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delay in treatment due to corona: Dr. Sumit Arora, Assistant Professor, Ortho Department at Loknayak Hospital, says that there are many such cases, which had to wait a long time for treatment due to coronavirus and lockdown, Now those patients are being treated and such old cases are definitely there in every OT because they could not get treatment then, Now things are getting normal, so they are being given treatment mainly: छह महीने तक फ्रैक्चर टांग लेकर घूमते रहे, कोरोना के चलते नहीं हो पाया था इलाज, अब हुई सर्जरी


हाइलाइट्स

  • एक अप्रैल को एक्सीडेंट में घुटने के नीचे आए थे तीन फ्रैक्चर
  • पहले मेट्रो अस्पताल गए, फिर गंगाराम और फिर लोकनायक पहुंचे
  • तभी अप्रैल में केस बढ़ने लगे, जिसकी वजह से टाल दी गई सर्जरी
  • सर्जरी से एक रात पहले हो गए थे पॉजिटिव, अब दो दिन पहले हुई सर्जरी

नई दिल्‍ली
वह कैसी स्थिति रही होगी, जब एक व्यक्ति छह महीने तक फ्रैक्चर टांग लेकर घूमता रहे। न तो उसे सही इलाज मिल पाए, न सर्जरी हो या कोई और समाधान नजर आए। पटेल नगर निवासी 58 वर्षीय संजीव अरोड़ा के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। इस दौरान काम-धंधा भी चौपट होने से घर बैठना मजबूरी बन गया। ऐसी स्थिति किसी भी व्यक्ति को अंदर से तोड़ सकती है। हालांकि, अब दो दिन पहले ही उनकी सर्जरी हो चुकी है और फिलहाल वह अस्पताल में भर्ती हैं।

संजीव अरोड़ा बताते हैं कि इसी साल एक अप्रैल को वह नोएडा स्थित अपनी दुकान के लिए निकले थे। बाइक पर थे और दुकान से कुछ दूर कार ने पीछे से टक्कर मार दी। वह गिरे गए और भीड़ जुटने के बाद कार ड्राइवर ही उन्हें नोएडा के मेट्रो अस्पताल ले गया। वहां डॉक्टरों ने भर्ती करने को कहा।

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चूंकि वह अस्पताल घर से दूर था इसलिए वह गंगाराम अस्पताल आ गए। यहां पर सीटी स्कैन किया गया, तो घुटने के ठीक नीचे तीन फ्रैक्चर निकले। ये फ्रैक्चर बाहर से नहीं, बल्कि अंदर से थे। सीटी स्कैन करने में काफी वक्त लग गया था, तब तक टांग के अंदर काफी खून भर गया और टांग बुरी तरह से फूल चुकी थी। ऐसे में गंगाराम अस्पताल में डॉक्टरों ने कहा अभी सर्जरी नहीं की जा सकती, जब तक टांग से खून पाइप के जरिये बाहर नहीं निकल जाता। ऐसे में डॉक्टरों ने घर वापस भेज दिया।

संजीव अरोड़ा के मुताबिक, कुछ दिन बाद ही वह लोकनायक अस्पताल आ गए। यहां एडमिट कर लिया गया और सर्जरी की डेट भी तय कर ली गई, लेकिन सर्जरी से एक रात पहले कोविड टेस्ट किया गया, तो रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई। ऐसे में उनकी सर्जरी रोक दी गई और कोविड वॉर्ड में भर्ती कर दिया गया।

संजीव अरोड़ा

संजीव अरोड़ा

उस दौरान कोरोना वायरस की सेकेंड वेव आ गई थी और अस्पताल में केस बेहद तेजी से बढ़ने लगे। चूंकि केस तेजी से बढ़ रहे थे और सर्जरी नहीं हो सकती थी इसलिए अस्पताल से डिस्चार्ज करके घर भेज दिया गया। कोरोना की वजह से सर्जरी होते-होते रह गई।

दूसरी टांग पर भी दिखने लगा असर
अप्रैल में घर आने के कुछ दिन बाद दूसरी टांग पर भी इसका असर पड़ने लगा। वह टांग भी सूजने लगी थी और बिल्कुल भी वजन नहीं डल पा रहा था। ऐसे में थैरेपिस्ट की मदद से उस टांग को ठीक किया गया, लेकिन जिस टांग में फ्रैक्चर था, वह बिल्कुल सीधी रखने की वजह से मुड़ना बंद हो गई। वह टांग को बिल्कुल भी मोड़ नहीं पा रहे थे।

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अप्रैल में घर गए थे और अगस्त में लोकनायक अस्पताल से सर्जरी के लिए दोबारा फोन आया। पूरी जांच करने के बाद 22 सितंबर को सर्जरी की गई। करीब साढ़े छह महीने मैं फ्रैक्चर टांग के साथ ही घूमता रहा और अब सर्जरी के बाद भी छह महीने तक टांग पर ज्यादा जोर न डालने को कहा गया है।

क्या कहते हैं डॉक्टर?
लोकनायक अस्पताल में ऑर्थो डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सुमित अरोड़ा बताते हैं कि इस तरह के कई केस हैं, जिन्हें कोरोना वायरस और लॉकडाउन की वजह से इलाज के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा। अब उन मरीजों का इलाज हो रहा है और हर ओटी में इस तरह के पुराने केस जरूर होते हैं क्योंकि उन्हें तब इलाज नहीं मिल पाया था। अब चीजें नॉर्मल हो रही हैं तो इन्हें प्रमुखता से इलाज दिया जा रहा है।

संजीव अरोड़ा के केस में भी अप्रैल की शुरुआत में सर्जरी हो जाती, लेकिन सर्जरी से पहले वह कोरोना पॉजिटिव हो गए जिसकी वजह से सर्जरी रोकनी पड़ी। चूंकि इन्हें अंदर से फ्रैक्चर थे इसलिए इस सर्जरी को रोका जा सकता था लेकिन अगर फ्रैक्चर बाहर से होता यानी की हड्डी बाहर निकल आती तो इमरजेंसी में सर्जरी की जाती है। फिलहाल उनकी हड्डी को थोड़ा काटकर सीधा किया गया है और जल्द ही वह रिकवर हो जाएंगे।

मरीज संजीव अरोड़ा व डॉ सुमित अरोड़ा

मरीज संजीव अरोड़ा व डॉ सुमित अरोड़ा



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By admin