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नई दिल्ली
काबुल से भारतीय नागरिकों को लेकर तीन निजी उड़ानें रविवार सुबह इंदिरा गांधी इंटरनेशनल (आईजीआई) एयरपोर्ट टर्मिनल 3 पर उतरीं। इनमें एयर इंडिया, विस्तारा और इंडिगो शामिल थीं। इसके साथ ही 200 से ज्‍यादा भारतीय नागरिक सकुशल घर पहुंच गए। इन्‍होंने बताया कि अफगानिस्‍तान में हालात बहुत बिगड़ गए हैं। सब निकलने के लिए छटपटा रहे हैं।

काबुल में अमेरिकी दूतावास में काम करने वाले सुखविंदर सिंह ने कहा कि काबुल की सड़कों पर अराजकता जैसी स्थिति है। सभी अफगानिस्तान छोड़ने की जल्दी में हैं। 14 अगस्त की रात को भारतीय दूतावास के एक अधिकारी के हस्तक्षेप से स्थिति बिगड़ने पर उन्हें निकाला गया था। वह तब से दोहा में रह रहे थे। उन्होंने कहा, ‘वहां फंसे ज्‍यादातर लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया है।’

उन्होंने बताया कि वह खुद उस हेलीकॉप्टर में थे, जिसका वीडियो वायरल हो गया, जिसमें लोगों को घर वापस जाने के लिए जयकार करते देखा जा सकता है। पंजाब के रहने वाले सुखविंदर सिंह बोले कि काबुल में तालिबान के सत्ता में आने के बाद अफगानिस्तान ने एक खतरनाक मोड़ ले लिया। उन्‍होंने कहा, ‘कई बार ऐसा लगा कि मैं घर नहीं लौट पाऊंगा। कोई उम्मीद नहीं बची थी।’

यह पूछे जाने पर कि क्या वह काम के लिए फिर से काबुल लौटेंगे, सुखविंदर ने कहा कि यह इस बात पर निर्भर करेगा कि भारत सरकार के साथ अफगानिस्तान के संबंध कैसे बने रहते हैं।

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काबुल में यूएई दूतावास में काम करने वाले प्रवीण सिंह ने कहा कि वह कभी भी वापस जाने के बारे में नहीं सोचेंगे। कारण है कि वहां उन्होंने जो दर्दनाक और जानलेवा अनुभव किया, वह भयावह है।

काबुल में एक निजी कंपनी में काम करने वाले और रविवार को घर लौटे कमल चक्रवर्ती ने कहा, ‘मुझे खुशी है कि मैं सुरक्षित घर लौट आया हूं। लेकिन, जब भी मैं वहां की स्थिति के बारे में सोचता हूं तो इसके बारे में सोचकर ही कांप जाता हूं।’ उन्होंने कहा कि अफगान काबुल में भारतीयों के लिए बहुत मददगार हैं। यही समय है जब भारत सरकार को भी उनके लिए कुछ करना चाहिए।

भारत ‘दूसरे घर’ जैसा
वहीं, भारतीय वायुसेना के सी-19 सैन्य परिवहन विमान के जरिये भी 107 भारतीयों और 23 अफगान सिखों और हिंदुओं समेत कुल 168 लोगों को काबुल से दिल्ली के निकट हिंडन वायुसेना अड्डे पर लाया गया। इस समूह में अफगान सांसद नरेंद्र सिंह खालसा और अनारकली होनरयार के साथ-साथ उनके परिवार के लोग भी थे। भारत को अपना ‘दूसरा घर’ बताते हुए खालसा ने अपनी खौफनाक कहानी सुनाई, जब उनका वाहन काबुल हवाई अड्डे पर ले जाए जा रहे लोगों के काफिले से अलग हो गया।

खालसा ने बताया, ‘उन्होंने (तालिबान ने) कल (शनिवार को) काबुल हवाईअड्डे पर जाते समय अफगान नागरिक होने के कारण हमें दूसरों से अलग कर दिया। हम वहां से भाग गए क्योंकि छोटे बच्चे हमारे साथ थे।’ काबुल निवासी सांसद ने उम्मीद जताई कि वह चीजें ठीक होने के बाद अपने देश वापस जाने का प्रबंध करेंगे।

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खालसा ने कहा, ‘भारत हमारा दूसरा घर है। हम वहां पीढ़ियों से रह रहे हैं। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि अफगानिस्तान का पुनर्निर्माण हो, और हम वहां वापस जाकर अपने गुरुद्वारों और मंदिरों में लोगों की सेवा कर सकें।’ अफगानिस्तान के हालात और उसके नए शासकों के बारे में खालसा ने कहा, ‘तालिबान एक समूह नहीं है- 10-12 धड़े हैं। यह पता लगाना मुश्किल है कि कौन तालिबानी है और कौन नहीं।’

हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि अफगानिस्तान का पुनर्निर्माण हो और हम वहां वापस जाकर अपने गुरुद्वारों और मंदिरों में लोगों की सेवा कर सकें।

अफगान सांसद नरेंद्र सिंह खालसा

पीएम मोदी का शुक्रिया
अफगानिस्तान की संसद के उच्च सदन की सदस्य होनरयार ने एक वीडियो संदेश में कहा, ‘मैं भारत सरकार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, विदेश मंत्रालय और भारतीय वायु सेना को काबुल से हमें लाने और हमारी जान बचाने के लिए शुक्रिया अदा करती हूं।’ अधिकारियों ने कहा कि हिंडन और राष्ट्रीय राजधानी में इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचने वाले सभी लोगों की कोविड-19 संबंधी जांच की गई है।

मैं भारत सरकार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, विदेश मंत्रालय और भारतीय वायु सेना को काबुल से हमें लाने और हमारी जान बचाने के लिए शुक्रिया अदा करती हूं।

अफगानिस्तान की संसद के उच्च सदन की सदस्य होनरयार

अफगान नागरिक अलादाद कुरैशी की पत्नी कश्मीर की हैं। कुरैशी ने कहा, ‘मेरी दो बेटियां हैं। हमें बचाने के लिए हम भारत सरकार, मोदी जी, विदेश मंत्रालय और वायु सेना को धन्यवाद देते हैं।’

आजीविका की तलाश में छह महीने पहले अफगानिस्तान गए माणिक मंडल ने मुस्कुराते हुए कहा, ‘काबुल में हमें बहुत समस्याओं का सामना करना पड़ा, लेकिन हमारी सरकार ने हमें बचा लिया।’

(आईएएनएस और भाषा के इनपुट के साथ)

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