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अनिल बलूनी

काबुल में हालात पल-पल बदतर हो रहे हैं। दुनिया के तमाम देश अपने नागरिकों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। इस समय सबके सामने एक ही सवाल है कि कैसे अपने नागरिकों को सुरक्षित स्वदेश लाया जाए। हमारे लिए भी अपने नागरिकों की सुरक्षा सबसे बड़ा मसला है। भारत 16 अगस्त से अब तक करीब 800 से अधिक लोगों को ‘ऑपरेशन देवी शक्ति’ के तहत सुरक्षित ला चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक में अधिकारियों को अफगानिस्तान से सभी भारतीयों को सुरक्षित वापस लाने और भारत आने के इच्छुक अफगान हिंदुओं और सिखों को शरण उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। उनके लिए ई-पासपोर्ट की व्यवस्था की है। सरकार ने अफगानिस्तान मसले पर सर्वदलीय बैठक में तमाम राजनीतिक दलों को विश्वास में लिया है। जिस तरह से वहां हालात बदल रहे हैं, भारत सरकार बाज-दृष्टि से उस पर नजर रखे हुए है।

अंतरराष्ट्रीय बचाव अभियान

26 अगस्त की शाम को जिस तरह से काबुल में भीषण आतंकी हमले हुए। उनमें लगभग 170 लोग हताहत हुए, जिनमें 13 अमेरिकी सैनिक भी हैं। उससे जैसे पूरी दुनिया सकते में आ गई। इस घटना को 9/11 के आतंकी हमले की तरह देखा जा रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति स्वयं हताश दिखाई पड़ रहे हैं। ऐसे वैश्विक परिदृश्य में भारत की बागडोर मजबूत नेतृत्व के हाथ में बने रहना बेहद जरूरी है। भारत सौभाग्यशाली है कि देश की बागडोर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों में है, जिन्होंने सदैव राष्ट्रीय सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। मोदी के ही नेतृत्व में ‘न्यू इंडिया’ ने पूरे विश्व को यह संदेश भी दिया है कि हम किसी को छेड़ते नहीं हैं और अगर कोई छेड़ता है तो उसे छोड़ते नहीं हैं।

वर्ष 2014 के बाद से भारत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सफलतापूर्वक कई बड़े अंतरराष्ट्रीय बचाव अभियान चलाए हैं। गत वर्ष जब दुनिया भर में कोविड महामारी फैली, तब भारत ने मई 2020 से ‘वंदे भारत मिशन’ आरंभ किया। इसके तहत 24 जुलाई, 2020 तक 88,000 से अधिक उड़ानें स्वास्थ्य संबंधी प्रोटोकॉल की प्रक्रियाओं के सख्त अनुपालन के तहत संचालित की गईं और सौ से अधिक देशों से 70 लाख से अधिक नागरिकों को स्वदेश वापस लाया गया। यहां तक कि वुहान से भी भारतीयों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित की गई। इससे पहले 2014 में जब इराक गृह युद्ध में फंसा था और वहां 46 भारतीय नर्सों को आईएसआईएस के आतंकवादियों द्वारा तिकरित के एक अस्पताल में 23 दिनों से बंधक बनाए रखा गया था, तब यह भारत सरकार का कूटनीतिक प्रयास ही था जिसके जरिए ‘ऑपरेशन संकट मोचन’ के तहत इन सभी नर्सों को वहां से सुरक्षित स्वदेश वापस लाया गया।

वर्ष 2015 में, जब यमन में संघर्ष चरम पर था तो वहां कई देशों के लोग फंस गए थे। भारत ने ‘ऑपरेशन राहत’ चलाकर न केवल भारतीय बल्कि अन्य देशों के नागरिकों को भी वहां से सुरक्षित निकाला। उसी साल रॉयल सऊदी वायु सेना ने अरब राज्यों के गठबंधन का नेतृत्व करते हुए जब यमन के हूती विद्रोहियों पर हमला कर दिया, तब भी भारत सरकार ने अपने कूटनीतिक प्रयासों के माध्यम से समुद्री और हवाई मार्गों से ‘ऑपरेशन राहत’ के जरिये 4,500 से अधिक भारतीयों के साथ 41 देशों के कम से कम 900 नागरिकों को सफलतापूर्वक बाहर निकाला था। 2016 में ब्रसेल्स में हुए बम ब्लास्ट में फंसे लगभग ढाई सौ भारतीयों को जेट एयरवेज के कर्मचारियों सहित सुरक्षित वापस लाया गया। 2016-17 में मोदी सरकार ने यूक्रेन में फंसे 1,000 छात्रों और इराक में फंसे 7,000 भारतीयों को सुरक्षित निकाला जिनमें सैकड़ों नर्सें भी शामिल थीं।

देशवासियों को याद होगा कि 70 के दशक में जब युगांडा के राष्ट्रपति ईदी अमीन ने अपने देश से भारतवंशियों को 90 दिनों के अंदर निकलने के आदेश दिए थे, लेकिन तब की केंद्र सरकार ने सिर्फ अमीन की निंदा करके अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया था।

अफगानिस्तान से सुरक्षित भारत आए लोगों ने तहे दिल से भारत का शुक्रिया अदा किया है। अफगानिस्तान से कई सिख सांसद भी भारत के सहयोग से सुरक्षित निकल सके हैं। अभी दो-तीन दिन पहले ही हमने हर भारतवासी को गर्वित करने वाला पल तब देखा, जब काबुल से श्री गुरुग्रंथ साहिब की तीन प्रतियां दिल्ली लाई गईं , जिन्हें केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने पूरे सम्मान के साथ रिसीव किया और अपने सिर पर रखकर एयरपोर्ट से बाहर आए।

हमारी सरकार ने स्पष्ट किया है कि संकट की इस घड़ी में भारत अफगानिस्तान की जनता के साथ मजबूती से खड़ा है। भारत ने अफगानिस्तान के विकास में आगे बढ़ कर सहयोग किया है। सड़कों के निर्माण से लेकर डैम, स्कूल, लाइब्रेरी यहां तक कि वहां की संसद बनाने में भी भारत का योगदान है, जिसका उद्घाटन 2015 में हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। यह सही है कि अफगानिस्तान में पाक समर्थित तालिबान के आने और उसकी काउंसिल में आतंकी गुटों से संबंध रखने वाले नेताओं को शामिल करने के बाद परिस्थितियां काफी बदली हैं। इस बदले परिदृश्य में भारत और भी ज्यादा सतर्क और सावधान है और हर जरूरी कदम उठा रहा है।

सात सालों में बना विश्वास

दुनिया के अलग-अलग देशों हिस्सों में रह रहे देशवासियों को आज यह विश्वास है कि जब भी उन पर कोई विपदा आएगी तो नरेंद्र मोदी सरकार तुरंत उन तक पहुंचेगी और उनकी हरसंभव सहायता करेगी। यह विश्वास पिछले सात सालों में बना है। पहले संकटग्रस्त क्षेत्रों में राहत और बचाव की कूटनीतिक और रणनीतिक क्षमता दुनिया के दो-तीन गिने-चुने देशों के ही पास थी, लेकिन आज भारत एक प्रमुख शक्ति बन कर उभरा है। हमारे राहत एवं बचाव कार्यों की पूरी दुनिया में सराहना होती है।

(लेखक राज्यसभा सांसद और बीजेपी के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख हैं)

डिसक्लेमर : ऊपर व्यक्त विचार लेखक के अपने हैं





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