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हाइलाइट्स

  • मझगांव डॉक्‍स में बन रहे हैं 7400 टन वजनी चार स्‍टेल्‍थ डिस्‍ट्रॉयर्स
  • पहला स्‍वदेशी गाइडेड-मिसाइल डिस्‍ट्रॉयर भारतीय नौसेना को मिला
  • सामने है चीन की चुनौती जो बड़ी तेजी से कर रहा है नेवी का विकास
  • चीन के पास अमेरिका से भी ज्‍यादा जंगी जहाज और पनडुब्बियां हैं

नई दिल्‍ली
एक तरफ चीन जहां दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना बना रहा है, भारत अभी संसाधन जुटाने में ही लगा है। बीजिंग के पास दो एयरक्राफ्ट कैरियर्स पहले से हैं और दो और बना रहा है। वहीं, भारतीय नौसेना को नया स्‍वदेशी गाइडेड-मिसाइल डिस्‍ट्रॉयर मिलने से थोड़ा बूस्‍ट जरूर मिला है। भारत का दूसरा एयरक्राफ्ट कैरियर अभी एक और समुद्री ट्रायल से गुजर रहा है।

INS विशाखापट्नम होगा डिस्‍ट्रॉयर का नाम
यह डिस्‍ट्रॉयर उन चार 7,400 टन वजनी स्‍टेल्‍थ डिस्‍ट्रॉयर्स में से एक हैं जो मझगांव डॉक्‍स पर बनाए जा रहे हैं। जनवरी 2011 में इनका कॉन्‍ट्रैक्‍ट दिया गया था। तीन साल से भी ज्‍यादा देरी के बाद, गुरुवार को इनमें से पहला डिस्‍ट्रॉयर नौसेना को सौंपा गया। एक अधिकारी के अनुसार, ‘नवंबर के दूसरे हाफ में कमिशनिंग के दौरान इसका नाम INS विशाखापट्नम रखा जाएगा।’

तीन और डिस्‍ट्रॉयर्स- मुरगांव, इम्‍फाल और सूरत अगले कुछ सालों में डिलिवर होंगे। इन चार जंगी जहाजों में ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल और इजरायली बराक मिसाइलें लगी होंगी। चारों को तैयार करने में 35,000 करोड़ रुपये से ज्‍यादा की लागत आने वाली है।

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एयरक्राफ्ट कैरियर्स के दम पर समुद्र में बादशाहत की जंग
डिस्‍ट्रॉयर्स यूं तो बड़े ताकतवर जंगी जहाज होते हैं, मगर आकार और लड़ाकू क्षमता के मामले में वे एयरक्राफ्ट कैरियर्स के आगे नहीं ठहरते। एक दिन में 500 नॉटिकल मील से ज्‍यादा की दूरी तय करने में सक्षम इन तैरते एयरबेसेज से ताकतवर आक्रमण किया जा सकता है और दुनिया को अपनी सैन्‍य ताकत का दम दिखाया जा सकता है।

अमेरिकी नौसेना के पास 11 ‘सुपर’ एक लाख टन न्‍यूक्लियर पावर्ड कैरियर्स हैं। इनमें से हर एक पर 80-90 फाइटर्स और एयरक्राफ्ट रहते हैं। चीन भी खुद को ‘एक महान देश’ साबित करने के लिए 10 एयरक्राफ्ट कैरियर्स चाहता है। चीन पहले से ही दो कैरियर्स पर आपॅरेट कर रहा है और दो तैयार भी कर रहा है।

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भारत के पास INS विक्रमादित्‍य नाम का एक 44,500 टन वजनी कैरियर है, जो नवंबर 2013 में रूस से 2.33 बिलियन डॉलर देकर लिया गया था। उसके डेक से ऑपरेट करने के लिए 2 बिलियन डॉलर देकर 45 मिग-29के विमान और खरीदे गए। 40,000 टन वजनी पहले स्‍वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर के समुद्री ट्रायल्‍स का दूसरा राउंड चल रहा है। इसे अगले साल अगस्‍त में INS विक्रांत के नाम से नौसेना में कमिशन किया जाएगा।

कोचीन शिपयार्ड ने इसे करीब 23,000 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया है। हालांकि वह पूरी तरह ऑपरेशनल 2023 के मध्‍य तक ही हो पाएगा जब उसके डेट पर MiG-29K सुपरसोनिक फाइटर जेट्स और MH-60R मल्‍टी रोज हेलिकॉप्‍टर्स तैनात हो जाएंगे।

Destroyer

प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर



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