Sindhu Dhara

समाज की पहचान # सिंध की उत्पति एवं इतिहास<> सिंधी भाषा का ज्ञान <> प्रेणादायक,ज्ञानवर्धक,मनोरंजक कहानिया/ प्रसंग (on youtube channel)<>  सिंधी समाज के लिए,वैवाहिक सेवाएँ <> सिंधी समाज के समाचार और हलचल <>
jungle news why expert saying legalise hunting to save wildlife


नई दिल्ली: कुछ महीने पहले जब परदेस से चीते (Cheetah News) लाए गए तो देश में एक उत्सव का माहौल बना। दशकों पहले की बातें होने लगीं कि कैसे शिकार के चलते चीते देश से गायब हो गए थे। अपने देश में वन्यजीवों के संरक्षण की बातें होती रहती हैं। इसमें कोई नई बात नहीं है लेकिन कुछ एक्सपर्ट अब हंटिंग यानी शिकार करने की छूट देने की मांग कर रहे हैं, यह तर्क जरूर चौंकाने वाला है। अप्रैल 2021 और मार्च 2022 के बीच टाइगरों ने अकेले महाराष्ट्र राज्य में दर्जनों लोगों की जानें ले लीं। गुजरात के सैकड़ों गांवों की सड़कों पर शेर घूमते देखे जाते हैं। इंसानों का वन्य जीवों के साथ संघर्ष पहले कभी इतना ज्यादा नहीं था। ऐसे में सवाल उठते रहते हैं कि क्या हमें और कानून की जरूरत है, जंगली जानवरों के लिए रिजर्व और चाहिए या कुछ अलग करना चाहिए? कुछ वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट ने ‘वाइल्ड गेम प्लान इंडिया’ नाम से एक ग्रुप बना रखा है और ये एक अन्य विकल्प की वकालत कर रहे हैं। उनका कहना है कि जंगली जानवरों की आबादी को संतुलित करने के लिए भारत सरकार को हंटिंग यानी शिकार करने को कानूनी रूप से वैध कर देना चाहिए। यह बात थोड़ी अटपटी लगती है लेकिन यह नजरिया एक्सपर्ट का है, हमारा नहीं।

जंगली जानवर इंसानों को मारते हैं या अंग भंग कर देते हैं। लाखों एकड़ फसल बर्बाद कर देते हैं। लेकिन हम और जंगली जानवर चाहते हैं। हम उनके संरक्षण में अरबों रुपये खर्च करते हैं और बदले में कुछ नहीं चाहते हैं। क्यों?

एक्सपर्ट एचएस पाबला

शिकार की परमिशन क्यों चाहिए

गेम हंटिंग आइडिया के लिए वे उदाहरण भी देते हैं। एक्सपर्ट ग्रुप का कहना है कि ‘लीगल कंजर्वेशन हंटिंग’ पूरे अफ्रीका में लागू है। उन्होंने सरकार को सुझाव दिया है कि भारत में भी इसे लागू किया जाए जिससे शिकार से होने वाली आय को वापस संरक्षण के कार्यों में लगाया जा सके। उनका तर्क है कि इससे वन्यजीवों का प्रबंधन स्थायी होगा। कई किताबें लिख चुके मध्य प्रदेश में जंगलों के पूर्व मुख्य कंजर्वेटर (PCCF-वाइल्डलाइफ) एचएस पाबला का मानना है कि भारत के वन्यजीव संरक्षण मॉडल में कई खामियां हैं। उन्होंने कहा, ‘जंगली जानवर हजारों इंसानों को मार डालते हैं या अंग भंग कर देते हैं और देश की लाखों एकड़ फसलों को बर्बाद कर देते हैं। लेकिन हम और जंगली जानवर चाहते हैं और हर तरफ चाहते हैं। हम उनके संरक्षण के लिए अरबों रुपये खर्च करते हैं और बदले में कुछ नहीं चाहते हैं।’

तो क्या जानवरों से हमें प्रॉफिट चाहिए?

जानवर बदले में हमें क्या दे सकते हैं? पाबला ने कहा कि पर्यटन और शिकार। अब झिझकते हुए पर्यटन की तो मंजूरी दे दी गई है लेकिन हंटिंग भारत में कानूनी रूप से निषेध है। उन्होंने कहा, ‘जंगली जानवर खतरा नहीं बल्कि एक एसेट होने चाहिए, लोगों के लिए लायबेलिटी नहीं। खासतौर पर तब जबकि हम एक गरीब देश हैं और इन खतरनाक जानवरों पर ज्यादा खर्च वहन नहीं कर सकते हैं।’

हंटिंग की परमिशन मिली तो क्या होगा
लीगल हंटिंग कैसे काम करेगी और हम कैसे सुनिश्चित करेंगे कि दशकों पहले चीते की तरह दूसरे जानवर खत्म न होने पाएं? पाबला कहते हैं कि हंटिंग के चलते जंगली जानवर आर्थिक रूप से मूल्यवान साबित हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी केस में जंगली जानवरों का हमेशा शिकार होता है, अगर कानून इजाजत नहीं देता है तो गैरकानूनी तरीके से होता है। इसमें यह सुनिश्चित किया जाता है कि जानवरों की आबादी में संतुलन बना रहे और विनाश न हो। उन्होंने कहा कि हमें प्राइवेट और सामुदायिक स्वामित्व की इजाजत देने की जरूरत है जिससे लोग उनसे जीवनयापन कर सकें।

