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Gujarat Assembly Election: छात्र राजनीति से निकले, फिर छात्र आंदोलन ने ही छीनी सीएम की कुर्सी, गुजरात के ‘छोटे सरकार’ का पूरा किस्सा


अहमदाबाद: महज 21 साल की उम्र में पहले वडोदरा की प्रतिष्ठित महाराजा सयाजीराव यूनिवर्सिटी (MSU) के पहले छात्र संघ अध्यक्ष चुने गए, इसके बाद गुजरात के डिप्टी सीएम और बाद में सीएम की कुर्सी। ये सफर है गुजरात के ‘छोटे सरकार’चिमनभाई पटेल (Chimanbhai Patel) का है। जिन्हें नर्मदा योजना का प्रणेता माना जाता है। छात्र राजनीति से निकलकर अपने तेवरों से देश की राजनीति में धाक जमाने वाले चिमनभाई पटेल (Chimanbhai Patel) की चर्चा गुजरात की राजनीति में आज भी होती है। पहली बार वे मुख्यमंत्री बनने के लिए प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Prime Minister Indira Gandhi) से भिड़ गए थे और धमकी दे दी थी, तो दूसरी जब बीजेपी ने समर्थन वापस खींचा था तो कुशलतापूर्वक अपनी सरकार को बचा ले गए थे। गुजरात की राजनीति में कई दशक तक सक्रिय रहे चिमनभाई पटेल से जुड़े कई किस्से हैं। आज बात उनके बड़े सफरनामे की।

‘हाईकमान नहीं विधायक लेंगे फैसला’
जून 1973 चिमनभाई पटेल (Chimanbhai Patel) के समर्थन में महज़ 70 विधायक थे। विधानसभा में तक 168 सदस्यों की थी। ऐसे में सरकार बनाने के लिए उनके पास जरूरत भर के विधायक नहीं थे। यानी खुद मुख्यमंत्री के दौड़ में होने के बावजूद समर्थक विधायकों की संख्या कम होने से वे परेशान थे। उनके सामने दो ही रास्ते थे। पहला वे पार्टी से अलग हो जाएं या फिर इंदिरा गांधी जिसे मुख्यमंत्री बनाना चाहें उसका समर्थन करें। चिमनभाई पटेल (Chimanbhai Patel) इन दोनों स्थितियों के पक्ष में नहीं थे। वे इंदिरा गांधी से मिलने पहुंचे। मुलाकात में जब बात बिगड़ी, तो उन्होंने इंदिरा गांधी से साफ तौर पर कहा कि आप यह तय नहीं कर सकती कि गुजरात में विधायक दल का नेता कौन होगा। कांग्रेस ने गुजरात में पर्यवेक्षक की मौजूदगी में नेता का चुनाव कराने का फैसला किया। इसके लिए मतदान का फैसला लिया गया है। इतना ही नहीं पहली बार गुप्त मतदान कराया गया। मतों की गिनती दिल्ली में कराई गई। इस मतदान में चिमनभाई पटेल सात वोटों से जीत गये। फिर क्या था, चिमनभाई पटेल ने गुजरात के पांचवें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। लेकिन वह लंबे दौर तक अपने पद पर नहीं रहे।

Chiman bhai

समर्थकों के साथ और अपने गांधीनगर ऑफिस में चिमनभाई पटेल। फोटो:BCCL

मेस की फीस में गई कुर्सी
साल 1973 में दिसंबर का महीना चल रहा था। अहमदाबाद के लालभाई दलपतभाई इंजीनियरिंग कॉलेज की हॉस्टल मेस की फीस में अचानक 20 प्रतिशत का इजाफा कर दिया गया। फिर क्या था छात्र आक्रोशित हो गए। छात्रों ने इसके खिलाफ प्रदर्शन शुरू कर दिया। सरकार ने जब कोई हल नहीं निकाला तो गुजरात यूनिवर्सिटी में ऐसा ही एक प्रदर्शन शुरू हो गया। प्रदर्शन के दौरान पुलिस और छात्रों के बीच झड़प हुई। 7 जनवरी को छात्र आमरण अनशन पर बैठ गए। छात्रों का आंदोलन प्रदेश व्यापी हो गया। इसमें शिक्षक और वकील भी जुड़ गए। इसके बाद नव निर्माण युवक समिति की स्थापना कर मुख्यमंत्री का इस्तीफा मांगना शुरू किया। 25 जनवरी को पूरे गुजरात में पुलिस और आंदोलनरत छात्रों के बीच झड़पें हुईं। स्थिति बिगड़ने पर सेना बुलाया गया। हालत बेकाबू होते देख प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने चिमनभाई पटेल से 9 फरवरी को इस्तीफा ले लिया। कहते हैं कि चिमनभाई पटेल (Chimanbhai Patel) के इस्तीफे के पीछे आंदोलन के साथ-साथ कुछ और वजहें भी थीं।
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17 साल बाद सत्ता में की वापसी
इसके बाद चिमनभाई पटेल (Chimanbhai Patel) को 17 साल का इंतजार करना पड़ा तब उन्हें सीएम की कुर्सी मिली। 4 मार्च, 1990 को वे फिर प्रदेश के सीएम बने। इस बार उन्हें जनता दल से मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला। उनकी सरकार को तब बीजेपी ने समर्थन दिया था। अक्टूबर के आखिरी में बीजेपी ने समर्थन वापस ले लिया। चिमनभाई पटेल ने कांग्रेस के समर्थन से सरकार बचा ली। वे दूसरे कार्यकाल में 3 साल 350 दिन मुख्यमंत्री रहे। 17 फरवरी, 1994 को अचानक चिमनभाई की मौत हो गई। तो छबीलदास मेहता को सीएम बनाया गया।
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दूसरे कार्यकाल में छोड़ी छाप
चिमनभाई पटेल (Chimanbhai Patel) जब दूसरी बार मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने इस कार्यक्रम में बड़े काम किए। नर्मदा को गुजरात की लाइफलाइन मानते हुए सरदार सरोवर प्रोजेक्ट को पूरा करवाने का काम किया। इतन ही नहीं चिमनभाई हिंदुस्तान के पहले मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने गो हत्या पर कानून बनाकर बैन लगाया था। चिमनभाई पटेल ने ही हिंदू और जैन त्योहारों पर मीट की बिक्री रुकवाई थी। उनके कार्यकाल में ही गुजरात के बंदरगाहों, रिफाइनरी और पावर प्लांट में प्राइवेट कंपनियों के साथ साझेदारी शुरू हुई। जो आगे चलकर बड़ा मॉडल बनी। चिमनभाई (Chimanbhai Patel) के प्रशसंक आज भी उनके समाधि स्थल नर्मदा घाट जाते हैं। यह गांधीनगर में स्थित है। चिमनभाई पटेल (Chimanbhai Patel) के पुत्र सिद्धार्थ पटेल कांग्रेस में हैं वे विधायक के साथ गुजरात प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
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