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नई दिल्ली
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सह-सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने मंगवार को आरक्षण पर बड़ा बयान दिया। उन्‍होंने साफ कर दिया कि संघ आरक्षण का ‘पुरजोर समर्थक’ है। जब तक समाज का एक खास वर्ग ‘असमानता’ का अनुभव करता है, तब तक इसे जारी रखा जाना चाहिए। भारत का इतिहास पिछड़े और दलितों के इतिहास के बगैर ‘अधूरा’ है। वे सामाजिक परिवर्तन में अग्रणी रहे हैं। रिजर्वेशन सकारात्मक कार्रवाई का जरिया है। होसबोले ने यह बात ऐसे समय में कही है जब राज्यों को ओबीसी आरक्षण की सूची तैयार करने का अधिकार देने वाला बिल लोकसभा में मंगलवार को ध्‍वनिमत से पारित हुआ।

‘मेकर्स ऑफ मॉर्डन दलित हिस्ट्री’ शीर्षक वाली एक पुस्तक के विमोचन के लिए इंडिया फाउंडेशन की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में होसबोले ने यह बात कही। उन्‍होंने कहा, ‘भारत का इतिहास दलितों के इतिहास से अलग नहीं है। उनके इतिहास के बिना भारत का इतिहास अधूरा है।’

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आरक्षण की बात करते हुए होसबोले ने दो-टूक कहा कि वह और उनका संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ‘आरक्षण के पुरजोर समर्थक हैं।’ उन्होंने कहा, ‘सामाजिक सौहार्द और सामाजिक न्याय हमारे लिए राजनीतिक रणनीतियां नहीं हैं। ये दोनों हमारे लिए आस्था की वस्तु हैं।’

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होसबोले ने भारत के लिए आरक्षण को एक ‘ऐतिहासिक जरूरत’ बताया। कहा, ‘यह तब तक जारी रहना चाहिए, जब तक समाज के एक वर्ग विशेष को असमानता का अनुभव होता है।’ उन्‍होंने आरक्षण को ‘सकारात्मक कार्रवाई’ का साधन बताया। कहा कि आरक्षण और समन्वय (समाज के सभी वर्गों के बीच) साथ-साथ चलना चाहिए।

होसबोले ने यह भी कहा कि समाज में सामाजिक बदलाव का नेतृत्व करने वाली विभूतियों को ‘दलित नेता’ कहना अनुचित होगा, क्योंकि वे पूरे समाज के नेता थे। उन्‍होंने कहा, ‘जब हम समाज के अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्गों के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करते हैं तो निश्चित रूप से आरक्षण जैसे कुछ पहलू सामने आते हैं। मेरा संगठन और मैं दशकों से आरक्षण के प्रबल समर्थक हैं। जब कई परिसरों में आरक्षण विरोधी प्रदर्शन हो रहे थे, तब हमने पटना में आरक्षण के समर्थन में एक प्रस्ताव पारित किया और एक संगोष्ठी आयोजित की थी।’

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