तेलंगाना में पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी 3 सीटें जीत पाई थी। अगले साल चुनाव हैं, इस बार बीजेपी की क्या तैयारियां हैं?
अगर तेलंगाना में बीजेपी की सरकार बनती है तो आरक्षण पर क्या रुख होगा?
अगर-मगर का सवाल ही नहीं उठता, 2023 में तेलंगाना में निश्चित रूप से बीजेपी की सरकार बनेगी। हमारी पार्टी धर्म आधारित आरक्षण का विरोध करती रही है। मैं पूरी जिम्मेदारी से एलान करना चाहता हूं कि तेलंगाना के एससी, एसटी और ओबीसी भाइयों को न्याय दिलाने के लिए सत्ता में आते ही हम धर्म आधारित आरक्षण को समाप्त करेंगे।
केसीआर और केजरीवाल की बढ़ती नजदीकियों पर क्या कहेंगे?
अपनी पार्टी की हार को भांप कर केसीआर 2024 के चुनाव में गठबंधन की ओर बढ़ रहे हैं जिसका टूटना तय है। पंजाब में आप की सरकार अपने झूठ-फरेब के ताबूत में आखिरी कील साबित होगी। इधर केसीआर साहब की सरकार तेलंगाना से चावल ना उठाने के कारण किसानों में घृणा का पात्र बन ही चुकी है।
विपक्ष महंगाई को लेकर सरकार पर लगातार हमलावर है…
जब-जब दुनिया में महामारी आती है, तब-तब महंगाई बढ़ती है। तारीफ की बात यह है कि कैसे केंद्र सरकार ने अर्थव्यवस्था को संभाल लिया है। भारत के पड़ोसी देशों की अस्थिरता, विकासशील देशों की आर्थिक स्थिरता से जोड़कर भारत को देखेंगे तो हम भारत को बहुत बेहतर स्थिति में पाएंगे। विपक्ष विरोध के लिए विरोध करते हुए अंधा हो जाने की हालत में है। महंगाई पर काबू की पहल हो चुकी है। उत्पाद शुल्क में भारी कटौती और पेट्रोल-डीजल कीमतों में कमी पहला कदम है, पर प्रदेश की सरकार को भी अपनी तरफ से पेट्रोल, डीजल के दामों में कमी करनी चाहिए।
जम्मू-कश्मीर में डीलिमिटेशन हुआ है, पर विपक्ष ने आरोप लगाए हैं। पीडीपी ने कहा कि आबादी का जो बेसिक पैरामीटर है उसे भी ध्यान में नहीं रखा गया। कांग्रेस ने भी कहा कि यह बीजेपी का ड्राफ्ट है। आप क्या कहेंगे?
परिसीमन आयोग एक स्वतंत्र निकाय है। जम्मू-कश्मीर के इतिहास में पहली बार जनसंख्या के अनुपात में परिसीमन हुआ है। गुपकार गठबंधन को जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र का नया उगता हुआ सूरज नहीं पच रहा। जिनकी भ्रष्टाचार, चोरी की दुकाने बंद हो रही हैं उनका इस तरह का रिएक्शन देना लाजिमी है।
जम्मू कश्मीर में कब तक चुनाव की उम्मीद कर सकते हैं?
कार्य प्रगति पर है, यथासमय चुनाव होंगे। जम्मू-कश्मीर में लोतांत्रिक प्रक्रिया के इस महान उत्सव के जश्न का बीजेपी बेसब्री से इंतजार कर रही है।
कश्मीर में पिछले कुछ दिनों से टारगेट किलिंग के कई मामले हुए हैं, इसे आप कैसे देखते हैं?
जब-जब जम्मू-कश्मीर में लोकतांत्रिक व्यवस्था मजबूत होती है और विकास की गाथा लिखी जाती है, तब-तब वहां के शांतिप्रिय कश्मीरियों और खास तौर पर कश्मीरी पंडितों को पाकिस्तान प्रेरित अलगाववादी निशाना बनाते हैं। लेकिन अब निशाना बनाने वाले स्वयं निशाना बन रहे हैं, क्योंकि केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार है। केंद्र सरकार और बीजेपी दोनों ही जम्मू-कश्मीर में शांति स्थापना के लिए प्रतिबद्ध हैं। आतंकवाद पर जीरो टॉलरेंस हमारा ध्येय है।
कुछ दिन पहले कश्मीरी पंडित राहुल भट्ट की हत्या के बाद बीजेपी पर भी विपक्ष ने कई सवाल खड़े किए, कश्मीरी पंडितों के मामले को बीजेपी किस तरह देखती है?
राहुल भट्ट की हत्या निंदनीय है। वहां की जनता में आक्रोश है। यह आक्रोश आतंकवाद के खिलाफ, अत्याचार और हिंसा का मौन समर्थन करने वालों के खिलाफ है। पहली बार केंद्र सरकार वहां के विस्थापित कश्मीरियों को फिर से बसा रही है। बीजेपी अपनी स्थापना से जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ है। कश्मीरी पंडित राहुल भट्ट की हत्या करने वाले को हमारे सुरक्षा बलों ने 30 घंटे के अंदर मार गिराया। विपक्ष के पेट में तो उसी दिन से दर्द हो रहा है जिस दिन धारा 370 हटाई गई थी। उनकी आमदनी और सत्ता की दुकान बंद हो गई। अब घटनाओं को तोड़-मरोड़ कर पेश करना और शोर मचाना उनकी आदत बन गई है। कश्मीरी पंडितों के लिए उन्होंने जो किया वह जगजाहिर हो चुका है। द कश्मीर फाइल्स ने उनकी करनी को पूरे विश्व में उजागर कर दिया है। अब तो उनका कश्मीरी पंडितों पर ऐसे प्रश्न करने का हक भी नहीं रहा।