कार्ति चिदंबरम बुधवार को यात्रा से लौटे। वह मामले से जुड़े प्रश्नों का उत्तर देने के लिए बृहस्पतिवार सुबह करीब आठ बजे सीबीआई कार्यालय पहुंचे। कार्ति ने सीबीआई मुख्यालय के बाहर संवाददाताओं से कहा कि उनके खिलाफ यह मामला फर्जी है। कार्ति ने दावा किया कि उन्होंने किसी चीनी नागरिक को वीजा दिलाने में कोई मदद नहीं की। कार्ति चिदंबरम को दोपहर में लगभग एक घंटे की छुट्टी दी गई जिसके बाद पूछताछ फिर से शुरू हुई। कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम से शाम लगभग छह बजे तक पूछताछ की गई। गहन पूछताछ के बाद बाहर आने पर कार्ति चिदंबरम ने कहा कि यह सब एक राजनीतिक प्रतिशोध है और अगर एजेंसियों ने उन्हें बुलाया तो वह फिर से पेश होंगे।
भास्कररमन को पहले ही हिरासत में ले चुकी है सरकार
सीबीआई की प्राथमिकी में कहा गया है कि यह मामला 263 चीनी कर्मियों को वीजा पुन: जारी कराने के लिए वेदांता समूह की कंपनी तलवंडी साबो पावर लिमिटेड (टीएसपीएल) के एक शीर्ष अधिकारी द्वारा कार्ति चिदंबरम और उनके करीबी एस. भास्कररमन को 50 लाख रुपये की रिश्वत दिए जाने के आरोपों से संबंधित है। टीएसपीएल पंजाब में एक बिजली संयंत्र स्थापित कर रही थी। ये 263 चीनी नागरिक उस कंपनी के कर्मी थे जो उक्त परियोजना पर काम कर रही थी। एजेंसी ने इस मामले में भास्कररमन को पहले ही हिरासत में ले लिया है।
यह यह उत्पीड़न नहीं तो और क्या है? – कार्ति चिदंबरम
कार्ति चिदंबरम ने सभी आरोपों का खंडन करते हुए कहा है, ‘यदि यह उत्पीड़न नहीं है, जानबूझकर परेशान किया जाना नहीं है तो और क्या है।’अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई ने आरोप लगाया है कि बिजली कंपनी के प्रतिनिधि मखरिया ने कार्ति से उनके करीबी सहयोगी भास्कररमन के जरिये कार्ति से संपर्क किया था। उन्होंने कहा कि मखरिया ने कथित तौर पर गृह मंत्रालय को एक पत्र सौंपा जिसमें इस कंपनी को आवंटित परियोजना वीजा के पुन: उपयोग की मंजूरी मांगी गई थी, जिसे एक महीने के भीतर मंजूरी दे दी गई थी और कंपनी को अनुमति दे दी गई थी।
सीबीआई प्राथमिकी के अनुसार यह भी आरोप लगाया गया है कि उक्त रिश्वत का भुगतान तलवंडी साबो से कार्ति और भास्कररमन को मुंबई स्थित बेल टूल्स लिमिटेड के माध्यम से किया गया था, जिसे कंसल्टेंसी के लिए झूठे चालान के भुगतान और चीनी वीजा से संबंधित कार्यों के लिए खर्च के रूप में दिखाया गया।