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heart attack symptoms iit delhi gb pant hospital model news today : एक मिनट में चलेगा पता हार्ट अटैक के बाद कौन रहेगा ज्यादा दिनों तक जीवित


नई दिल्ली : हार्ट अटैक के बाद कौन सा मरीज ज्यादा सीवियर है, किसके मरने की आशंका ज्यादा है, अब इसका पता भारतीय मॉडल से चल सकेगा। आईआईटी दिल्ली और जीबी पंत अस्पताल ने एक ऐसा आर्टिफिशल इंटेलिजेंस यानी मॉडल डेवलप किया है, जिसके आधार पर यह पता लगाया जा सकेगा कि हार्ट अटैक के बाद कौन सा मरीज कितने दिन जिंदा रहेगा। इसका फायदा यह है कि जिन मरीजों की बचने की संभावना कम है, उन पर ज्यादा ध्यान दिया जा सकेगा। इंटरनैशनल जरनल ऑफ कॉर्डियोलॉजी ने अपने हालिए संस्करण में इसे प्रकाशित भी किया है।

हाई रिस्क या लो रिस्क के लिए अमेरिकन स्कोर का इस्तेमाल
स्टडी के प्रिंसिपल इनवेस्टिगेटर जीबी पंत अस्पताल के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. मोहित गुप्ता ने बताया कि देश में हार्ट अटैक के मरीज बहुत ज्यादा हैं। अभी तक हम हाई रिस्क या लो रिस्क का पता लगाने के लिए अमेरिकन स्कोर का इस्तेमाल करते थे, जिसकी स्टडी भारतीय लोगों पर नहीं हुई थी। अब लगभग 4 हजार भारतीय मरीजों पर स्टडी कर हमने अपना स्कोर डेवलप किया है। उनका तरीका ट्रेडिशनल था, लेकिन हमने नए तरीके से आर्टिफिशल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल कर आईआईटी दिल्ली के साथ मिलकर यह सिंपल ऑनलाइन कैलकुलेटर बनाया है।


पता चलेगी जीने और मरने की वजह
डॉ. मोहित ने कहा कि सिर्फ एक मिनट में यह कलुकेटर यह बता देगा कि कौन सा मरीज ज्यादा दिन तक जिंदा रहेगा। उन्होंने कहा कि मरीज के पैरामीटर को इसमें डालेंगे, जिससे पता चल जाएगा कि कौन से मरीज की मरने की संभावना ज्यादा है और कौन ज्यादा दिनों तक जिंदा रहेगा। यही नहीं यह मॉडल यह भी बताएगा कि किस मरीज की मौत की वजह कौन सा पैरामीटर है और जो बच रहा है, वह किस पैरामीटर की वजह से बच रहा है।

पहचान सकेंगे सीवियर मरीज
डॉ. मोहित ने बताया कि यह सिस्टम सीवियर मरीज की पहचान में सहायक होगा। हार्ट अटैक के बाद जब किसी मरीज को अस्पताल से छुट्टी मिलती है तो उसी समय उसका स्कोर बना लिया जाए, जिसका रिस्क ज्यादा हो यानी उसे क्लोज फॉलोअप की जरूरत है, जिसका स्कोर कम आता है उसे स्लो फॉलोअप की जरूरत है। यह तकनीक अभी नॉर्थ इंडिया के मरीजों पर की गई स्टडी के आधार पर है। इसे अब पूरे देश के मरीजों पर किया जाएगा।


हर साल करीब 14 लाख को होते हैं शिकार
देश में हर साल औसतन 13 से 14 लाख लोग हार्ट अटैक के शिकार होते हैं। इसमें से 8 से 9 परसेंट की मौत हो जाती है। इतनी बड़ी संख्या में मरीजों का प्रेशर अस्पतालों पर पड़ता है। इसमें से नहीं पता होता है कि कौन ज्यादा सीवियर है और कौन कम। ऐसे में कई बार जरूरतमंद मरीजों को इलाज नहीं मिल पाता है। इस तकनीक से जान सकेंगे कि किसे ज्यादा इलाज की जरूरत है, जिससे उसकी जान बचाने में मदद मिलेगी।



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By admin