिलेश बेबस थे। अखिलेश चाहकर भी खुलकर फैसले नहीं ले पा रहे थे। अखिलेश पिता मुलायम सिंह यादव के छत्रछाया से बाहर निकलना चाहते थे लेकिन वह मुख्यमंत्री रहते हुए कुछ कर रही पाए। ठीक उसी तरह तेजस्वी यादव बिहार में अपने पिता लालू यादव की छत्रछाया से निकलने की कोशिश में हैं। इसकी झलक उन्होंने 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में पिता को पोस्टरों से गायब करके दे दी थी। सूत्र बताते हैं कि तेजस्वी यादव कोशिश में हैं कि वह अपनी और अपनी पार्टी की साफ सुथरी छवि बनाएं, लेकिन पिता लालू प्रसाद यादव अपने खास लोगों को किनारे लगाने के पक्ष में नहीं हैं। कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की सरकार में आरजेडी कोटे से कई ऐसे चेहरे हैं जिन्हें लालू प्रसाद यादव के वीटों लगाने के बाद मंत्रिमंडल में जगह मिली है। सूत्र बताते हैं कि कार्तिकेय सिंह जैसे चेहरे भी लालू यादव के वीटों से मंत्री बने थे।



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