Sindhu Dhara

समाज की पहचान # सिंध की उत्पति एवं इतिहास<> सिंधी भाषा का ज्ञान <> प्रेणादायक,ज्ञानवर्धक,मनोरंजक कहानिया/ प्रसंग (on youtube channel)<>  सिंधी समाज के लिए,वैवाहिक सेवाएँ <> सिंधी समाज के समाचार और हलचल <>
how east pakistan was separated from west: Plan To Separate East Pakistan From West Pakistan Began In 1965 Says Vice-Admiral Anil Kumar Chawla – पाकिस्‍तान के दो टुकड़े करने का प्‍लान तो 1965 में ही बन गया था, बस अमल 1971 में हुआ: नौसेना अधिकारी


हाइलाइट्स

  • 1971 में भारत और पाकिस्‍तान युद्ध के बाद अस्तित्‍व में आया था बांग्‍लादेश
  • दक्षिणी नौसेना कमान के प्रमुख ने ‘क्‍लासिफाइड’ डॉक्‍युमेंट्स को किया कोट
  • वाइस-एडमिरल अनिल चावला ने कहा- 1965 से ही भारत बना रहा था प्‍लान
  • ISI की दखलअंदाजी से आजिज आ चुका था भारत, मुक्ति वाहिनी को दी ट्रेनिंग

बेंगलुरु
भारत ने पूर्वी पाकिस्‍तान को पश्चिमी पाकिस्‍तान से अलग करने पर 1965 से ही विचार शुरू कर दिया था। नौसेना की दक्षिणी कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ वाइस-एडमिरल अनिल कुमार चावला ने शनिवार को यह बात कही। उन्‍होंने ‘क्‍लासिफाइड’ दस्‍तावेजों का हवाला देकर कहा कि इस बात की पुष्टि के पर्याप्‍त सबूत हैं। शीर्ष नौसेना अधिकारी के अनुसार, उत्‍तर-पूर्व में उग्रवाद को बढ़ावा देने में ISI की बढ़ती भूमिका ऐसा सोचने के पीछे एक बड़ी वजह थी। वाइस-एडमिरल ने कहा क‍ि उस वक्‍त के अनुभवों का इस्‍तेमाल सेना ने मुक्ति वाहिनी को ट्रेनिंग देने के दौरान किया।

दक्षिणी कमान के प्रमुख 1971 भारत-पाकिस्‍तान युद्ध में जीत के गोल्‍डन जुबली सेलिब्रेशन में हिस्‍सा लेने येलहंका एयरफोर्स स्‍टेशन पहुंचे थे। भारत ने पाकिस्‍तान को 1971 में युद्ध में करारी शिकस्‍त दी थी। इसके बाद पूर्वी पाकिस्‍तान में नई सरकार खड़ी करने में मदद की। इस तरह ‘बांग्‍लादेश’ अस्तित्‍व में आया।

1965 की जंग के बाद इसपर सक्रियता से विचार शुरू हुआ कि कैसे पूर्वी पाकिस्‍तान को पश्चिम से अलग किया जाए। प्रमुख वजह उत्‍तर-पूर्व में ISI की दखलअंदाजी थी, चटगांव की पहाड़‍ियों में नगा लड़ाकों को ट्रेनिंग दी जा रही थी। हमने उस वक्‍त मिले सबकों का इस्‍तेमाल मुक्ति वाहिनी को ट्रेनिंग देने के दौरान किया।

अनिल कुमार चावला, वाइस-एडमिरल

पढ़ें, भारत-पाकिस्तान 1971 युद्ध की पूरी कहानी
‘कमजोर’ इंदिरा और शेख मुजीबुर रहमान की जीत
वाइस-एडमिरल ने कहा कि उस समय भारत कमजोर था क्‍योंकि कांग्रेस टूट चुकी थी और इंदिरा गांधी किसी तरह प्रधानमंत्री बन पाई थीं। उन्‍होंने कहा, ‘विपक्ष उन्‍हें उन्‍हें ‘गूंगी गुड़‍िया’ कहता था, उसे उनके लंबा टिकने की उम्‍मीद नहीं थी।’ दक्षिणी कमान के प्रमुख ने कहा कि 1969 में यहिया खान ने टिक्‍का खान से सत्‍ता ले ली थी। चावला ने कहा, ‘उन्‍होंने (यहिया) 1954 के ‘वन यूनिट जियोपॉलिटिकल प्रोग्राम’ को भंग करके पूरी कहानी शुरू की। 1970 में चुनाव की घोषणा हुई।’

भारत-पाक 1971 की जंग के 50 साल, शहीदों को वायुसेना का एरियल सैल्यूट

वाइस-एडमिरल ने कहा कि 1970 के चुनाव पाकिस्‍तान के पहले ऐसे चुनाव थे जिसमें वन वर्सन वन वोट का सिद्धांत लागू हुआ। उन्‍होंने कहा कि इंदिरा गांधी ने फरवरी 1971 में तय चुनाव की जगह डेढ़ साल पहले चुनाव कराने का फैसला किया। उन्‍होंने कहा, ‘यहिया अपने प्‍लान पर मजबूती से डटे हुए थे और इंदिरा कमजोर थीं। दिसंबर 1970 में अचानक से सबकुछ बदल गया जब पूर्व पाकिस्‍तान में शेख मुजीबुर रहमान ने 160 सीटें जीत लीं और पश्चिम पाकिस्‍तान में भुट्टों केवल 81 सीटें जीत सके। रहमान को प्रधानमंत्री का अगला उत्‍तराधिकारी माना जाता था।’

1971 भारत- पाकिस्तान युद्ध: ‘स्पेशल 7’ एक ही बैच के 7 अधिकारी जिन्होंने पाकिस्तान के नाक में कर दिया दम
किस वजह से ऐक्‍शन लेने पर मजबूर हुआ भारत?
वाइस-एडमिरल के अनुसार, 1965 में यह विचार बेहद शुरुआती चरण में था। उनके मुताबिक, 30 जनवरी 1971 को कश्‍मीरी आतंकियों का इंडियन एयरलाइंस के एक विमान को अगवा कर लाहौर ले जाना शायद ट्रिगर पॉइंट रहा हो। चावला ने कहा, ‘भारत सरकार ने ओवरफ्लाइट सुविधाएं रोक दीं, ताकि पूर्वी पाकिस्‍तान में उन्‍हें फिर हथियार जुटाने से रोका जा सके। उन्‍हें कोलंबो के ऊपर से उड़ना पड़ा जो मुश्किल और खर्चीला था। रहमान का चुनाव जीतने फिर भी पीएम ने बनने से पूरा प्‍लॉट सामने आने लगा। मार्च में जैसे ही रहमान ने आजादी का ऐलान किया, भारत ने अप्रैल 1971 में युद्ध में दखल देना शुरू किया।

चावला ने कहा क‍ि 7 मार्च को इंदिरा गांधी ने एकतरफा जीत हासिल की जिससे उनकी पोजिशन मजबूत हो गई। कई चीजें अपनी जगह पर सेट होती गईं और उन्‍हें ‘भारत की दुर्गा’ कहा जाने लगा। दक्षिणी कमान के प्रमुख ने कहा क‍ि 1971 में युद्ध के सिद्धांतों का लगभग पूरी तरह पालन हुआ था।

anil kumar chawla

वाइस-एडमिरल अनिल कुमार चावला (फाइल फोटो)



Source link

By admin