केंद्र और प्रदर्शनकारी किसानों के बीच मध्यस्थता करने की मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक की पेशकश पर किसान नेताओं ने जवाब दिया है। किसान नेताओं ने मंगलवार कहा कि भाजपा सरकार को पार्टी में सही सोचने वाले लोगों की सुननी चाहिए और जनवरी से रुकी पड़ी वार्ता शुरू करनी चाहिए।
प्रदर्शनकारी किसानों का समर्थन कर रहे मलिक ने रविवार को जोर देते हुए कहा था कि यदि केंद्र फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानूनी गारंटी देने के लिए राजी हो, तो वह मध्यस्थता करने को तैयार हैं। मलिक ने राजस्थान के झुंझुनू के एक कार्यक्रम में यह बात कही थी।
सिर्फ एक चीज पूरे मुद्दे का हल कर देगी। यदि सरकार एमएसपी गारंटी देने को राजी हो जाती है, तो मैं मध्यस्थता करूंगा और किसानों को समझाऊंगा।
सत्यपाल मलिक, मेघालय के राज्यपाल
एलायंस फॉर सस्टेनेबल एंड हॉलिस्टिक एग्रीकल्चर (आशा) की कविता कुरूगंती का मानना है कि भारतीय जनता पार्टी में सही सोचने वाले लोगों को किसानों की मांगें पूरी कराने के लिए दबाव डालना जारी रखना चाहिए। उन्होंने कहा मेरा मानना है कि सरकार और किसानों के बीच मध्यस्थता की जरूरत नहीं है। भाजपा में सही सोचने वाले लोगों को किसानों की मांगें पूरी कराने के लिए पार्टी और सरकार पर दबाव डालना जारी रखना चाहिए।
कुरूगंती ने कहा कि वैध और वाजिब मांगों को पूरा करने से इनकार करने के पीछे कोई तर्क नहीं है। पार्टी में किसान हितैषी इस आवाज को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि पार्टी में नैतिकता इतनी नहीं गिर जाए कि जहां से लौटा नहीं जा सके। उन्हें (राज्य मंत्री) अजय मिश्रा टेनी की बर्खास्तगी और गिरफ्तारी सुनिश्चित करनी चाहिए।
कुरूगंती के विचारों से सहमति जताते हुए संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) का हिस्सा एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश में एक प्रभावकारी समूह भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) ने कहा कि मलिक ने पहले भी समर्थन किया था, लेकिन भाजपा ने उनकी नहीं सुनी थी। हालांकि, यदि मांगें पूरी हो जाती हैं, तो कोई भी मध्यस्थ के तौर पर काम करे, उसके लिए वह तैयार है।
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