साइबर रिस्क तेजी से बढ़ेगा
डोभाल ने कहा कि ग्लोबल साउथ को विशेष रूप से संसाधनों की सीमाओं पर काबू पाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में, भारत हमेशा सबसे आगे रहेगा और ग्लोबल साउथ के साथ मिलकर काम करेगा। डोभाल ने इस बात पर भी जोर दिया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), बिग डेटा और इंटरनेट ऑफ थिंग्स जैसी विध्वंसकारी तकनीकों के आने के साथ साइबर जोखिमों की गंभीरता तेजी से बढ़ेगी।
युवा आबादी का किया जिक्र
डोभाल ने साइबर अपराधियों और आतंकवादियों के बीच संबंध के बारे में बात की। इसमें वित्तपोषण, मनी लॉन्ड्रिंग, कट्टरपंथीकरण, लोन वुल्फ अटैक, भर्ती और सुरक्षित संचार के लिए साइबर स्पेस का यूज शामिल है। उन्होंने कहा कि युवा आबादी विशेष रूप से सोशल मीडिया साइटों के माध्यम से चरमपंथी विचारधाराओं के प्रसार के प्रति संवेदनशील है। इसकी वजह है कि वे टेक्नॉलोजी के जानकार हैं और प्रभावशाली दिमाग रखते हैं।
ये देश रहे मौजूद
इस मीटिंग में रूस और चीन के प्रतिनिधियों के अलावा ब्रिक्स के मित्र देश बेलारूस, बुरुंडी, ईरान, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, मिस्र, कजाकिस्तान और क्यूबा ने भी चर्चा में भाग लिया। बैठक में साइबर सुरक्षा के मुद्दे पर विस्तार से चर्चा हुई। अजित डोभाल ने ब्रिक्स के अपने समकक्षों और ब्रिक्स देशों के मित्रों के साथ कई द्विपक्षीय बैठकें भी कीं।