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ganga vilas cruise, गंगा विलास क्रूज फंस गया तो अब क्या होगा? जान लीजिए कैसे निकाले जाते हैं पानी के विशालकाय जहाज – ganga vilas cruise stuck in chhapra know how can giant vessel be fetched to river bank


नई दिल्ली: देश का पहला हाई लग्जरी क्रूज गंगा विलास अपनी पहली यात्रा के तीसरे दिन ही फंस गया। वाराणसी से चला गंगा विलास क्रूज बिहार के छपरा में कम पानी होने के कारण फंस गया। शेड्यूल के हिसाब से सैलानियों को छपरा से 11 किमी दूर डोरीगंज बाजार के पास चिरांद के पुरातात्विक स्थलों का दौरा करना है। इसके लिए तय रूट से क्रूज छपरा पहुंचा, लेकिन वहां गंगा नदी में पानी बिल्कुल उथला होने के कारण उसे आगे बढ़ने में परेशानी होने लगी। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि क्या इतना बड़े क्रूज का रूट तय करते वक्त यह पता नहीं किया गया था कि कहीं, किसी क्षेत्र में नदी की गहराई इतनी कम तो नहीं कि क्रूज फंस जाए? खैर, पता किया गया था या नहीं, इससे बड़ा सवाल अब यह हो गया है कि गंगा विलास अगर नदी में फंस जाए तो फिर क्या होगा? यानी उसे कैसे निकाला जाएगा?

स्वेज नहर में फंसा था विशालकाय जहाज- द एवर गिवन

वर्ष 2021 में पानी के विशालकाय जहाज के फंसने की एक खबर ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा था। चीन से माल लादकर मंजिल की ओर बढ़ा जहाज 23 मार्च 2021 को स्वेज नहर में फंस गया था। उस जहाज के चालक दल में 25 से ज्यादा भारतीय शामिल थे, इसलिए भारत का इस पर खास ध्यान था। एशिया और यूरोप के बीच माल लेकर जाने वाले ‘द एवर गिवन’ पर पानामा का झंडा लगा था जिससे स्वेज नहर में पोतों की आवाजाही बाधित हो गई थी। उसे निकालने के कठिन प्रयास हुए, तब भी सप्ताह भर तक जहाज फंसा ही रह गया। आखिरकार 30 मार्च को उसे खींचकर किनारे पहुंचाने में सफलता मिली।

जान लें कैसे निकला था द एवर गिवन


सवाल है कि आखिर इतने बड़े फंसे जहाज को किनारे तक कैसे खींचा गया? स्वेज नहर में सेवाएं देने वाली एक कंपनी ‘लेथ एजेंसीज’ ने बताया था कि फंसे हुए पोत को निकालने के लिए 13 टगबोट की मदद ली गई थी। विशेषज्ञों टीम ने इन्हीं 13 टगबोटों के जरिए द एवर गिवन को किनारे खींच लाया। ध्यान रहे कि टगबोट छोटी लेकिन काफी शक्तिशाली नावें होती हैं जो बड़े जहाजों को खींचकर एक जगह से दूसरी जगह ले जा सकती हैं। टगबोटों का काम जहाज को खींचना है, लेकिन नीचे से बालू-मिट्टी को हटाने का काम ड्रेजर करते हैं। इसीलिए, स्वेज नहर में तब ड्रेजर भी बुलाए गए थे जिन्होंने जहाज के सिरों के नीचे से 30 हजार क्यूबिक मीटर मिट्टी और रेत खोदकर निकाली।

फिर जहाज को हल्का करने के लिए उससे कुछ माल उतारने की भी योजना बनी, लेकिन ऊंची लहरों ने टगबोट और ड्रेजर की उनके काम में मदद की और पहले जहाज के पिछले हिस्से ‘स्टर्न’ को निकाला गया, फिर तिरछे होकर फंसे इस विशाल जहाज को काफी हद तक सीधा किया जा सका। इसके कुछ घंटों बाद जहाज के अगले हिस्से ‘बो’ को भी निकाला गया। हालांकि, गंगा विलास मालवाहक नहीं पर्यटक जहाज है, इसलिए इसे हल्का करने के लिए लोगों को उतारने में ज्यादा मशक्कत नहीं करनी होगी।

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दुनिया का सबसे लंबा क्रूज है गंगा विलास

बहरहाल, गंगा विलास क्रूज पानी की धार की उलट दिशा में 12 किलोमीटर प्रति घंटा और धार के साथ-साथ 20 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकता है। इसमें सवार पर्यटकों और चालक दल के लोगों के लिए पीने के पानी भी नदी से ही लिया जाता है। नदी के पानी को क्रूज में लगे आरओे सिस्टम से साफ किया जाता है। इसमें सीवेज ट्रीटमेंट प्लान भी लगा है। गंगा विलास दुनिया का सबसे लंबा क्रूज है। इसकी लंबाी 62.5 मीटर, चौड़ाई 12.8 मीटर और गहराई 1.35 मीटर है। यह भारत और बांग्लादेश के बीच 27 नदी प्रणालियों से गुजकर कुल 3,200 किमी की दूरी तय करके वाराणसी से डिब्रूगढ़ की यात्रा तय करेगा।



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