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demand to ban kashmir files: BSP MP Danish Ali demand to ban Kashmir Files during discussion on budget of Jammu-Kashmir: J & K Budget presented in Parliament: लोकसभा में ‘कश्मीर फाइल्स’ का ज‍िक्र, बीएसपी सांसद ने कहा- तुरंत प्रतिबंध लगना चाहिए


Jammu-Kashmir Budget: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (FM Nirmala Sitharaman) ने सोमवार को लोकसभा में केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) के लिए वित्त वर्ष 2022-23 का 1.42 लाख करोड़ रुपये का बजट पेश किया। विपक्ष ने नियमों का हवाला देते हुए सरकार से मांग की कि बजट प्रस्तावों के अध्ययन के लिए उन्हें पर्याप्त समय दिया जाना चाहिए। सीतारमण ने निचले सदन में जम्मू-कश्मीर के लिए वित्त वर्ष 2021-22 के लिए अनुदान की अनुपूरक मांग भी पेश कीं जो 18,860.32 करोड़ रुपये की हैं। उन्होंने इसके साथ एक प्रस्ताव भी पेश किया जिसमें कुछ नियमों को निलंबित करके सदन में इसे पेश किए जाने के दिन ही चर्चा शुरू करने की अनुमति देने की बात कही गई है। इस दौरान फ‍िल्‍म ‘कश्मीर फाइल्स’ (Kashmir Files) का भी ज‍िक्र आया। बीएसपी सांसद ने इस फ‍िल्‍म पर रोक लगाने की मांग की।

चर्चा में हिस्सा लेते हुए बसपा के दानिश अली ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के बजट पर चर्चा का अधिकार तो विधानसभा के सदस्यों को होना चाहिए, लेकिन इस सदन ने इस अधिकार को छीन लिया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने सदन में वादा किया था कि बहुत जल्द जम्मू कश्मीर में विधानसभा होगी, उसे पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा, लेकिन अभी तक ऐसा नहीं किया गया।

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उन्होंने कश्मीर में कश्मीरी पंडितों के पलायन से संबंधित हाल में सिनेमाघरों में आई फिल्म ‘कश्मीर फाइल्स’ का जिक्र करते हुए कहा कि ऐसी फिल्में बनाकर लोगों में नफरत का माहौल पैदा नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसी किसी भी फिल्म पर तत्काल प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए।

नेशनल कॉन्फ्रेंस के हसनैन मसूदी ने कहा कि जम्मू कश्मीर का बजट विधानसभा के बजाय संसद में पेश किया जा रहा है, यह सवाल उठाने योग्य मुद्दा है। उन्होंने कहा कि डेढ़ करोड़ की आबादी वाले राज्य को ढाई साल से अपनी विधानसभा नहीं मिली है।

उन्होंने आरोप लगाया कि संविधान को दरकिनार करके अनुच्छेद 370 को समाप्त किया गया। उन्होंने कहा कि सरकार को जवाब देना चाहिए कि क्या राज्य को केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित करना केंद्र का अधिकार है। उन्होंने कहा कि हमें इस विषय पर उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ के फैसले का इंतजार करना चाहिए, लेकिन सरकार वहां परिसीमन समेत अनेक कवायद चला रही है जो न्यायपालिका का अपमान है।

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उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में आतंकवाद में कोई कमी नहीं आई है। मसूदी ने कहा कि वहां दैनिक वेतनभोगियों और अस्थायी कर्मचारियों की ओर ध्यान दिया जाना चाहिए।

आईयूएमएल के ई टी मोहम्मद बशीर ने कहा कि सरकार केवल कश्मीर ही नहीं, बल्कि हर जगह मीडिया का दमन कर रही है। माकपा के ए एम आरिफ ने भी इस तरह का आरोप लगाया।

तेलंगाना राष्ट्र समिति के बी बी पाटिल ने कहा कि सरकार के प्रयासों से दो साल में जम्मू कश्मीर विकास के पथ पर आगे बढ़ा है। उन्होंने उम्मीद जताई कि सरकार जम्मू कश्मीर के समग्र विकास के लिए आगे भी कदम उठाएगी।



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By admin