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ashok chandna rajasthan politics: Vishudh Rajniti know about rajasthan minister ashok chandna and sambhaji raje Maharashtra : विशुद्ध राजनीति किसी को टिकट चाहिए तो किसी को इज्जत जानिए कौन हैं संभाजी राजे और अशोक चांदना?


महाराष्ट्र से लेकर राजस्थान तक राजनीतिक दांवपेच की खबरें आ रही हैं। महाराष्ट्र में राज्यसभा सीट के लिए शिवाजी महाराज के वंशज संभाजी राजे (Sambhaji Raje) ने पूरी ताकत लगाई, तो राजस्थान में मंत्री अशोक चांदना Ashok Chandna) ने अपने तेवर से वहां फिर सरगर्मी बढ़ा दी। पूनम पांडे और नरेन्द्र नाथ बता रहे हैं कि कौन हैं खबरों में आने वाले संभाजी राजे और अशोक चांदना :

मराठा आरक्षण आंदोलन का चेहरा संभाजी
शिवाजी महाराज के वंशज संभाजी राजे महाराष्ट्र से राज्यसभा का निर्दलीय चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन दो दिन पहले उन्होंने एलान कर दिया कि वह अब आगामी राज्यसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। दरअसल उन्हें किसी भी पार्टी का समर्थन नहीं मिला। संभाजी राज्यसभा में नॉमिनेटेड सदस्य थे और इसी महीने उनका छह साल का कार्यकाल पूरा हुआ। वह फिर से राज्यसभा में जाना चाहते थे और इसके लिए निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने का एलान किया था। संभाजी चाहते थे कि शिवसेना उन्हें निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर समर्थन दे। लेकिन शिवसेना ने उनके सामने पार्टी में शामिल होने की शर्त रख दी। शिवसेना चाहती थी कि संभाजी पार्टी उम्मीदवार के तौर पर राज्यसभा का चुनाव लड़ें, लेकिन संभाजी ने किसी भी पार्टी में शामिल होने से इनकार कर दिया और फिर चुनाव न लड़ने का फैसला किया। संभाजी ने कहा कि वह अब पूरे महाराष्ट्र का दौरा करेंगे और संगठन को मजबूत करेंगे। वह स्वराज नाम के एक संगठन के जरिए महाराष्ट्र में समाजसेवा करते हैं।

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संभाजी राजे शिवाजी महाराज की 13वीं पीढ़ी के सदस्य हैं। वह कोल्हापुर में सोशल वर्कर के रूप में पहचाने जाते हैं लेकिन उनकी लग्जरी लाइफ स्टाइल की भी चर्चा रहती है। उन्होंने कोल्हापुर की शिवाजी यूनिवर्सिटी से एमबीए की पढ़ाई की है। मराठा रिजर्वेशन को लेकर जब अभियान चला, तब संभाजी व्यापक चर्चा में आए। वह मराठा रिजर्वेशन कैंपेन का चेहरा बन गए थे। शाही परिवार से आने वाले संभाजी को लेकर लोगों में भी काफी क्रेज दिखता है। उनसे मिलने के लिए लोगों की लंबी लाइन लगी रहती है। संभाजी जब निकलते हैं तो उनके साथ गाड़ियों का लंबा काफिला चलता है। कई बार तो लोग उनके काफिले पर फूल भी बरसाते हैं। उनकी लग्जरी लाइफस्टाइल को लेकर कहा जाता है कि वह अपने दोस्तों से मिलने भी हेलीकॉप्टर से जाते हैं। वह बुलेट की सवारी करते भी दिखते हैं। उनके पास कई विंटेज कारें हैं।

संभाजी सामाजिक काम करते हुए राजनीति में आए। वर्ष 2016 में उन्हें राज्यसभा के लिए नॉमिनेट किया गया। जिस तरह से 51 साल के संभाजी राजे शिवाजी महाराज की 13वीं पीढ़ी के हैं, वैसे ही उदयनराजे भोसले भी शिवाजी महाराज की 13वीं पीढ़ी के वंशज हैं। उदयनराजे भोसले (सतारा) और संभाजी राजे (कोल्हापुर) शिवाजी महाराज की राजगद्दी के वारिस हैं। इन दोनों राजघराने यानी सतारा और कोल्हापुर राजघराने के बीच लंबे समय से विवाद भी चला आ रहा है।

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नई पीढ़ी के उभरते नेता हैं अशोक चांदना
राजस्थान में एक बार फिर सियासी गर्मी बढ़ चुकी है। इस बार वहां के सीएम अशोक गहलोत के विश्वस्त मंत्री और युवा कांग्रेस नेता अशोक चांदना ने तेवर दिखा दिए। उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘माननीय मुख्यमंत्री जी, मेरा आपसे व्यक्तिगत अनुरोध है कि मुझे इस जलालत भरे मंत्री पद से मुक्त कर मेरे सभी विभागों का चार्ज श्री कुलदीप रांका जी को दे दिया जाए, क्योंकि वैसे भी वही सभी विभागों के मंत्री हैं। धन्यवाद।’ उनका ट्वीट ऐसे समय आया, जब कुछ दिनों की शांति के बाद राजस्थान में अशोक गहलोत की सरकार के अंदर असंतोष बढ़ने की खबरें आने लगी थीं और सचिन पायलट गुट की सक्रियता बढ़ गई थी। हालांकि जब विवाद बढ़ा तो 24 घंटे के बाद अशोक चांदना ने एक और ट्वीट में विवाद समाप्त करने की कोशिश करते हुए कहा, ‘माननीय मुख्यमंत्री जी से सभी विषयों पर सार्थक एवं लंबी चर्चा हुई। वह राजस्थान कांग्रेस परिवार के अभिभावक हैं, जो निर्णय करेंगे, सही करेंगे। बीजेपी अपना घर देखे, कांग्रेस परिवार #मिशन_2023 के लिए एकजुट और लामबंद है।’

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राजस्थान विधानसभा में हिंडोली से लगातार दो बार विधायक बनने वाले अशोक चांदना राज्य में नई पीढ़ी के उभरते नेता माने जाते हैं। वह यूथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं। चांदना कोई पहली बार चर्चा में नहीं आए हैं। तीन साल पहले वह तब विवाद में आए थे जब उन पर बिजली विभाग के एक अधिकारी ने मारपीट और अभद्रता का आरोप लगाया था। फिर राज्य में एक टोल नाके पर उनके करीबी ने टोलकर्मी के साथ अभद्रता की थी। अशोक चांदना पर यह भी आरोप लगा कि उन्होंने एक पुलिस अधिकारी को धमकाया। लेकिन विवादों के बीच उनका कद बढ़ता गया। जब 2019 में केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया, तो उन्होंने इसकी तारीफ कर दी थी। 1984 में एक किसान परिवार मे जन्मे अशोक ने अपनी पढ़ाई पिलानी और पुणे से की। उसके बाद वह अपने पिता के साथ मार्बल व्यवसाय में शामिल हो गए। 2009 से सक्रिय राजनीति में आने वाले अशोक ने 2013 विधानसभा चुनाव में हिंडोली से तब जीत हासिल की, जब राज्य में कांग्रेस की करारी हार हुई थी। पिछले कुछ सालों में माना गया कि सचिन पायलट को काउंटर करने के लिए अशोक गहलोत ने चांदना को प्रमोट किया। चांदना भी गुर्जर समुदाय से आते हैं। अचानक उनके बागी तेवर ने राज्य की राजनीति में एक बार फिर सस्पेंस और सरगर्मी बढ़ा दी है।



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By admin