Sindhu Dhara

समाज की पहचान # सिंध की उत्पति एवं इतिहास<> सिंधी भाषा का ज्ञान <> प्रेणादायक,ज्ञानवर्धक,मनोरंजक कहानिया/ प्रसंग (on youtube channel)<>  सिंधी समाज के लिए,वैवाहिक सेवाएँ <> सिंधी समाज के समाचार और हलचल <>
India Pakistan News: कुछ बड़ा होने वाला है… PoK बॉर्डर से ‘जासूस’ ने भेजा था खुफिया इनपुट, करगिल वॉर की इनसाइड स्टोरी – duniya ke jasoos kargil war intelligence alert government but not followed


बॉर्डर पर थी हलचल तो बस यात्रा क्यों हुई?

बॉर्डर पर थी हलचल तो बस यात्रा क्यों हुई?

क्या करगिल वॉर के बारे में इंटेलिजेंस इनपुट को सरकार ने इग्नोर किया? ANI को दिए इंटरव्यू में सूद ने कहा कि तब कहा गया था कि नहीं, ऐसा नहीं हो सकता है। क्या पॉलिटिकल लीडरशिप ने गलती की? इस पर वह कहते हैं कि RAW एक ऐसी एजेंसी है जो सूचना की सप्लाई करती है। हम सुझाव देते हैं और वहीं हमारा रोल खत्म हो जाता है। इसके आगे पॉलिटिकल मास्टर या सूचना पाने वाले किसी अन्य को तय करना होता है कि उस सूचना का क्या करना है। अगर सरकार या सूचना पाने वाली लीडरशिप इसे ‘नहीं हो सकता’ कहती है तो एजेंसी कुछ भी नहीं कर सकती है।

छह महीने बाद खुफिया एजेंसी ने एक और रिव्यू किया था। 1999 में वह अप्रैल का महीना था। इसमें कहा गया कि उनकी (पाकिस्तान) मंशा आक्रामक है। पिछले 8-9 महीनों में उत्तरी कमान ने उस इलाके में 9 गुना ज्यादा गाड़ियों का मूवमेंट नोट किया है। यह गाड़ी पाकिस्तानियों की थी। वह भी एक इंडिकेटर था कि यह तो जंग का आगाज है। क्यों इतने सैनिक, साजोसामान की मूवमेंट हो रही है? करगिल से पहले मिलिट्री इंटेलिजेंस, रॉ और आईबी का भी इनपुट दिया जा चुका था।

ऐसे में यह सवाल उठता है कि जब यह सूचना मिल रही थी तो लाहौर बस यात्रा क्यों हुई? रॉ के पूर्व चीफ कहते हैं, ‘मैं नहीं जानता। वह एक राजनीतिक फैसला था।’ सवाल उठता है कि प्रधानमंत्री खुद पाक जाने का इतना बड़ा फैसला लेते हैं जबकि तीन सोर्स से पाकिस्तानियों के मंसूबे की जानकारी मिल रही थी। इस पर सूद कहते हैं कि मैं नहीं जानता कि उन्हें पता था या नहीं। जून 1998 में IB चीफ का नोट था जिसमें पीओके में हलचल की सूचना दी गई थी। कहा गया कि कुछ हो रहा है। वह रिपोर्ट सबको भेजी गई थी। पीएम के प्रिंसिपल सेक्रेट्री, गृह सचिव, संयुक्त खुफिया समिति, कैबिनेट सेक्रेट्री को पता था और शायद गृह मंत्री को भी जानकारी थी।

मुशर्रफ का ऑडियो भी मिला था

मुशर्रफ का ऑडियो भी मिला था

RAW ने क्या खुफिया इनपुट का कोई प्रूफ सरकार को दिया था? इस पर विक्रम सूद ने बताया कि लोकेशन बताने के लिए सैटलाइट मैप दिए गए थे, एक टेप भी दिया गया था जिसमें मुशर्रफ जनरल अजीज खान से बात करते सुने गए थे। जब पाक आर्मी ने करगिल में लड़ाई छेड़ी तो शुरू में वे ऊंचाई पर थे और मजबूत पोजीशन में भी। मुशर्रफ ने बीजिंग से अजीज को फोन किया था और कह रहे थे, ‘इनकी तो टूटी (रिमोट कंट्रोल जैसा भाव) हमारे हाथ में है।’ मतलब था कि पूरा ऑपरेशन हमारे नियंत्रण में है। वह कह रहे थे कि मियां नवाज शरीफ को ज्यादा बताने की जरूरत नहीं है। उन्हें कहना कि सब ठीक है और हम इसे जारी रखेंगे। उस बातचीत ने प्रूफ दे दिया था कि पाकिस्तान आर्मी पूरी तरह से शामिल है।

भारत-पाकिस्तान के बीच इस लड़ाई के बारे में रॉ के पूर्व चीफ एएस दुलत ने भी 2018 में दावा किया था कि पाकिस्तानियों की तरफ से मूवमेंट के बारे में रिपोर्ट काफी पहले ही तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी को भेजी गई थी। यह जानना भी दिलचस्प है कि 1998 में करगिल के इलाके में पाकिस्तानी सैनिकों के होने की जानकारी एक इंटेलिजेंस ऑफिसर ने IB चीफ को दी थी। यह बात तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी तक पहुंचाई जानी थी। 18 साल के बाद उस अधिकारी को वीरता पुरस्कार दिया गया था। चंद्र सेन सिंह लेह में तैनात थे, जहां उन्होंने एलओसी पर पाकिस्तान की तरफ सैनिकों की मौजूदगी बढ़ने की कई रिपोर्ट तैयार की थी। उनके डॉक्यूमेंट के आधार पर ही तत्कालीन आईबी चीफ दत्ता ने जून 1998 में सरकार को हस्ताक्षर के साथ नोट भेजा था। एक साल बाद लड़ाई छिड़ी। बताते हैं कि 40 से ज्यादा रिपोर्ट तब आईबी ने करगिल के आसपास के माहौल को लेकर तैयार की थी।

RAW के बड़े मिशन की कहानी

RAW के सबसे बड़े ऑपरेशन की कहानी! जब दिल्ली में हुआ फोन टैप और हो गए पाकिस्तान के दो टुकड़े!



Source link

By admin