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विशेष संवाददाता, नई दिल्ली
महज एक हफ्ते के दौरान दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण की वजह से अस्पताल या डॉक्टरों के पास जाने वाले लोगों की संख्या दोगुनी हो गई है। परिवार में कोई न कोई सांस की परेशानी, कफ, जकड़न, आंख में जलन आदि जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं।

लोकल सर्कल्स ने दिल्ली के अलावा गुरुग्राम, नोएडा, गाजियाबाद और फरीदाबाद में यह सर्वे किया। ये वह शहर हैं, जो इस समय प्रदूषण से काफी अधिक परेशान हैं। लोकल सर्कल्स ने पिछले हफ्ते भी इन्हीं शहरों में इस तरह की सर्वे किया था। जिसमें 22 प्रतिशत परिवारों ने बताया था कि उनके यहां कोई न कोई प्रदूषण से परेशान होकर डॉक्टर या अस्पताल में जा रहा है। सर्वे में सामने आया था कि हर पांच से चार परिवार में किसी न किसी को प्रदूषण की वजह से बीमारियां अपनी चपेट में ले रही हैं। अब प्रदूषित हफ्ते के बाद दोबारा से जब यह सर्वे इन शहरों में किया गया तो सामने आया कि दिल्ली एनसीआर में 86 प्रतिशत परिवारों में कोई न कोई प्रदूषण से जुड़ी एक बीमारी से जूझ रहा है। पिछले हफ्ते यह संख्या 80 प्रतिशत थी। दूसरे हफ्ते के अंत में लोंगो 32 प्रतिशत लोगों ने बताया कि उन्हें गले में खराब, कफ, जकड़न और आंखों में जलन जैसी परेशानी हो रही है। 7 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उन्हें सिरदर्द और नींद में परेशानी हो रही है। जबकि 20 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उन्हें सांस लेने में परेशानी हो रही है।

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सर्वे में पाया गया कि दिल्ली-एनसीआर में 86 प्रतिशत परिवारें में किसी न किसी सदस्य को एक या अधिक प्रदूषण से जुड़ी बीमारियां सता रही हैं। 59 प्रतिशत परिवारों ने कहा कि उनके घरों में एक या अधिक सदस्यों को गले में खराश, कफ, जकड़न और आंख जलने जैसी परेशानी हो रही है। 40 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उन्हें सांस लेने में परेशानी हो रही है। जबकि 27 प्रतिशत लोगों ने सिरदर्द और नींद में दिक्कत की बात कही।

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44 प्रतिशत लोगों ने बताया कि उनके परिवार में कोई न कोई सदस्य डॉक्टर या अस्पताल के पास इन बीमारियों के चलते जा चुका है। इतना ही नहीं, 33 प्रतिशत लोगों ने कहा कि परेशानी से राहत पाने के लिए वह डॉक्टरों के पास जा रहे हैं। 56 प्रतिशत लोगों ने कहा कि कहा कि उन्हें समस्या हो रही है, लेकिन वह अस्पताल नहीं जा रहे। औसत 44 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उनके परिवार में कोई न कोई सदस्य इन बीमारियों को लेकर अस्पताल या डॉक्टर के पास जा चुका है। जबकि नवंबर के पहले हफ्ते के अंत में इनकी संख्या महज 22 प्रतिशत थी।

हालांकि इन परिस्थितियों के बावजूद तीन दिन के लॉकडाउन को लेकर लोग एकमत नहीं है। सर्वे में 48 प्रतिशत लोगों ने लॉकडाउन के पक्ष में राय थी तो 52 प्रतिशत ने लॉकडाउन को साफ मना किया।

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