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दिल्ली मेट्रो के पहले फेज में 2002 से 2007 के बीच खरीदी गई पुरानी ट्रेनें जल्द ही बिल्कुल नए रूप में नजर आएंगी। नवीनीकरण की एक विशेष प्रक्रिया के तहत डीएमआरसी ऐसी 70 ट्रेनों को नया रूप दे रही है। यह काम चरणबद्ध तरीके से किया जाएगा। पहले चरण में 10 ट्रेनों का नवीनीकरण किया जा रहा है। इनमें से 7 ट्रेनों को यमुना बैंक डिपो में और 3 ट्रेनों को शास्त्री पार्क डिपो में तैयार किया जा रहा है।

खर्च होंगे करीब 40-45 करोड़ रुपए

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इस काम में करीब 40 से 45 करोड़ रुपए खर्च होंगे और अगले साल सितंबर तक यह काम पूरा होगा। उसके बाद बाकी की 60 ट्रेनों का नवीनीकरण किया जाएगा। इस प्रक्रिया को मिडलाइप रिफर्बिशमेंट कहा जाता है और इसे तब किया जाता है, जब कोई मेट्रो ट्रेन अपने उपयोग की अधिकतम समय सीमा, जो कि 30 साल है, उसमें आधा या उससे अधिक कार्यकाल पूरा कर चुकी होती है। जिन 70 ट्रेनों का नवीनीकरण किया जाएगा, वे 14 से 19 साल पुरानी है और इसलिए उन्हें अब नया रूप दिया जा रहा है।

पहली रीफर्बिश्ड ट्रेन चलने के लिए तैयार

हाल ही में डीएमआरसी ने 8 कोच वाली ऐसी ही एक पुरानी ट्रेन के मिडलाइफ रीफर्बिशमेंट का काम पूरा किया है। यह काम पूरा करने में करीब दो ढाई महीने का वक्त लगा। सोमवार को डीएमआरसी के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ मंगू सिंह ने इस ट्रेन का अनावरण किया। जल्द ही इस ट्रेन का इस्तेमाल यात्री सेवा में भी किया जाएगा। नवीनीकरण की प्रक्रिया के बाद ये ट्रेनें न केवल अंदर-बाहर से नई दिखने लगेंगी, बल्कि इनमें यात्री सुविधाओं और यात्रियों की सुरक्षा में भी इजाफा होगा। डेढ़ दशक पहले जब ये ट्रेनें दिल्ली मेट्रो के बेड़े में शामिल हुई थीं, तब से लेकर अब तक तकनीकी स्तर पर ट्रेनों के कोच और उनमें मौजूद यात्री सुविधाओं में काफी बदलाव आ चुके हैं और आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल बढ़ गया है। उसी को ध्यान में रखते हुए इन ट्रेनों में कुछ ऐसे बदलाव किए गए हैं, जो अब नई ट्रेनों में नजर आते हैं।

पुरानी ट्रेनों में होंगे ये होंगे बदलाव

डीएमआरसी के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर अनुज दयाल के मुताबिक, मुख्य रूप से इन ट्रेनों में जो बदलाव किए गए हैं, उसके तहत अब इनमें नई एलईडी लाइट्स और एलसीडी आधारित नए डायनैमिक रूट मैप लगा दिए गए हैं। ट्रेन के प्रत्येक कोच में अंदर और बाहर की तरफ सीसीटीवी कैमरे लगाए हैं, जिनकी कुल संख्या ट्रेनों के कोच की संख्या पर निर्भर करेगी। मसलन, 8 कोच वाली ट्रेनों में कुल 44 सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे, जबकि पहले इन ट्रेनों में एक भी कैमरा नहीं था। इन कैमरों के जरिए निगरानी रखने के लिए ट्रेन के ड्राइविंग कार में डिस्प्ले पैनल भी लगाया है। इसके अलावा स्मोक डिटेक्टर्स, फायर एक्सटिंग्विशर्स, चार्जिंग पॉइंट्स, नई फ्लोरिंग, कोच के अंदर और बाहर की डेंटिंग पेंटिंग और इलेक्ट्रिकल पैनल्स की पूरी सर्किट्री को बदला गया है, इससे ट्रेन के अंदर तारों में फाल्ट होने की समस्या भी नहीं आएगी।

​क्या खास है इस ट्रांसफॉर्मेशन में

  • LCD-बेस्ड डायनैमिक रूट मैप
  • CCTV सर्विलांस सिस्टम
  • फायर डिटेक्शन सिस्टम
  • मोबाइल और लेपटॉप के लिए चार्जिंग सॉकेट
  • पुराने फ्लोर के बदले नए फाइबर-कंपोजिट बोर्ड
  • इंटीरियर को फिर से पेंट किया जा रहा है
  • इलेक्टिकल पैनल को अपग्रेड किया जा रहा है

​कितनी पुरानी है ये ट्रेनें

  • मेट्रो ट्रेन का औसत कार्यकाल समय 30 साल है
  • दिल्ली मेट्रो की पहली खेप की ट्रेनों को 19 साल हो गए हैं
  • 2002-2007 के दौरान 70 ट्रेनें लाई गई थीं
  • अब इन ट्रेनों को रीफर्बिश्ड करके अपेडट किया जा रहा है
  • एक ट्रेन को रीफर्बिश्ड करने पर लगभग 4 करोड़ का खर्च
  • एक ट्रेन को रीफर्बिश्ड करने में 1 महीने का समय लगेगा
  • DMRC के पास इस समय 350 ट्रेनें हैं



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By admin