Sindhu Dhara

समाज की पहचान # सिंध की उत्पति एवं इतिहास<> सिंधी भाषा का ज्ञान <> प्रेणादायक,ज्ञानवर्धक,मनोरंजक कहानिया/ प्रसंग (on youtube channel)<>  सिंधी समाज के लिए,वैवाहिक सेवाएँ <> सिंधी समाज के समाचार और हलचल <>
guddu jamali: bsp supremo mayawati announces candidate for azamgarh bypoll akhilesh yadav challenge,उपचुनाव से पहले ही मायावती ने बढ़ा दी अखिलेश की टेंशन, आजमगढ़ में चल दिया बड़ा दांव


नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में जीत के बाद एक ओर जहां भारतीय जनता पार्टी जीत का जश्न मना रही है तो वहीं विपक्षी पार्टियां हार के कारणों का पता लगाने और आगे की योजना बनाने में जुट गई हैं। इसी कड़ी में रविवार बहुजन समाज पार्टी की एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। इस बैठक में बसपा सुप्रीमो मायावती (BSP Supremo Mayawati) की ओर से कई बड़े फैसले लिए गए हैं। इनमें से एक फैसला सपा चीफ अखिलेश यादव की टेंशन बढ़ाने वाला है। करहल सीट से जीत के बाद अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने आजमगढ़ लोकसभा सीट (Azamgarh Lok sabha ) से इस्तीफा दे दिया है और अब यहां उपचुनाव होगा। आजमगढ़ को यूपी में सपा का मजबूत गढ़ माना जाता है। मायावती ने यहां से गुड्डू जमाली को उम्मीदवार घोषित किया है। गुड्डू जमाली बीते विधानसभा चुनाव में ओवैसी की पार्टी के इकलौते कैंडिडेट थे जिनकी जमानत बची थी।

आजमगढ़ में मायावती की चाल, निशाने पर कौन

ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम छोड़ शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली एक बार फिर बसपा में लौट आए हैं। उनकी अपने पुरानी पार्टी में वापसी हुई है और आते ही बीएसपी ने उन्हें आजमगढ़ लोकसभा सीट से उपचुनाव के लिए प्रत्याशी भी घोषित कर दिया है। आजमगढ़ जिले की मुबारकपुर सीट से गुड्डू जमाली 2012 और 2017 का चुनाव लड़कर विधानसभा पहुंचे थे। बीते यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में सपा के टिकट पर चुनाव लड़ने की चर्चा थी लेकिन बात बनी नहीं। इसके बाद इन्होंने ओवैसी की पार्टी से चुनाव लड़े लेकिन हार का सामना करना पड़ा। गुड्डू जमाली को इस चुनाव में 36 हजार से ज्यादा वोट मिले और पूरे प्रदेश में ओवैसी की पार्टी एक मात्र उम्मीदवार ऐसे रहे जो अपनी जमानत बचाने में कामयाब हुए। बीएसपी के इस फैसले एक बात तो तय है कि आजमगढ़ की लड़ाई रोचक होगी।

आजमगढ़ में जीत सपा के लिए क्यों है जरूरी

आजमगढ़ सपा का मजबूत गढ़ है। इस विधानसभा चुनाव में यह बात और भी पुख्ता हुई। आजमगढ़ में सपा ने जीत का रिकॉर्ड बनाते हुए सभी दस सीटों पर जीत हासिल की। विधानसभा चुनाव से पहले जब अखिलेश यादव के चुनाव लड़ने की चर्चा शुरू हुई तो यह माना जा रहा था कि वो आजमगढ़ की किसी सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। आजमगढ़ से ही उन्होंने लोकसभा का चुनाव भी जीता था। हालांकि वो मैनपुरी की करहल सीट से लड़ें। नतीजों के बाद कयास लगने शुरू हुए कि विधायकी छोड़ेंगे या सांसदी।

Akhilesh Yadav Resign: अखिलेश यादव ने लोकसभा की सदस्यता से दिया इस्तीफा, आजम खान ने भी छोड़ी सांसदी
अखिलेश यादव ने हाल ही में लोकसभा से बतौर सांसद इस्तीफा दे दिया है। उनके इस्तीफे के बाद अब आजमगढ़ सीट पर उपचुनाव होंगे। बसपा सुप्रीमो मायावती ने अभी से ही अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया वहीं अब सपा चीफ अखिलेश यादव के सामने इस सीट को बचाने की चुनौती होगी। 2019 के लोकसभा चुनाव में जब मोदी लहर देखने को मिली उस वक्त भी अखिलेश यादव ने आजमगढ़ से शानदार जीत दर्ज की। अखिलेश यादव ने बीजेपी के दिनेश लाल निरहुआ को 2.5 लाख से अधिक वोटों से हराया। हालांकि उस वक्त मायावती की पार्टी उनके साथ मिलकर चुनाव लड़ रही थी। यह सीट सपा के लिए इसलिए भी खास है क्योंकि अखिलेश यादव खुद इस सीट से विजयी हुए थे और विधानसभा में भी सभी दस सीटें उनकी पार्टी को मिलीं। बसपा के बाद अब दूसरे दलों पर नजर रहेगी लेकिन एक बात तो तय है कि यहां मुकाबला दिलचस्प होगा।

अखिलेश-आजम का इस्तीफा, बड़ा सवाल… आजमगढ़ और रामपुर से अब कौन? डिंपल यादव, तजीन फातिमा या कोई और
बसपा हार से सबक

उत्तर प्रदेश के विधासभा चुनाव में इस बार सबसे अधिक किसी को नुकसान हुआ तो बीएसपी को। वोट प्रतिशत घटने के साथ ही सीटों की संख्या 1 पर आ गई। इन चुनावों में बीएसपी के वोट शेयर में 10 फीसदी से अधिक की गिरावट दर्ज की है। मायावती ने प्रदेश अध्यक्ष, विधानसभा अध्यक्ष और जिलाध्यक्ष के पदों को छोड़कर पार्टी की सभी इकाइयों को भंग कर दिया है। पार्टी की चुनावी हार पर चर्चा के लिए रविवार बुलाई गई एक बैठक में मायावती ने कार्रवाई की घोषणा की।

Mayawati and Akhilesh yadav



Source link

By admin