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Chandraswami And Margaret Thatcher Story: हिमालय के योगी की सलाह से एनएसई चला…तो कभी चंद्रास्‍वामी ने आयरन लेडी थैचर का फेर दिया था दिमाग, जानें वो किस्‍सा: NSE is in headlines these days, former MD and CEO of exchange Chitra Ramakrishna used to take decisions of NSE at behest of Baba, Once Iron Lady Margaret Thatcher got affected by Chandraswami


नई दिल्‍ली: देश का प्रमुख स्‍टॉक एक्‍सचेंज एनएसई (National Stock Exchange) इन दिनों खबरों में है। उठापटक के चलते नहीं। यह सुर्खियों में है अपनी पूर्व एमडी और सीईओ चित्रा रामकृष्ण (Chitra Ramkrishna) के कारण। एक दिलचस्‍प और हैरान कर देने वाला खुलासा हुआ है। चित्रा रामकृष्‍ण हिमालय के एक बाबा (योगी) की सलाह (Chitra Ramkrishna News) पर फैसले लेती थीं। अप्रैल 2013 से दिसंबर 2016 तक चित्रा के हाथ में एक्‍सचेंज (Chitra Ramkrishna runs NSE on Baba Advice) की कमान रही। इन्हीं बाबा की सलाह पर चित्रा ने आनंद सुब्रमण्यम को एक्सचेंज में समूह परिचालन अधिकारी और प्रबंध निदेशक का सलाहकार नियुक्ति किया था। चित्रा बीकॉम और सीए हैं।

आपको यह अजीब लग सकता है कि इतनी पढ़ी लिखी और योग्‍य महिला कैसे किसी बाबा के कहने पर फैसले लेती थी। हालांकि, यह भी सच है कि ऐसे ही बाबा और तांत्रिकों ने बड़े-बड़ों को शीशे में उतारा है। ब्रिटेन की पूर्व प्रधानमंत्री और आयरन लेडी के नाम से मशहूर मार्गरेट थैचर (Chandraswami and Margaret Thatcher) कभी तांत्रिक चंद्रास्‍वामी से इतनी प्रभावित हो गई थीं कि उनके पीछे-पीछे भागने लगी थीं।

माथे पर बड़ा तिलक, गले में रुद्राक्ष की मालाएं, हाथ में लाठी और अंग्रेजी का कोई ज्ञान नहीं। तो भला कैसे चंद्रास्‍वामी ने आयरन लेडी पर जादू चला दिया। किस्‍सा 1975 का है। उन दिनों नटवर सिंह लंदन में भारत के उच्‍चायुक्‍त थे। बाद में नटवर सिंह विदेश मंत्री बने। यह वही समय था जब थैचर कंजर्वेटिव पार्टी की पहली महिला अध्‍यक्ष बनी थीं। चंद्रस्‍वामी नटवर सिंह से मिलने इंडिया हाउस पहुंचे थे।

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यह वो दौर था जब चंद्रास्‍वामी का देश-दुनिया में रसूख था। बड़े-बड़े नेता-अभिनेता उनसे अपॉइंटमेंट लिया करते थे। उनकी पूरी कुंडली चंद्रास्‍वामी के पास रहती थी। नटवर सिंह के साथ बातचीत के क्रम में चंद्रास्‍वामी ने थैचर से मुलाकात करवाने के लिए कहा था। नटवर सिंह को यह बात थोड़ी अटपटी भी लगी थी क्‍योंकि चंद्रास्‍वामी को अंग्रेजी का एक शब्‍द नहीं आता था। इसका जिक्र नटवर सिंह ने अपनी किताब ‘वॉकिंग विद लायन्‍स – टेल्‍स फ्रॉम अ डिप्‍लोमेटिक पास्‍ट’ में भी किया है।

एक मुलाकात और मुरीद हो गईं थैचर
काफी अनुरोध करने पर नटवर ने थैचर से मुलाकात का समय मांगा था। करीब एक हफ्ते बाद मीटिंग तय हुई। सिर्फ दस मिनट के लिए। सप्‍ताह भर बाद उसी समय दोनों का आमना-सामना हुआ। नटवर सिंह भी साथ थे। इंट्रोडक्‍शन के बाद थैचर ने पूछा था कि जी बताइए क्‍यों आप मुझसे मिलना चाहते थे।

चंद्रास्‍वामी ने थैचर को कागज के पांच टुकड़ों पर सवाल लिखकर दिए थे। उन्‍हें अच्‍छे से रखने को कहा था। फिर थैचर से एक सवाल मन में ही पढ़ने के लिए कहा। इसके बाद चंद्रास्‍वामी ने बताया कि वो सवाल क्‍या था। नटवर सिंह दोनों की बातचीत में दुभाषिये की भूमिका अदा कर रहे थे। एक-एक कर उन्‍होंने सभी सवालों के सही-सही जवाब दे दिए। थैचर पर अब तक चंद्रास्‍वामी का जादू चढ़ चुका था।

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इन सवालों के खत्‍म होने के बाद थैचर ने कुछ और सवालों के जवाब जानने चाहे। लेकिन, चंद्रास्‍वामी ने इनकार कर दिया। उन्‍होंने बताया था कि सूर्य अस्‍त होने के बाद वह जवाब नहीं देते हैं। नटरवर के होश उड़े हुए थे। वह घबरा गए थे। थैचर ने तब पूछा था कि वह आगे कब और कहां उनसे मिल सकती हैं। इसके लिए उन्‍होंने नटवर सिंह के घर पर मिलने की बात कही। वह इसके लिए मान गईं। इस दौरान चंद्रास्‍वामी ने थैचर को एक ताबीज भी दी थी और इसे बांधकर आने के लिए कहा था।

चंद्रास्‍वामी से मिलने पहुंची थीं थैचर
थैचर अपने कहे मुताबिक चंद्रास्‍वामी से मिलने पहुंचीं। उन्‍होंने इस दौरान अपने प्रधानमंत्री बनने की संभावनाओं को लेकर कई सवाल किए। चंद्रास्‍वामी ने तब कहा था कि वह प्रधानमंत्री जरूर बनेंगी। उनका कार्यकाल नौ, ग्‍यारह या तेरह साल का होगा। उन्‍होंने यह भी कहा था कि थैचर चार साल में पीएम बनेंगी। इस मामले में उनकी भविष्‍यवाणी सही साबित हुई थी।

चंद्रास्‍वामी को पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्‍हा राव का करीबी माना जाता था। बताया जाता है कि कुतुब इंस्‍टीट्यूशन एरिया में जिस जमीन पर उनका आश्रम बना था वह पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने एलॉट की थी। बड़ी-बड़ी डील वो चुटकियों में करा देते थे। हालांकि, ज्‍योतिषी के तौर पर ख्‍याति बंटोरने वाले चंद्रास्‍वामी विवादों से भी घिरे। फेरा का उल्‍लंघन, ब्‍लैकमेल, धोखाधड़ी, आर्म्‍स डील, इन सभी विवादों से वह जुड़े रहे। राजीव गांधी की हत्‍या के मामले में भी उनका नाम आया।



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