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Global Warming: ग्लोबल वॉर्मिंग का भारत पर असर, Global Warming Impact on Indian City


Written by | नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated: Oct 27, 2021, 2:46 PM

ग्लोबल वार्मिंग के गंभीर खतरे का असर भारत पर भी पड़ रहा है। आने वाले कुछ सालों में औसत तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस (2.7 फॉरेनहाइट) तक बढ़ने की चेतावनी के बीच मुंबई, कोलकाता, चेन्नै सहित देश के बड़े तटीय शहरों के डूब जाने का खतरा बन गया है। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में ऐसी बात सामने आई है।

 

मुंबई/कोलकाता/चेन्नै
धरती का तापमान साल-दर-साल बढ़ता ही जा रहा है। ग्लोबल वार्मिंग के गंभीर खतरे का असर भारत पर भी पड़ रहा है। आने वाले कुछ सालों में औसत तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस (2.7 फॉरेनहाइट) तक बढ़ने की चेतावनी के बीच मुंबई, कोलकाता, चेन्नै सहित देश के बड़े तटीय शहरों के डूब जाने का खतरा बन गया है। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में ऐसी बात सामने आई है।

ग्लासगो में होने वाले संयुक्त राष्ट्र के जलवायु सम्मेलन से एक सप्ताह पहले आई यूएन की इस स्टडी के मुताबिक भारत के 25 राज्य और केंद्रशासित प्रदेश जलवायु परिवर्तन की वजह से बाढ़ और सूखा प्रभावित इलाकों में शामिल हैं। इनमें महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, असम प्रमुख रूप से शामिल हैं। बारिश और सूखे के आंकड़े के अनुसार 80 प्रतिशत भारतीय आपदा संभावित जिलों में रहते हैं।

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हाल ही में कुछ महीने पहले इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (IPCC) की रिपोर्ट में ग्लोबल वार्मिंग की चेतावनी दी गई थी। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की एक रिपोर्ट के अनुसार, गंगा के पानी का तापमान बढ़ रहा है। CPCB की बायोलॉजिकल हेल्थ ऑफ रिवर गंगा रिपोर्ट में औसत तापमान में लगभग 1 डिग्री तक की वृद्धि से ग्लेशियरों के पिघलने की रफ्तार बढ़ने का जिक्र है।

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एक रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया के तटीय शहरों में करीब 15 करोड़ लोग उन जगहों पर रह रहे हैं, जिनके घर हाई टाइड की वजह से पानी में बह जाएंगे। इन सब घटनाओं से भारत भी अछूता नहीं है। अकेले भारत में ही 3.5 करोड़ लोगों पर ही खतरा मंडरा रहा है। भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई का कमोबेश सफाया हो सकता है। शहर के अधिकांश हिस्सों में साल-दर-साल बाढ़ आएगी और इस क्षेत्र के कुछ हिस्सों के 2100 तक बाढ़ में डूबने का खतरा है।

IPCC की रिपोर्ट के आधार पर अब अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी (NASA) ने भारत के 12 तटीय शहरों के सदी के अंत तक डूबने खतरा जताया है। नासा के अनुसार इस सदी के अंत तक इन शहरों में 3 फीट तक समुद्री पानी भर सकता है। लगातार बढ़ रही गर्मी के कारण ग्लेशियरों के पिघलने से यह स्थिति बनेगी। इनमें मुंबई, चेन्नै, कोलकाता, कोच्चि, पारादीप, भावनगर, मेंगलुरु, विशाखापट्टनम जैसे शहर शामिल हैं।

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ग्लोबल वार्मिंग की वजह से जलवायु परिवर्तन और इस वजह से ग्लेशियर पिघलने के साथ ही समुद्र का जलस्तर बढ़ने की घटना सामने आ रही है। एक स्टडी के अनुसार, समुद्र के बढ़ते जलस्तर से हमारी सोच से तीन गुना अधिक खतरे की आशंका है। 2050 तक दुनियाभर के 30 करोड़ लोग ऐसी जगहों पर रह रहे होंगे, जो सालाना बाढ़ से डूब जाएंगे।



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