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नई दिल्ली
पंजाब के किसान नेताओं ने फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानूनी गारंटी सहित अपनी अन्य मांगों पर शीतकालीन सत्र में मंगलवार को फैसला करने का केंद्र से अनुरोध किया। उन्‍होंने संसद में तीन कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने को प्रदर्शनकारियों की जीत करार दिया। यह भी कहा कि भविष्य की रणनीति पर चर्चा करने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने एक दिसंबर को इमरजेंसी मीटिंग बुलाई है।

एसकेएम 40 किसान यूनियन का नेतृत्व कर रहा है। इसने अफसोस जताया कि कृषि कानून निरसन विधेयक, 2021 को जब सोमवार को संसद के दोनों सदनों में पारित किया गया, तब उस पर चर्चा करने की अनुमति नहीं दी गई।

किसान नेताओं ने सोमवार को कहा, ‘‘यह हमारी जीत है और एक ऐतिहासिक दिन है। हम चाहते हैं कि किसानों के खिलाफ मामले वापस लिए जाएं। हम चाहते हैं कि फसलों के लिए एमएसपी पर एक समिति गठित की जाए। केंद्र के पास हमारी मांगों का जवाब देने के लिए कल (मंगलवार) तक का समय है। हमने भविष्य की रणनीति पर चर्चा करने के लिए बुधवार को एसकेएम की एक आपात बैठक बुलाई है। ’’

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दिल्‍ली की सीमाओं पर जश्‍न
इस बीच दिल्ली की सीमाओं पर तीन प्रदर्शन स्थलों-सिंघु, गाजीपुर और टिकरी-पर जश्न मनाया गया। किसानों ने भांगड़ा किया और पंजाबी गीतों की धुन पर नृत्य किया।

सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शनकारियों ने जीत का जश्न मनाने के लिए एक दूसरे पर पुष्प बरसाये।

एसकेएम ने एक बयान में कहा कि कृषि कानूनों को निरस्त किया जाना किसान आंदोलन की पहली बड़ी जीत है लेकिन अन्य अहम मांगें अब भी लंबित हैं।

इसने कहा, ‘‘किसान विरोधी केंद्रीय कृषि कानूनों के निरस्त होने के साथ आज भारत में इतिहास रच गया। लेकिन तीनों कृषि कानून को निरस्त करने के लिए पेश किये जाने पर चर्चा की अनुमति नहीं दी गई।’’

किसान संगठन ने कहा कि ये कानून पहली बार जून 2020 में अध्यादेश के रूप में और बाद में सितंबर 2020 में पूरी तरह से कानून के रूप में लाये गये थे लेकिन ‘‘दुर्भाग्य से बगैर किसी चर्चा के उस वक्त भी इन्हें पारित किया गया था। ’’

संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन सोमवार को दोनों सदनों ने कृषि कानून निरसन विधेयक पारित कर दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर को तीनों विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लेने के फैसले की घोषणा की थी।

एसकेएम ने आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के परिजन को मुआवजा देने की भी मांग की।

किसान नेताओं ने कहा, ‘‘केंद्र को संसद में कल तक हमारी मांगों पर जवाब देना चाहिए।’’

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सूत्रों ने संकेत दिया कि सरकार ने यदि किसानों की शेष मांगों पर विचार करने का इरादा प्रकट किया या गारंटी दी तो आंदोलन वापस लिया जा सकता है।

हालांकि, उन्होंने कहा कि इस सिलसिले में कोई भी अंतिम फैसला एसकेएम की आपात बैठक में लिया जाएगा।

एक साल से हो रहा है विरोध
इन तीन कृषि कानूनों को निरस्त किया जाना करीब 40 किसान यूनियन की मुख्य मांगों में एक था। वे 26 नवंबर 2020 से दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं।

प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने 21 नवंबर को प्रधानमंत्री को एक पत्र लिख कर एमएसपी की कानूनी गारंटी सहित किसानों की छह मांगों पर फौरन वार्ता बहाल करने का अनुरोध किया था।

एसकेएम ने सोमवार को बयान में कहा, ‘‘प्रदर्शनकारी किसानों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेने से जुड़ी अन्य मांग पर, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने संकेत दिया है कि वह केंद्र के निर्देश के मुताबिक कदम उठाएंगे।’’

इसने कहा कि दिल्ली और चंडीगढ़ में दर्ज मामलों से केंद्र का सीधा संबंध है।

बयान में कहा गया है, ‘‘जबकि हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश जैसे भाजपा शासित राज्यों में दर्ज मामलों पर केंद्र सरकार के फैसले का इंतजार है। ’’



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