दरअसल उत्तराखंड सरकार (Uttarakhand Government) ने एनआरएचएम स्कीम के तहत राज्य में आयुर्वेद, होम्योपैथिक, एलोपैथी और डेंटल मेडिकल ऑफिसर की नियुक्ति की थी। इसके पीछे उद्देश्य यह था कि ग्रामीण इलाकों में लोगों को स्वास्थ्य स्कीम का लाभ हो और लोगों को उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवा मिल सके। लेकिन आयुर्वेद के डॉक्टरों और अन्य के बीच सैलरी में विभेद था। इसके खिलाफ आयुर्वेद के डॉक्टरों ने राज्य सरकार के संबंधित विभाग के सामने रिप्रजेंटेशन दिया लेकिन वहां से जब उन्हें राहत नहीं मिली तो उन्होंने उत्तराखंड हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
उत्तराखंड हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि एनआरएचएम स्कीम के तहत आयुर्वेदिक डॉक्टर , एलोपैथी मेडिकल ऑफिसर के बराबर सैलरी के हकदार हैं। इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में राज्य ने अर्जी दाखिल की थी। उस अर्जी पर अब सुप्रीम कोर्ट ने भी सुनवाई से इंकार कर दिया जिसके बाद उत्तराखंड हाईकोर्ट का फैसला बरकरार है।