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हाइलाइट्स

  • तालिबान के खौफ से अफगानिस्तान से हजारों लोग छोड़ रहे अपने घर
  • CAA को लेकर भारत का विरोध करने वाले तुर्की ने अफगानिस्तानियों के लिए बंद किए दरवाजे
  • तुर्की ईरान से लगती अपनी 295 किलोमीटर सीमा पर तेजी से दीवार खड़ी कर रहा है

नई दिल्ली
तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान से आ रही तस्वीरें विचलित करने वाली हैं। तालिबान दुनिया के सामने इस बार खुद को ‘बदला हुआ’ और ‘उदार’ दिखाने की भरपूर कोशिश कर रहा है लेकिन काबुल की तस्वीरें उसके इस ‘मुखौटे’ को उतार फेंक रही हैं। मुखौटा उन देशों का भी उतरा है जो भारत के संशोधित नागरिकता कानून (CAA) में मुस्लिमों को शामिल नहीं करने का विरोध कर रहे थे लेकिन आज अफगानिस्तान के मुस्लिम शरणार्थियों के लिए ही अपने दरवाजे एक तरह से बंद रखे हैं।

खुद को मुस्लिम हितों का कथित चैंपियन और दुनियाभर के मुसलमानों का कथित रहनुमा दिखाने की कोशिश के तहत तुर्की ने भारत के संशोधित नागरिकता कानून का विरोध किया था। इस लिस्ट में ईरान, यूएई और बांग्लादेश भी शामिल हैं। आज काबुल से डराने वाली तस्वीरें आ रही हैं। एयरपोर्ट पर भेड़-बकरियों की तरह इंसानों के प्लेन में लदने, किसी तरह चढ़ने की कोशिश, बीच हवा में प्लेन से गिरने की तस्वीरें…हजारों लोग किसी भी कीमत पर अफगानिस्तान से सही सलामत बाहर निकलना चाह रहे हैं। लेकिन न तो तुर्की ने, न ही ईरान ने इन असहाय लोगों के लिए हाथ बढ़ाया है। तुर्की ने तो ईरान के साथ लगती अपनी सीमा पर तेजी से कंक्रीट की दीवार खड़ी कर दी है ताकि अफगानिस्तान के शरणार्थी ईरान के रास्ते उसके यहां दाखिल न हो सकें।

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काबुल से रवाना हुए अमेरिकी एयरफोर्स के विमान के भीतर का दृश्य, तस्वीर बता रही कि लोगों में तालिबान का कितना खौफ

काबुल से आ रहीं तस्वीरें दिलों को झकझोर देने वाली हैं। जब यह हाल राजधानी का है तो अफगानिस्तान के सुदूर इलाकों में तालिबान का किस कदर खौफ होगा या यह आतंकी समूह कितनी क्रूरता कर रहा होगा, उसकी कल्पना भर से रूह कांप जाएगी। संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) के मुताबिक, इस साल हिंसा की शुरुआत के बाद से अबतक अफगानिस्तान के साढ़े 5 लाख से ज्यादा लोग अपने घरों को छोड़कर भाग चुके हैं। यह आंकड़ा अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे से पहले का है।

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अफगानिस्तान के इस मानवीय संकट ने तुर्की के असली चेहरे को बेनकाब किया है। अपने यहां शरण लिए 12 हजार से ज्यादा अफगानिस्तानियों को इस साल अबतक डिपोर्ट कर चुका है। और ज्यादा शरणार्थी न आएं, इसके लिए वह ईरान के साथ लगती अपनी 295 किलोमीटर लंबी सीमा पर बहुत ही तेजी से कंक्रीट की दीवार खड़ा कर रहा है। तुर्की की सीमा अफगानिस्तान से नहीं लगती। ईरान की सीमा अफगानिस्तान से लगती है। उसने अपने तीन सरहदी प्रांतों में ‘अस्थायी शरणार्थी शिविर’ बनाने का ऐलान भले किया है लेकिन वह भी बाहें खोलकर इन लोगों को स्वीकार करता नहीं दिख रहा।

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दूसरी तरफ भारत है, जिसने काबुल से न सिर्फ अपने नागरिकों को एयरलिफ्ट किया है, बल्कि अफगानिस्तानी लोगों को भी। भारत ने भले ही अफगानिस्तान में अपने दूतावास को बंद कर दिया है, सभी स्टाफ को वापस बुला लिया है लेकिन संकट की इस घड़ी में अफगानिस्तान के लोगों के लिए ई-वीजा का विकल्प जारी रखा है। वैसे जिस सीएए का विरोध तुर्की जैसे देश कर रहे थे, वह तो अफगानिस्तान से अभी आने वाले हिंदू और सिखों तक पर लागू नहीं होता क्योंकि उसके प्रावधान 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आ चुके लोगों के लिए था।

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मंगलवार को काबुल एयरपोर्ट के बाहर कतार में लगे लोग



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