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नई दिल्ली
केंद्र सरकार ने शुक्रवार को बताया कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान अप्रैल और मई के महीने में संक्रमितों के इलाज के लिए देश में रेमडेसिविर की कमी देखी गई थी लेकिन इसके बाद लगभग तीन महीनों के भीतर इस दवा के घरेलू उत्पादन में तीन गुना से अधिक की वृद्धि की गई। राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में केंद्रीय रसायन व उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि केंद्र सरकार ने राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को भविष्य में रेमडेसिविर की कमी से निपटने के लिए सुरक्षित भंडार की खरीद करने की सलाह दी है।

मांडविया ने कहा कि कोविड-19 रोगियों के प्रबंधन के लिए रेमडेसिविर और टोसिलिजुमैब दवाइयों की मांग में अचानक वृद्धि होने के कारण इस साल अप्रैल और मई महीनों में इनकी कमी देखी गई। उन्होंने बताया कि यह दोनों दवाएं पेटेंट वाली दवाएं हैं। रेमडेसिविर का निर्माण भारत में होता है जबकि टोसिलिजुमैब भारत में केवल आयात के माध्यम से उपलब्ध है।

मांडविया ने कहा कि इस कमी को दूर करने के लिए सरकार ने तुरंत रेमडेसिविर के मामले में घरेलू उत्पादन बढ़ाकर और टोसिलिजुमैब के आयात की मात्रा में वृद्धि के प्रयास तेज कर दिए थे। उन्होंने कहा, ‘भारत में रेमडेसिविर के लाइसेंस प्राप्त मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट्स की संख्या अप्रैल 2021 के मध्य में 22 से बढ़कर वर्तमान में 62 हो गई है। रेमडेसिविर की घरेलू उत्पादन क्षमता अप्रैल 2021 के मध्य में प्रतिमाह 38 लाख थी जो अब बढ़कर 122 लाख शीशी प्रतिमाह हो गई है।’

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि इसी तरह टोसिलिजुमैब के एकमात्र निर्माता के साथ सरकार के लगातार प्रयासों के कारण इसकी आयातित मात्रा को अधिकतम किया गया था।



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By admin