न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी की पीठ ने उस व्यक्ति को 10,000 रुपये प्रति माह का गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया, जिसने अपनी अलग रह रही पत्नी के चरित्र पर सवाल उठाते हुए अपने बेटे के डीएनए परीक्षण की मांग की थी। फैमिली कोर्ट ने व्यक्ति को बच्चे के लिए 6,000 रुपये का गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया था।
पीठ ने उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ पत्नी की अपील को अनुमति दी, जिसने परिवार अदालत के आदेश को बरकरार रखा था। परिवार अदालत ने गुजारा भत्ता देने की पत्नी की याचिका खारिज कर दी थी, लेकिन उसके नाबालिग बेटे के लिए वित्तीय सहायता की अनुमति दी थी।
पीठ ने कहा, ‘पत्नी और नाबालिग बच्चों को वित्तीय मदद प्रदान करना पति का पुनीत कर्तव्य है। पति के लिए शारीरिक श्रम से भी पैसा कमाने की जरूरत होती है, अगर वह सक्षम है। कानून में वर्णित कुछ आधारों को छोड़कर वह (पति) पत्नी और बच्चे के प्रति अपने दायित्व से बच नहीं सकता।’