मारे गए सूअरों को बेचना चाहिए…
वाइल्डलाइफ कंजर्वेशनिस्ट डॉ. AJT जॉनसिंह भी पाबला की बात से सहमत हैं। उन्होंने कहा, ‘बढ़ती हुई जानवरों की आबादी लोगों के लिए समस्या बन रही है, इसे लोगों के फायदे के लिए नियंत्रित करने की जरूरत है। हमें संरक्षण पहलों को स्थानीय लोगों के हिसाब से देखना चाहिए। अगर वे कहते हैं कि जंगली सूअर समस्या हैं तो उस समस्या को दूर करने के प्रयास होने चाहिए। केरल में वन विभाग जंगली सूअरों को मार देता है लेकिन उसके शव को दफना दिया जाता है। मारे गए सूअरों को बेचा जाना चाहिए जिससे उस पैसे को उन किसानों को दिया जा सके, जिनके खेतों में सूअरों को मारा गया।’ उदाहरण के लिए, अकेले मध्य प्रदेश के खेतों में जंगली सूअरों और नीलगाय का शिकार कर सालाना 600 करोड़ रुपये से ज्यादा की आय हो सकती है।

क्या है नामीबिया मॉडल
एक्सपर्ट नामीबिया मॉडल को अपनाने की वकालत कर रहे हैं। यह वही देश है जिसने पिछले साल चीते भारत को दिए थे लेकिन एक्सपर्ट इसे मोनेटाइजेशन यानी पैसे कमाने के मॉडल के तौर पर देखते हैं। शिकार के अलग-अलग तरीकों को नामीबिया में कंजरवेशन हंट कहा जाता है।

डायनासोर के मल में चावल, चट्टानों में सार्क के दांत… अब पता चलेगा भारत-चीन में पहले किसके पास था राइस
वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट और राष्ट्रीय जैवविविधता प्राधिकरण के पूर्व सदस्य राजीव मैथ्यू कहते हैं कि इकोलॉजिस्ट, संरक्षण समर्थक और वाइल्डलाइफ इकोनॉमिस्ट वाइल्ड प्रोडक्ट्स के इस्तेमाल और उसके आर्थिक पहलू पर जोर देते हैं। उन्होंने कहा कि भारत का वाइल्ड लाइफ (प्रोटेक्शन) अमेंडमेंट एक्ट 2021 में वन्यजीव संघर्ष रोकने के लिए कुछ भी नया नहीं है। गेम मीट शिकार किए हुए जानवर के मांस को कहते हैं। उन्होंने कहा कि अफ्रीकन कॉन्टिनेंटल फ्री ट्रेड एरिया (AfCFTA) गेम मीट के फ्री ट्रेड की कोशिश कर रहा है।

फन पटक कर लहूलुहान हो गया सांप… तो क्या सच में प्रेम करते हैं नाग-नागिन?
इस तर्क के खिलाफ दलील
हालांकि भारतीय वन सेवा के कई रिटायर्ड अधिकारी और एनजीओ गेम हंटिंग के आइडिया का विरोध करते हैं। तेलंगाना के एक्सपर्ट पी. रघुवीर कहते हैं कि भारतीय-ऑस्ट्रेलियन टीम की 2017 की एक स्टडी में पाया गया कि छह टाइगर रिजर्व से 230 अरब डॉलर का फायदा हुआ था। स्टडी में निष्कर्ष निकाला गया था कि दो टाइगरों को बचाने से 520 करोड़ रुपये की पूंजी का फायदा हो सकता है। अगर हम इस डेटा को देश के 2226 टाइगरों के हिसाब से देखें तो यह फायदा 5.7 लाख करोड़ पहुंच सकता है।

कैमरे का फ्लैश, हल्ला… जंगल सफारी में जानवर क्यों हो जाते हैं हिंसक, पीछे पड़ गए तो गांठ बांध लीजिए ये बातें
रघुवीर ने कहा कि इन क्षेत्रों में ज्यादा निवेश एक अच्छा फैसला है क्योंकि बदले में रिटर्न 356 गुना ज्यादा है। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य यह है कि वाइल्ड लाइफ संरक्षण के दिखाई न देने वाले फायदे को इग्नोर किया जाता है और लोग पूछने लगते हैं कि इन जानवरों को बचाने से क्या मिल रहा है। सवाल यह होना चाहिए कि क्या होगा अगर सभी जंगली जानवर खत्म हो गए और पूरे जंगल तबाह हो गए? वह पैसे कमाने के लिए जंगली जानवरों को मारने के तर्क से असहमत हैं।

उनका कहना है कि कई जंगली जानवर सड़क दुर्घटना में मारे जाते हैं, अवैध शिकार होता है, आपदा में मर जाते हैं। कुछ अफ्रीकी देशों में राजस्व के लिए शिकार करना ठीक हो सकता है लेकिन यह संरक्षण की रणनीति बिल्कुल नहीं है। यह मॉडल भारत के लिए ठीक नहीं है।

क्या-क्या होता है नुकसान
– जंगली सूअर, नीलगाय जैसे जानवर पूरे देश में किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं
– हाथी गांवों में घुसकर तबाही मचाते हैं, इंसानों की जान भी चली जाती है
– महाराष्ट्र के तडोबा इलाके में आए दिन टाइगर के हमले में जान जाने की खबर आती है
– गुजरात के गिर में जंगलों के आसपास घूमते रहते हैं शेर



Source link

By admin