सीएए को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक बैच पर केंद्र सरकार से चार सप्ताह में जवाब मांगते हुए शीर्ष अदालत ने देश के उच्च न्यायालयों को इस मुद्दे पर लंबित याचिकाओं की सुनवाई पर रोक लगा दी थी।
याचिका दायर करने वाले अन्य महत्वपूर्ण लोगों में कांग्रेस नेता जयराम रमेश, राजद नेता मनोज झा, तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा और एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी भी शामिल हैं।
मुस्लिम संगठन जमीयत उलमा-ए-हिंद, ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन, पीस पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, गैर-सरकारी संगठन ‘रिहाई मंच’, अधिवक्ता एमएल शर्मा और कानून के छात्रों ने भी इस अधिनियम को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है।
सीजेआई की अगुवाई वाली पीठ एक अन्य जनहित याचिका पर भी सुनवाई करेगी, जिसमें एक साल के भीतर धनशोधन और कर चोरी जैसे विभिन्न आर्थिक अपराधों से संबंधित मामलों का फैसला करने के लिए हर जिले में विशेष भ्रष्टाचार विरोधी अदालतें स्थापित करने की मांग की गई है।
शीर्ष अदालत विधि आयोग को ‘वैधानिक निकाय’ घोषित करने और पैनल के अध्यक्ष और सदस्यों को नियुक्त करने का केंद्र को निर्देश देने संबंधी एक जनहित याचिका पर भी विचार करेगी।
उस जनहित याचिका पर भी 31 अक्टूबर को सुनवाई होनी है, जिसमें चुनाव आयोग को मतपत्रों और इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से पार्टी के प्रतीकों को हटाने और उम्र, शैक्षणिक योग्यता और उम्मीदवारों की तस्वीर लगाने का निर्देश देने की मांग की गई है।